छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र 1 मार्च से शुरू हो जाएगा. यह इस वर्ष भूपेश बघेल सरकार का आखिरी बजट है क्योंकि इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस लिहाजा ये बजट कई मायनों में खास माना जा रहा है.
इसके अलावा इस बजट को लेकर अलग – अलग वर्ग उम्मीद भरी निगाहों से सरकार के बजट का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इसमें राज्य के लाखों अनियमित कर्मचारी भी शामिल है. जो पिछले 4 साल से कांग्रेस सरकार के वादे को याद दिला रहे हैं.
आखिरी बजट में क्या होगा नियमितीकरण का प्रावधान
दरअसल राज्य के लाखों कर्मचारी नियमितीकरण की आस लगाए बैठे हैं. जल्द ही अब धरने पर बैठने की तैयारी कर रहे हैं. इसके लिए रायपुर में आने वाले 12 मार्च को अनियमित कर्मचारी संघ ने बड़े हड़ताल की चेतावनी दी है. हालांकि कर्मचारियों की आखिरी उम्मीद इस बजट सत्र पर टिकी है. क्योंकि कांग्रेस सरकार के वादे के मुताबिक उनके पास नियमितीकरण का ये आखिरी मौका है. इसके बाद साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. सूत्रों की मानें तो 6 मार्च को बजट पेश किया जा सकता है.
अबतक वित्त विभाग ने कोई जानकारी नहीं मांगी
बजट से पहले अनियमित कर्मचारियों ने कहा कि इस साल बजट से बहुत कम उम्मीद है, क्योंकि अबतक विभागों से सूची नही मंगाई गई है. कितने कर्मचारी है और कितना सरकार को वित्तीय भार आएगा? इसका मतलब ये है कि सरकार नियमितीकरण के रास्ते में आगे नहीं बढ़ रही है.
राज्य में 5 लाख से ज्यादा अनियमित कर्मचारी है
छत्तीसगढ़ अनियमित कर्मचारी मोर्चा के प्रदेश प्रमुख गोपाल प्रसाद साहू ने बताया कि राज्य में संविदा, दैनिक वेतन भोगी, प्लेसमेंट, मानदेय, अशंकालिक, जॉबदर और ठेका के कुल मिलाकर 5 लाख से अधिक कर्मचारी है. ये सभी अनियमित कर्मचारी है. इसके अलावा गोपाल प्रसाद साहू ने कांग्रेस सरकार को याद दिलाते हुए कहा कि कांग्रेस ने सरकार बनने पर 10 दिन में प्राथमिकता से हमारी मांगों को पूरा करने का वादा किया और अपने जन-घोषणा (वचन) पत्र में बिंदु क्रमांक 11 और 30 में अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण करने, छटनी न करने और आउट सोर्सिंग बंद करने का वादा किया था.
आंदोलन करेंगे तो सरकार कामकाज हो सकता है ठप्प
अगर कर्मचारियों बजट के बाद आंदोलन का फैसला लेते है तो ये केवल चुनौती नहीं ये बड़ी समस्या भी बन सकती है. क्योंकि सरकार के सभी विभागों में काम करने वाले अधिकारी-कर्मचारी में भी इसमें शामिल है. यानी धरना प्रदर्शन शुरू हो गया तो सरकारी कामकाज भी ठप्प हो जाएगा. वहीं अनियमित कर्मचारी संघ के प्रमुख ने कहा है कि 12 मार्च को एक बड़ी आक्रोश रैली अनियमित कर्मचारी करने जा रहे है.
बड़ा चुनावी मुद्दा है कर्मचारियों की नियमितीकरण
गौरतलब है कि अनीयमित कर्मचारियों की हड़ताल से सरकारी कामकाज पिछले बार प्रभावित हुआ था. अब फिर से अनियमित कर्मचारी हड़ताल पर जाएंगे तो फिर सरकार कामकाज प्रभावित हो सकता है. वहीं ये मामला 2023 विधानसभा चुनाव में खास राजनीतिक मुद्दा हो सकता है. क्योंकि 2018 के चुनाव में अनियमित कर्मचारियों का मुद्दा सड़क से सदन तक हंगामा मचा था. इस बार नियमितीकरण को लेकर सड़क से सदन तक हंगामा मच सकता है.