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1984 सिख विरोधी दंगा: कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ चार्जशीट स्वीकार, 8 जून से शुरू होगा मुकदमा…

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1984 के सिख विरोधी दंगों में आरोपी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद जगदीश टाइटलर (Jagdish Tytler) के खिलाफ अब MP-MLA कोर्ट में केस चलेगा।

दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस नेता टाइटलर के खिलाफ CBI की सप्लीमेंट्री चार्जशीट को स्वीकृति देते हुए स्पेशल MP-MLA कोर्ट में मुकदमा चलाने के लिए केस ट्रांसफर कर दिया है। अब इस मामले में 8 जून से सुनवाई शुरू होगी।

बता दें कि, जगदीश टाइटलर पर निर्दोष सिखों की हत्या करने वाली भीड़ को भड़काने का आरोप है। CBI ने पुल बंगश इलाके में हुए सिख विरोधी दंगों के मामले में हाल में टाइटलर की आवाज का सैंपल लिया था। वहीं, दंगों की जांच करने वाले नानावती आयोग (2000) की रिपोर्ट में भी कांग्रेस नेता टाइटलर का नाम शामिल था। CBI ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित पुल बंगश मामले में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ 20 मई को चार्जशीट दाखिल की थी। यह मामला तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के क़त्ल के एक दिन बाद एक नवंबर, 1984 को पुल बंगश इलाके में एक गुरुद्वारे में आग लगाए जाने और 3 लोगों की हत्या किए जाने से संबंधित है।

CBI ने स्पेशल कोर्ट के समक्ष दाखिल अपनी चार्जशीट में कहा था कि टाइटलर ने एक नवंबर 1984 को ”पुल बंगश गुरुद्वारा आजाद मार्केट में एकत्र भीड़ को भड़काया था, जिसके परिणामस्वरूप गुरुद्वारे को जला दिया गया और 3 सिखों ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरु चरण सिंह की हत्या कर दी गई।

वर्ष 2000 में बनाया गया था नानावटी कमीशन:-

इंदिरा गांधी के क़त्ल के बाद पूरे देश में सिख विरोधी दंगे भड़क गए थे। इन दंगों की जांच के लिए पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार (भाजपा) ने वर्ष 2000 में नानावटी कमीशन गठित किया था। नानावटी कमीशन ने अपनी रिपोर्ट वर्ष 2005 में मनमोहन सिंह सरकार (कांग्रेस) को सौंप दी थी। नानावटी कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस के नेताओं के शामिल होने के बारे में कुछ अहम टिप्पणियां की थी। इसके साथ ही नानावटी कमीशन ने सिख विरोधी दंगों को लेकर दर्ज किए गए कुल 214 FIR में से 4 मामलों की जांच CBI से कराए जाने की सिफारिश की थी। इनमें 1 नवंबर 1984 को उत्तरी दिल्ली के पुलबंगश गुरुद्वारे में आग लगाए जाने का मामला भी शामिल था, जिसमें 3 सिखों की जिन्दा जलकर मौत हो गई थी।

CBI ने लगा दी थी क्लोजर रिपोर्ट:-

उधर, कांग्रेस सरकार के दौरान इस मामले को दबाने और टाइटलर को बचाने की काफी कोशिशें हुईं। 2007 में कांग्रेस सरकार के दौरान CBI ने जगदीश टाइटलर के खिलाफ केस में पहले क्लोजर रिपोर्ट लगा दी थी, 2009 में CBI ने कोर्ट में कहा था कि, कोई सबूत नहीं मिल रहा उन्हें आरोपी कैसे बनाएं। हालांकि, कोर्ट ने मृतक बादल सिंह की पत्नी लखविन्द्र कौर का पक्ष सुनने के बाद CBI की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर नए सिरे से जांच करने का आदेश दिया था।। वहीं, इस मामले में एक अन्य आरोपी सुरेश कुमार को अदलात ने सबूतों के अभाव में वर्ष 2014 में आरोपमुक्त कर दिया था। वर्ष 2018 में मंजीत सिंह जीके को एक करोबारी से टेप्स मिले थे। जिसमे दावा किया गया था कि एक स्टिंग ऑपरेशन में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ने 1984 के सिख विरोधी दंगों में अपनी संलिप्तता स्वीकार की थी। हालाँकि, सिख नरसंहार के 39 वर्षों के बाद भी कई लोगों को इंसाफ नहीं मिला है, अब जगदीश टाइटलर के खिलाफ चार्जशीट दाखिल होने के बाद, ये देखना दिलचस्प होगा कि, यह मामला आगे कहाँ तक जाता है।