प्रदेश में अनुसूचित जाति- अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के हजारों पर रिक्त और पदों पर भर्ती के लिए स्वीकृत हैं। इसे पास कराने के लिए राजभवन में राज्यपाल को भेजा गया है, लेकिन राज्यपाल उसपर हस्ताक्षर नहीं कर रही हैं, इसका खामियाजा प्रदेश के बेरोजगारों को भुगताना पड़ सकता है।
राज्यपाल अनुसुईया उइके मंगलवार को सुबह 11 बजे राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगी। संकेत मिले हैं कि इस दौरान विधानसभा में पारित सभी विधेयकों की जानकारी देंगी। इसमें सबसे महत्वपूर्ण आरक्षण संशोधन विधेयक भी शामिल हैं। इसे लेकर राज्यपाल विस्तार से चर्चा कर सकती है। इससे पहले सोमवार को राज्यपाल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री शाह को अपने तीन महीने के कार्यों की रिपोर्ट सौंपी। साथ ही राजभवन में किए गए नवाचार की जानकारी दी। बताया जाता है कि इस दौरान कई अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर भी चर्चा हुई है।
बिलासपुर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, आरक्षण के मामले में राजभवन और भाजपा राजनीति कर रही है। जो काम राज्यपाल को करना चाहिए वह नहीं कर रही उल्टा केन्द्र सरकार और राज्य सरकार को पत्र लिख रही है। उन्होंने कहा, राज्य सरकार की ओर से राज्यपाल को भेजे गए आरक्षण के अनुसार रिक्त पदों पर भर्ती के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करना चाहिए।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम का आरक्षण को लेकर बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा, राज्यपाल ने ही सरकार को चिट्ठी लिखकर सत्र बुलाने कहा था। उनकी मंशा के अनुरूप सरकार ने तत्परता दिखाई और विधेयक पास करवाया। मेरा मानना है कि अब राज्यपाल को प्रदेश के हित को ध्यान में रखकर उसपर हस्ताक्षर कर देना चाहिए। उन्होंने कहा, भाजपा के दबाव में राज्यपाल हस्ताक्षर नहीं कर रही है। भाजपा के विधायक आरक्षण विधेयक को विधानसभा में ही रोकना चाह रहे थे। यह उनका हिडेन एजेंडा है कि वो संविधान बदलना चाहते हैं। आरक्षण देना नहीं चाहते।