रायपुर । नमस्कार आप देख रहे हैं, छत्तीसगढ़ की बात। बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के 1 महीने 7 दिन बाद कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ। कांग्रेस का 85 वां राष्ट्रीय अधिवेशन 3 दिनों तक चला।
जिसमें 58 बिन्दुओं पर काम करने का संकल्प लिया गया..लक्ष्य अर्जुन की तरह …मछली की आंख पर फोकस करते हुए रोजगार, महंगाई, आर्थिक असमानता, किसान, गरीब आदिवासी, अधिकारों की रक्षा के साथ लोकतंत्र की रक्षा को रखा गया। लेकिन ये तभी मुमकिन हो सकता है, जब संकल्पों के साथ जनता का भी साथ हो। बीजेपी ने अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सामाजिक समीकरण, पीढ़ी परिवर्तन और महिलाओं पर विशेष जोर दिया था।
यानी बीजेपी और कांग्रेस दोनों का 23-24 का रोडमैप तैयार हो चुका है। तो अबकी बार किसका होगा बेड़ापार…यहीं आज की इस बहस का विषय होगा। कांग्रेस की मजबूत जमीन बनकर उभरे छत्तीसगढ़ में तीन दिन तक चले AICC के राष्ट्रीय अधिवेशन में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव का रोडमैप तैयार किया गया। इस रोडमैप का बड़ा असर आम चुनाव पर भी नजर आएगा। कांग्रेस ने इन तीन दिन में स्पष्ट कर दिया कि वो अगले चुनावों में मजबूती के साथ उतरेगी। साथ ही कार्यकर्ताओं को संदेश दिया कि देश को कांग्रेस से बड़ी उम्मीदें हैं इसलिए वो अभी से चुनाव में जुट जाएं। खास बात ये है कि इस पूरे अभिय़ान की धुरी छत्तीसगढ़ है जिसकी योजनाओं को कांग्रेस अपने घोषणापत्र में भी शामिल करेगी। कांग्रेस ने इस साल देश के 9 राज्यों में होने वाले विधानसभा और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर फोकस करते हुए पार्टी के संविधान में भी कई संशोधन किए हैं। जिसका मकसद संगठन से ज्यादा से ज्यादा महिलाओं और युवाओं को जोड़ना है। क्योंकि यही वो वर्ग है जो चुनाव में बीजेपी को बूस्टर देता है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस को जहां इस अधिवेशन से बड़े बदलाव की उम्मीद है। वहीं, बीजेपी कांग्रेस पर तंज कस रही है। विधानसभा चुनाव में महज 8 महीने का वक्त बचा है ऐसे में कांग्रेस को जहां छत्तीसगढ़ में सत्ता में वापसी का पूरा भरोसा है वहीं इस मजबूत गढ़ के विकास मार्ग के जरिए कांग्रेस बाकी राज्यों में भी जीत का पताका फहराना चाहती है…ताकी 2024 में वो मजबूत योद्धा की तरह मैदान में उतरकर मोदी का सामना कर सके।