रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के लिए सत्ता में दो दशकों से ज्यादा समय की सबसे बड़ी चुनौती उस समय खत्म हो गई, जब अपने सैनिकों को मॉस्को की तरफ कूच करने का आदेश देने वाले निजी सेना ‘वैगनर ग्रुप’ (Wagner Group) के कमांडर ने अचानक क्रेमलिन के साथ समझौते के बाद निर्वासन में जाने और पीछे हटने की घोषणा कर दी।
वहीं रूस ने शनिवार को कहा कि सरकार के खिलाफ बागी तेवर अपनाने वाली ‘वैगनर ग्रुप’ के प्रमुख येवगेनी प्रीगोझिन (Yevgeniy Prigozhin) और उनके लड़ाकों पर कोई मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।
प्रिगोझिन के नेतृत्व में ‘वैग्नर’ के लड़ाकों के रूसी शहर रोस्तोव-ऑन-डॉन में निर्बाध पहुंच जाने और मॉस्को की ओर सैकड़ों किलोमीटर आगे बढ़ने में सक्षम होने से रूसी सरकारी बलों की कमजोरियों को उजागर कर दिया है। ‘वैग्नर’ के लड़ाके अपने हथियारों के साथ मॉस्को से लगभग 360 किलोमीटर दक्षिण में लिपेत्स्क प्रांत तक पहुंच गए थे।
रूस के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का ऐलान करने वाले प्रीगोझिन ने अपने लड़ाकों को रूस की राजधानी मॉस्को की तरफ कूच करने का आदेश दिया था। हालांकि, बाद में उन्होंने लड़ाकों से अचानक रास्ता बदलने को कहा था।
वैग्नर प्रमुख ने शनिवार को कहा था कि उन्होंने अपने लड़ाकों को मॉस्को की तरफ न बढ़ने और यूक्रेन में अपने बेस कैंप में लौटने का आदेश दिया है, ताकि रूसी नागरिकों का खून न बहे।
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दो दशक से ज्यादा समय के कार्यकाल में यह उनके सामने पेश आई सबसे बड़ी चुनौती है।
क्रेमलिन (रूस का राष्ट्रपति भवन) के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने शनिवार को घोषणा की कि प्रीगोझिन बेलारूस जाएंगे, जिसने यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रमण का समर्थन किया था। प्रीगोझिन और उनके लड़ाको के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह भड़काने के आरोप हटा दिए जाएंगे और उनके साथ शामिल होने वाले लड़ाकों पर भी कोई मुकदमा नहीं चलाया जाएगा।
पेसकोव ने यह भी कहा कि वैगनर ग्रुप के जिन लड़ाके ने विद्रोह में प्रीगोझिन का साथ नहीं दिया, उन्हें रक्षा मंत्रालय की ओर से कॉन्ट्रैक्ट की पेशकश की जाएगी।
इससे पहले, पुतिन ने शनिवार को टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम दिए संबोधन में वैगनर ग्रुप की तरफ से सशस्त्र विद्रोह के ऐलान को ‘विश्वासघात’ और ‘राजद्रोह’ करार दिया था।
पेसकोव ने प्रीगोझिन और उनके लड़ाकों को स्वतंत्र रूप से जाने की अनुमति देते हुए कहा कि पुतिन का ‘सबसे बड़ा मकसद’ उस ‘खून खराबे और आंतरिक टकराव से बचना है, जिसके अप्रत्याशित परिणाम हो सकते हैं।’
समझौता होने के बाद प्रिगोझिन ने कहा कि वह अपने सैनिकों को मॉस्को की ओर मार्च रोकने और यूक्रेन में फील्ड शिविरों में वापस जाने का आदेश दे रहे हैं, जहां वे रूसी सैनिकों के साथ लड़ रहे हैं।
बता दें कि प्रीगोझिन ने उनके लड़ाकों के मॉस्को से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर होने पर उन्हें वापस भेजने का फैसला किया था, ताकि रूसी लोगों का खून न बहे।
प्रीगोझिन ने कहा था कि उनकी निजी सेना में 25,000 लड़ाके हैं और उन्होंने आत्मसमर्पण न करने का फैसला किया है, क्योंकि ‘हम नहीं चाहते कि देश भ्रष्टाचार, छल और नौकरशाही के साये में रहे।’
मैसेजिंग ऐप Telegram पर जारी एक ऑडियो मैसेज में प्रीगोझिन ने कहा था, “राष्ट्रपति का मातृभूमि से विश्वासघात का आरोप लगाना गलत है। हम अपनी मातृभूमि से प्यार करने वाले देशभक्त हैं।”
प्रीगोझिन ने कहा था कि शुक्रवार को रूसी सेना के प्रतिद्वंद्वी बलों की तरफ से यूक्रेन में उनके कैंप पर किए हमले को जवाब देते हुए उन्होंने यह कदम उठाया। हालांकि, रूस के रक्षा मंत्रालय ने शिविरों पर हमले की बात से इनकार किया है।
नाम उजागर न करने की शर्त पर मामले से परिचित व्यक्ति ने बताया कि वैग्नर की गतिविधियों के बारे में पिछले हफ्ते ही कांग्रेस के नेताओं को सूचित किया गया था।
हालांकि, अमेरिका के पास खुफिया जानकारी थी कि प्रिगोझिन कुछ समय से रूस के साथ सीमा के पास अपनी वैग्नर सेना का निर्माण कर रहा था।
रूस की मीडिया ने शनिवार देर रात खबर दी थी कि शॉर्ट टर्म विद्रोह के दौरान वैग्नर के लड़ाको ने कई हेलीकॉप्टर और एक सैन्य संचार विमान को मार गिराया गया।