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स्वास्थ्य के लिए बेहद फायेदेमंद होता है भुना हुआ लहसुन

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हम आपकी जानकारी के लिए बताते चलें लहसुन का मुख्य रूप से उपयोग मसाले के रूप में किया जाता है, किन्तु लहसुन एक तरह से औषधि भी है, जो एक नहीं कई रोगों में कार्यआता है. वेद-पुराणों में लहसुन को अमृत तुल्य बताया गया है. आयुर्वेद के अनुसार लहसुन को एक बहुत ही फायदेमंद औषधि बताया गया है.

यह है इसके फायदे

जानकारी के अनुसार अगर प्रतिदिन लहसुन की 2-4 कलियां खाएं तो इससे ह्रदय संबंधी रोगों से बचा जा सकता है . यह कई तरह की बीमारियों से दूर रखने में मदद करता है . जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत रहती है उन्हें भुना हुआ लहसुन जरूर खाना चाहिए . वही भुना हुआ लहसुन दिल के लिए बहुत ही कार्य की वस्तु है . भुन हुए लहसुन में ऐसे तत्व होते हैं जो बॉडी में गुड कॉलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाते हैं जिनसे बैड कोलेस्ट्रॉल को समाप्त करने में सरलता होती है .

हड्डियां भी होती है मजबूत

इसी के साथ सर्दी-जुकाम में भुना हुआ रामबाण का कार्य करता है . यह बॉडी की इम्यूनिटी क्षमता को बढ़ाता है . इसके अतिरिक्त यह एंटी एजिंग का कार्य भी करता है . भुना लहसुन खाने से हड्डियां मजबूत होती है . इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि रात को सोने से पहले भुना हुआ लहसुन खाने से यूरिन के माध्यम से आपके बॉडी में मौजूद विषाक्त तत्व बाहर निकल जाएंगे . वजन कम करने भी यह बहुत ज्यादा मददगार है . इसका सेवन करने से बॉडी का फैट तेजी से बर्न होता है जिससे कि वजन कम होने लगता है .

बड़ी खबर : फिल्म उरी के एक्टर विक्की कौशल को शूटिंग के दौरान लगी चोट, चेहरे पर लगे 13 टांके

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उरी फिल्म के एक्टर विक्की कौशल को लगी शूटिंग के दौरान चोट, चेहरे पर लगे 13 टांके

बॉलीवुड एक्टर विक्की कौशल एक दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुए हैं। गुजरात में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान उन्हें चेहरे पर गंभीर चोटें लगी हैं। विक्की कौशल एक एक्शन सीक्वेंस की शूटिंग कर रहे थे जब उन्हें यह चोट लगी।

बॉलीवुड फिल्मों के कारोबार का विश्लेषण करने वाले तरण आदर्श ने अपने ट्विटर पर यह जानकारी दी है। उन्होंने लिखा है कि भानु प्रताप सिंह के डायरेक्शन में बन रही फिल्म की शूटिंग के दौरान विक्की कौशल के चेहरे पर चोट लगी है और उन्हें 13 टांके लगे हैं।

जानिए कैसी होगी ये बाइक, ट्रियांफ भारत में लॉन्च करेगी 2019 ट्रियांफ स्पीड ट्विन

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मशहूर मोटरसाइकिल निर्माता कंपनी ट्रायम्फ मोटरसाइकिल इंडिया भारत में बहुत जल्द अपनी स्पीड टविन 2019 को लॉन्च करने जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, इस नई 2019 ट्रायम्फ स्पीड टविन को भारत के साथ-साथ वैश्विक बाजार में भी उतारा जाएगा। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बाइक में इंटरनेशल बाजार की कुछ नए फीचर्स देखने को मिल सकती है।

इस नई ट्रियांफ 2019 स्पीड ट्विन बाइक को बेहतर पावर के लिए 1200 सीसी का पैरेलल ट्विन लिक्विड कूल्ड इंजन दिया जाएगा।यह इंजन इस मोटरसाइकिल को मैक्सिमम 97 बीएचपी की पावर और 112 न्यूटन मीटर का टॉर्क जनरेट करती है। इसके अलावा इस इंजन को 6-स्पीड गियरबॉक्स से लैस किया गया है।

ट्रियांफ मोटरसाइकिल को भारतीय बाजार में इस महीने 24 तारिख को लॉन्च किया जाना है। माना जा रहा है कि इस नई ट्रियांफ स्पीड ट्विन बाइक को कई नए बदलावों और फीचर्स के साथ पेश किया जाएगा। अगर हम इस बाइक के नए फीचर्स की बात करें तो इसमें रेट्रो स्टाइल वाले ट्विन पॉड डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर का इस्तेमाल किया गया है जो कि ऑडोमीटर, गियर इंडीकेटर, ट्रैक्शन कंट्रोल सेटिंग, फ्यूल लेवल जैसे कई शानदार फीचर्स दिए जाएंगे।

इस नई 2019 ट्रियांफ स्पीड ट्विन मोटरसाइकिल में TPMS इंडिकेटर, एलईडी सेटअप (हेडलैंप, टेललाइट तथा इंडिकेटर), हीटेड ग्रिप्स, बार एंड मिरर्स जैसे अन्य फीचर्स भी शामिल किया गया है। इस खूबसूरत पावरफुल बाइक में तीन राइडिंग मोड्स रेन, रोड और इस बाइक में तीन राइडिंग मोड रेन,रोड और स्पोर्ट दिया गया है। इस बाइक को बेहतर ब्रेकिंग के लिए फ्रंट में डुअल डिस्क और रियर में सिंगल डिस्क एबीएस से लैस किया जाएगा।

प्रज्ञा पर चेतावनी, मोदी बोले- मुगालते मे न रहें, कांग्रेस को महंगी पड़ेगी साध्वी

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मध्यप्रदेश में भोपाल से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को प्रत्याशी बनाए पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि साध्वी की उम्मीदवारी कांग्रेस को महंगी पड़ने वाली है। उन्होंने राहुल गांधी और सोनिया गांधी को निशाने पर लेते हुए कहा कि अमेठी और रायबरेली से कांग्रेस उम्मीदवार भी जमानत पर रिहा है। इस पर चर्चा नहीं, लेकिन भोपाल की उम्मीदवार जमानत पर हो तो ये बहुत बड़ा तूफान खड़ा कर देते हैं ये कैसे चलेगा।

उन्होंने कहा कि उन सबको जवाब देने के लिए साध्वी प्रज्ञा एक प्रतीक है और यह कांग्रेस को महंगा पड़ने वाला है। पीएम नरेंद्र मोदी ने एक टीवी चैनल को दिए गए साक्षात्कार के दौरान ये बातें कही। उन्होंने कहा कि समझौता एक्सप्रेस का फैसला आ गया है। क्या निकला? दुनिया में 5,000 साल तक जिस महान संस्कृति और परंपरा ने ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ का संदेश दिया, ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ का संदेश दिया, जिस संस्कृति ने ‘एकम् सद् विप्रा: बहुधा वदन्ति’ का संदेश दिया, ऐसी संस्कृति को आपने(कांग्रेस) बिना सबूत के आतंकवादी कह दिया।

पीएम मोदी ने कांग्रेस के दिवंगत नेता पूर्व पीएम राजीव गांधी को भी निशाने पर लिया। कहा कि जब 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या हुई तो उनके सुपुत्र ने कहा था, एक बड़ा पेड़ गिरता है तो जमीन हिलती है। उसके बाद देश में हजारों सरदारों का कत्लेआम किया गया। क्या यह एक निश्चित लोगों का आतंक नहीं था क्या? इसके बावजूद उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया गया। इसके संबंध में देश के न्यूट्रल मीडिया ने सवाल नहीं पूछा, जो आज पूछ रहे हैं।

लोकसभा चुनाव 2019 : छत्तीसगढ़ में यूपी-बिहार जैसा नहीं है जाति का गणित

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‘तेली हैं हम और हममें है दम’

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगे अभनपुर इलाके में एक नौजवान के सेलफ़ोन पर बज रहे तेली-साहू समाज को एकजुट करने की कोशिश वाले इस गीत को सुनते हुए यह समझना मुश्किल नहीं है कि इस बार फिर चुनाव में जाति को आज़माने की कोशिश जारी है.

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने छत्तीसगढ़ दौरे में साहू जाति का कार्ड खेला और उसके बाद से तो जैसे राज्य में जाति की राजनीति को लेकर घमासान मचा हुआ है.

पीएम मोदी ने छत्तीसगढ़ की अपनी सभाओं में कहा, “नामदार गालियां दे रहे हैं. सारे मोदी को चोर कहते हैं. यहां का साहू समाज गुजरात में होता तो उन्हें मोदी कहते हैं. राजस्थान में होता तो राठौर कहते. तो सोचिए, सारे साहू चोर हैं क्या?”

नरेंद्र मोदी की सभा समाप्त होते-होते राज्य भर में साहू समाज के बीच इस भाषण की चर्चा शुरू हो गई. राज्य की 14 फ़ीसदी आबादी और लगभग एक-तिहाई सीटों पर निर्णायक वोटों वाले इस समाज की ओर से राज्य के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कमान संभाली और सोशल मीडिया में अपना रिकॉर्डेड बयान जारी करते हुए कहा कि एक व्यक्ति की ग़लती पूरे समाज की ग़लती नहीं हो सकती.

राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट करके तंज कसा, “गुजरात में ‘चायवाला’, यूपी में जाकर ‘गंगा मां का बेटा’, छत्तीसगढ़ में आते ही ‘साहू’ और अंबानी के यहां जाते ही ‘चौकीदार’. साथियों, बहुरूपिए से सावधान रहें ! क्योंकि जैसे ही सावधानी हटी, वैसे ही पंचवर्षीय दुर्घटना घटी!! जानकारी और जागरूकता ही बचाव है. जय जोहार, जय कर्मा माता !”

इसके बाद से छत्तीसगढ़ में जाति को लेकर बयानों की भरमार आ गई है.

जाति की गहरी जड़ें

चुनावों में यह आम धारणा है कि बिहार या उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में सारा चुनावी समीकरण जाति के आस-पास घूमता है. लेकिन हकीकत यह है कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में भी एक-एक सीट का बंटवारा जाति के आधार पर ही होता है और राजनीति जाति की धुरी के आस-पास ही घूमती है.

जाति की प्रतिद्वंद्विता भले ही उत्तर प्रदेश, राजस्थान या बिहार जैसी न भी हो तो भी चुनाव में यहां जाति एक बड़ा आधार होता है.

छत्तीसगढ़ में 32 फ़ीसदी आदिवासी आबादी है और 13 फ़ीसदी अनुसूचित जाति. इसी तरह राज्य में 47 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की आबादी है.

दोनों ही पार्टियों ने अन्य पिछड़ा वर्ग के चार-चार उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. एक-एक कुर्मी और एक-एक अनुसूचित जाति के उम्मीदवार दोनों ही पार्टियों की ओर से चुनाव मैदान में हैं. कांग्रेस ने ब्राह्मण उम्मीदवार उतारा है तो भाजपा ने भी.

छत्तीसगढ़ में लोकसभा का चुनाव प्रचार अपने चरम पर है और चुनाव के दूसरे चरण में गुरुवार को तीन सीटों पर मतदान होना है.

ज़ाहिर है, मतदाताओं को साधने के लिये राजनीतिक दल अपने सारे हथियार अपना रहे हैं और मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जाति कार्ड ने इन हथियारों को और धार दे दी है.

19 साल पहले बने छत्तीसगढ़ में किसी भी दल को यह मानने में अब गुरेज नहीं है कि जाति के नाम पर वोट राजनीति की बड़ी सच्चाई है.

भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव कहते हैं, “जातिगत समीकरण पर भाजपा पूर्णतः नहीं चलती है लेकिन हम उसे नकार भी नहीं सकते. थोड़ा-बहुत समीकरणों को देखना ही पड़ता है. जहां जिस जाति की बहुलता है, वहां पर उस जाति को प्राथमिकता देते हैं. लेकिन केवल जातिगत आधार पर ही भाजपा चुनाव नहीं लड़ती है. जैसे साहू बहुल इलाके में भी हमने सामान्य जाति के उम्मीदवार को टिकट दिया है.”

हम जाति की राजनीति नहीं करते: कांग्रेस

दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता शैलेष नितिन त्रिवेदी मानते हैं कि टिकट बंटवारे में जातिगत समीकरणों का ध्यान रखा गया है, लेकिन वे इससे साफ़ इनकार करते हैं कि उनकी पार्टी जातिगत राजनीति करती है.

त्रिवेदी कहते हैं, “दरअसल भाजपा जब धर्म की राजनीति में असफल हो गई है तो अब जाति के नाम पर समाज को विभाजित करने की राजनीति कर रही है, जिसे छत्तीसगढ़ के लोग कभी पसंद नहीं करते.”

लेकिन पिछले कई सालों से अपनी जाति को लेकर तरह-तरह के आयोग और निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमा झेल चुके छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का कहना है कि पहले जाति छत्तीसगढ़ में बहुत बड़ा मुद्दा नहीं हुआ करता था लेकिन पिछले तीन-चार सालों में पिछड़े वर्ग की जो जातियां हैं, उनमें एकजुटता बढ़ती जा रही है.

जोगी कहते हैं, “जातिगत समीकरण का महत्व अब बढ़ गया है. भाजपा, कांग्रेस और काफ़ी हद तक बसपा ने भी जातिगत समीकरणों को देख कर ही टिकट दिए हैं.”

‘जाति नहीं विकास है मुद्दा’

बिलासपुर स्थित गुरुघासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान की प्रमुख डॉक्टर अनुपमा सक्सेना मानती हैं कि छत्तीसगढ़ के चुनाव में जाति आधार तो है लेकिन यही एकमात्र आधार नहीं है.

पिछले कई चुनावों में तमाम राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय शोध और सर्वेक्षणों से जुड़ी रहीं डॉक्टर सक्सेना मानती हैं कि छत्तीसगढ़ की राजनीति के जातिगत समीकरण बिहार या उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से अलग है.

वो कहती हैं, “दूसरे राज्यों में जाति व्यवस्था ज़्यादा जटिल है. इन राज्यों में कई बार तो जाति ही चुनाव में हार-जीत का भी निर्धारण कर देती है. यहां तक कि वहां जाति आधारित राजनीतिक दल भी विकसित हो गये हैं, जबकि छत्तीसगढ़ की राजनीति अभी भी दो राष्ट्रीय दलों के इर्द-गिर्द ही घूम रही है.”

अनुपमा सक्सेना का दावा है कि राज्य बनने के बाद से शासन और लोक कल्याण की नीतियां यहां चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं. राज्य में 15 सालों तक भाजपा की सरकार के काबिज़ रहने के पीछे विकास से जुड़ी योजनाओं की सफलता को वो बड़ा कारण मानती हैं.

उनका कहना है कि किसानों से जुड़े मुद्दों की भाजपा सरकार द्वारा अनदेखी और दूसरी लोक कल्याणकारी योजनाओं में आई गड़बड़ियों को लगातार कांग्रेस पार्टी ने उठाया और सरकार बनाने में सफल हुई.

छत्तीसगढ़ में माओवादियों ने चुनाव बहिष्कार किया है

सत्ता और समाज में सहभागिता

हालांकि राजनीति और समाज की पड़ताल करने वाला एक बड़ा वर्ग मानता है कि पिछले कुछ सालों में जैसे-जैसे जीवन में कॉर्पोरेट का हस्तक्षेप बढ़ा है और रोजगार में कमी आई है, उसने भी जाति समाज को मज़बूती प्रदान की है.

पहले से ही सत्ता और समाज में अपनी सहभागिता से वंचित एक बड़े वर्ग के लिये जाति व्यवस्था ने सम्मान के साथ और बिना शर्त के समावेशन का अवसर उपलब्ध कराया है.

सामाजिक और राजनीतिक विश्लेषक डॉक्टर विक्रम सिंघल कहते हैं, “छत्तीसगढ़ में आप इस बात पर ख़ुश हो सकते हैं कि यहां राजनीति में जातिगत समीकरणों के बाद भी उनमें तरलता बची हुई है. यानी पिछले साल किसी जाति ने किसी ख़ास पार्टी को वोट किया था वो इस साल किसी दूसरी पार्टी को वोट कर सकती है. यही कारण है कि यहां किसी भी पार्टी में किसी ख़ास जाति विशेष का कब्जा नहीं है जैसा कि हम बिहार या उत्तर प्रदेश में देखते हैं.”

हालांकि सामाजिक कार्यकर्ता और एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म (एडीआर) के संयोजक गौतम बंद्योपाध्याय इसके पीछे राष्ट्रीय कारण भी देखते हैं.

गौतम बंद्योपाध्याय का कहना है कि पिछले तीन-चार चुनावों से राष्ट्रीय दलों ने अपने राजनीतिक अभियान को जाति की दिशा में तेजी से मोड़ा है.

आदिवासियों और वंचितों के बीच जल, जंगल और ज़मीन के मुद्दे पर काम करने वाले बंद्योपाध्याय कहते हैं कि इन संगठनों ने तरह-तरह की जातिगत पंचायतों को खाद-पानी देने का काम किया है, जिसके कारण जाति की राजनीति लगातार मजबूत होती चली गई है.

वो मानते हैं कि राजनीतिक दल, प्रत्याशियों के चयन से पहले से ही जातिगत संभावनाओं को टटोलते हैं और यही प्रक्रिया चुनाव के दौरान भी जारी रहती है.

गौतम बंद्योपाध्याय कहते हैं, “36-36 राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन करने वाले राष्ट्रीय दलों ने जाति आधारित राजनीतिक संगठनों को अपने साथ जोड़ कर रखा है. इसका असर दूसरे राज्यों में बसने वाली उन जाति विशेष पर भी पड़ना लाज़मी है.”

यह सच है कि जिन समस्याओं को महज सामाजिक समस्या की तरह देखा जाता है, उनकी जड़ें भी अंततः राजनीति में ही छुपी हुई हैं. ऐसे में राजनीति से जाति अगले कुछ सालों में जाती हुई नज़र आयेगी, इसकी संभावना तो कम ही है.

लाख हथकंडे अपना ले भाजपा, जीतेंगे आजम खां ही : मायावती

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रामपुर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रत्याशी जयाप्रदा के खिलाफ कथित रूप से अमर्यादित टिप्पणी कर विवादों में फंसे समाजवादी पार्टी (सपा) के कद्दावर नेता और उम्मीदवार आजम खां का पक्ष लेते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने कहा कि केन्द्र में सत्तारूढ़ दल लाख हथकंडे अपना ले लेकिन गठबंधन प्रत्याशी की जीत निश्चित है। खां के समर्थन में सपा-बसपा की संयुक्त रैली को संबोधित करते हुये सुश्री मायावती ने कहा कि चुनाव में अपनी हार सामने देखकर भाजपा के नेता बौखला गये हैं और वे गठबंधन प्रत्याशी को बदनाम करने के लिये तरह तरह के हथकंडे अपना रहे है लेकिन जनता उनके पैतरेबांजी और नाटकबाजी को अच्छी तरह पहचान चुकी है।

मौजूदा चुनाव में श्री खां को हराना नामुमकिन है। उन्होने कहा कि पिछले पांच सालों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार में किसान, बेरोजगार, युवा, गरीब, वंचित, व्यापारी, दलित और पिछड़े समेत लगभग हर वर्ग को शोषण किया गया। झूठे वादे और जुमलों से जनता को छला गया है। इस बार मोदी की चौकीदारी वाला हथकंडा काम नहीं आने वाला है और भाजपा सरकार की विदाई तय है। बसपा प्रमुख ने कहा कि उन्होने सुना है कि रामपुर में भी भाजपा के चौकीदार घूम रहे है लेकिन इस बार उनकी चौकीदारी काम नहीं आने वाली है। चौकीदार कितना भी जोर लगा ले लेकिन उनकी पार्टी की हार तय है।

भीड़ के जोश को देखकर लग रहा है कि जनता भाजपा और आरएसएस को जवाब देने के लिए तैयार है। रामपुर से आजम खां ऐतिहासिक जीत अर्जित करेंगे वहीं मुरादाबाद में सपा प्रत्याशी एस टी हसन और संभल से शफीकुर रहमान बर्क भी जीतेंगे। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि आजादी के बाद देश में सबसे ज्यादा राज कांग्रेस का ही रहा है। इसके बाद भाजपा को भी शासन करने का मौका मिला है। कांग्रेस अपनी गलत नीतियों की वजह से सत्ता बाहर हुई है। जनता कांग्रेस और भाजपा के प्रलोभन भरे घोषणा पत्रों से सावधान रहे। कांग्रेस ने गरीबों को लुभाने के ?लिए छह हजार रुपये देने की बात कही है उससे कुछ नही होगा। गरीबों को हम रुपये नहीं बल्कि रोजगार देंगे ताकि वे स्वालंबी बन सकें। इस मौके पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि कभी चायवाला तो कभी चौकीदार बनकर देश की जनता को बरगलाने वाले श्री मोदी की पैतरेंबाजी को जनता समझ चुकी है और इस चुनाव में उन्हे करारी शिकस्त मिलेगी। भाजपा सरकारों ने समाज के गरीब शोषित और किसान अल्पसंख्यक सबका शोषण किया है। नोटबंदी के जरिये उन्हे कतारों में खड़ा कर दिया गया। जनता अब उन्हे वोटबंदी कर सत्ता से बेदखल करेगी।

राहुल गांधी के नामांकन पर आपत्ति मामले में सुनवाई 22 अप्रैल तक टली

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नई दिल्ली। अमेठी लोकसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी ध्रुवलाल कौशल ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नामांकन के खिलाफ आपत्ति जताई है। ध्रुवलाल कौशल ने राहुल की नागरिकता और डिग्री पर सवाल उठाते हुए उनका नामांकन रद्द करने की मांग की। इस पर उनके वकील अफजल वारिस, सुरेंद्र चन्द्र और सुरेश कुमार शुक्ला की आपत्ति पर जिला निर्वाचन कार्यालय में शनिवार को हो रही सुनवाई 22 अप्रैल तक टाल दी गई है। राहुल गांधी के वकील राहुल कौशिक ने रिटर्निंग अधिकारी से समय मांगा है। अब 22 अप्रैल को वह इस मामले पर कांग्रेस अध्यक्ष का पक्ष रखेंगे।

आरोप में कहा गया है कि राहुल गांधी का असली नाम राउल विंची है। साथ ही उनके पास ब्रिटिश नागरिकता है। निर्दलीय प्रत्याशी ध्रुवलाल कौशल के वकीलों का दावा है कि राहुल गांधी ने गलत दस्तावेज दिए हैं और निर्वाचन अधिकारी को गुमराह करने की कोशिश की है।

जनता के विश्वास को धोखा दिया मोदी सरकार ने : कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी

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नई दिल्ली। 2019 के चुनावी समर में शनिवार को राजनीतिक दलों के प्रमुख नेताओं ने कई चुनावी सभाओं को संबोधित किया। पीएम मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कई जनसभाएं की। इसमें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने केरल के वायनाड में अपने भाई राहुल गांधी के पक्ष में प्रचार किया। वायनाड में चुनावी सभा में उन्होंने कहा कि पांच साल पहले एक पूर्ण बहुमत वाली सरकार सत्ता में आई। हमारे देश के लोगों ने भाजपा सरकार में अपना विश्वास और आशाएं रखीं। उस सरकार ने सत्ता में आने के बाद से जनता को उस विश्वास को धोखा देना शुरू कर दिया।

प्रियंका ने कहा कि भाजपा भी मानने लगी कि सत्ता उन्हीं की है और लोगों की नहीं। इस का पहला संकेत तब मिला जब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने चुनाव के बाद हर खाते में 15 लाख रुपये देने की घोषणा को जुमला कह डाला। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि राहुल गांधी ने व्यक्तिगत हमलों का सामना किया है।

चुनाव में कार्यकर्ताओं का आना जाना लगा रहता है : जोगी

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रायपुर। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के संजीव अग्रवाल और सुब्रत डे समेत आधा दर्जन कार्यकर्ताओं ने जोगी का दामन  छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया है। जिस पर जनता कांग्रेस सुप्रीमो अजीत जोगी ने कहा है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं का दूसरे पार्टी में जाना आम बात है। जिसकी सरकार होती है कार्यकर्ताओं का झुकाव वहीं होता है। वर्तमान में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी है तो हमारे पार्टी के कार्यकर्ता कांग्रेस में प्रवेश कर रहे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस में जाने वाले कार्यकर्ता वापस हमारी पार्टी में शामिल होंगे। इस दौरान उन्होंने कहा कि न तो कांग्रेस की बहुमत होगी और न भाजपा गठबंधन की सरकार बनेगी। केंद्र में इस वर्ष गठबंधन की सरकार बनेगी।

 

दुर्ग सीट कांग्रेस के लिए बड़ी, तो BJP के लिए बनी कड़ी चुनौती

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छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में दुर्ग लोकसभा सीट के लिए आगामी 23 अप्रैल को तीसरे चरण का मतदान होना है. इसे लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दल जीत को लेकर अपने अपने दावे कर रहे हैं. इस चुनाव में कांग्रेस के लिए अपनी सीट को बचाए रखना बड़ी चुनौती है. बता दें कि दुर्ग लोकसभा सीट से सीएम भूपेश बघेल, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे आते हैं. बेमेतरा जिले से ये तीनों विधायक कांग्रेस के हैं.

जीत का अंतर एक लाख से ऊपर मतों का है, तो वहीं बीजेपी के लिए भी यहां कड़ी चुनौती है. एक तरफ उन्हें विधानसभा में 1 लाख मतों के अंतर को पाटना है, उसके बाद ही आगे की बात होगी. बहरहाल, जिस तरह से पिछले लोकसभा चुनाव में सभी सीटें बीजेपी जीती थी और सिर्फ दुर्ग लोकसभा में कांग्रेस की जीत हुई थी. उस पर तीनों विधायक भी बीजेपी के थे, लेकिन इस बार सरकार भी कांग्रेस की है और जिले के तीनों विधायक भी कांग्रेस के हैं.

लिहाजा, कांग्रेस का दाव भारी लग रहा है. बीजेपी से विजय बघेल तो कांग्रेस से प्रतिमा चंद्राकर मैदान में हैं. वहीं इस बीच ग्रामीण मतदाताओं का भी मन टटोलने की कोशिश की और उनकी समस्याओं के बारे में जाना.

बता दें कि ग्रामीण मतदाताओं को कर्ज माफी का भी उतना लाभ मिलता नहीं दिखाई दे रहा है, क्योंकि बहुतों के पास तो जमीन ही नहीं है. उनकी गांव की मूलभूत समस्या भी जस की तस बनी हुई है. अब देखने वाली बात होगी कि आगामी 23 अप्रैल को होने वाले मतदान में मतदाता किन को चुनते हैं. बता दें कि जिले में इस बार 6 लाख 39 हजार मतदाता मताधिकार का प्रयोग करेंगे.