Home देश उत्तर भारत में बारिश से कोहराम, कई मौतें; दिल्ली में टूटा 40...

उत्तर भारत में बारिश से कोहराम, कई मौतें; दिल्ली में टूटा 40 साल का रिकॉर्ड; इतनी वर्षा क्यों- समझें कारण

335
0

Weather Update, Heavy Rains in North India: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में शनिवार को भारी बारिश हुई। आज भी कई इलाकों में भारी बारिश हो रही है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, पंजाब और जम्मू-कश्मीर में भारी से अत्यधिक भारी बारिश की भविष्यवाणी की है।

जम्मू-कश्मीर में आज लगातार तीसरे दिन मूसलाधार बारिश के कारण कठुआ और सांबा जिलों के साथ ही निचले जलग्रहण क्षेत्रों के लिए ‘रेड अलर्ट’ जारी किया गया।

दिल्ली में टूटा 40 साल का रिकॉर्ड
दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में आज भी भारी बारिश जारी रही। राष्ट्रीय राजधानी में रविवार सुबह साढ़े आठ बजे समाप्त हुई 24 घंटे की अवधि में 153 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो 1982 के बाद से यहां जुलाई में एक दिन में हुई सर्वाधिक बारिश है। यह 40 सालों का रिकॉर्ड तोड़ है।आईएमडी ने यह जानकारी दी। IMD कार्यालय ने कहा है कि अगले कुछ दिनों तक उत्तर पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में भारी बारिश जारी रहेगी। राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में जलभराव के कारण ट्रैफिक व्यवस्था बिगड़ गई है।

आईएमडी के एक अधिकारी ने बताया कि सफदरजंग वेधशाला में रविवार सुबह 8.30 बजे तक पिछले 24 घंटे में 153 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो 25 जुलाई 1982 को एक दिन में दर्ज की गई 169.9 मिलीमीटर बारिश के बाद से सर्वाधिक है। अधिकारी के मुताबिक, शहर में 10 जुलाई 2003 को 133.4 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई थी और 21 जुलाई 1958 को यहां अब तक की सर्वाधिक 266.2 मिलीमीटर बारिश हुई थी।

बारिश की वजह से कहां-कहां मौतें
बारिश की वजह से कई मौतें भी हुई हैं। दिल्ली में 58 वर्षीय एक महिला की उसके फ्लैट की छत गिरने से मौत हो गई, जबकि राजस्थान में 24 घंटे के दौरान बारिश से जुड़ी घटनाओं में चार लोगों की मौत हुई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के कोतवाली थाना इलाके में रविवार तड़के तेज बारिश के कारण एक मकान की छत गिर जाने से मलबे में दबकर महिला और उसकी छह वर्षीय बेटी की मौत हो गयी जबकि उसका पति घायल हो गया।

IMD का पूर्वानुमान क्या, कहां के लिए अलर्ट
जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हिमालयी इलाकों में लगातार बारिश और भूस्खलन को देखते हुए अमरनाथ यात्रा को आज लगातार तीसरे दिन भी रोक दिया गया है। श्रीनगर-जम्मू राजमार्ग पर लगभग 3,000 वाहन फंसे हुए हैं, जहां कल सड़क का एक हिस्सा टूट गया था। आईएमडी ने राजस्थान के नौ से अधिक जिलों में बहुत भारी वर्षा की भविष्यवाणी की है, जिनमें राजसमंद, जालौर, पाली, अजमेर, अलवर, बांसवाड़ा, भरतपुर, भीलवाड़ा, बूंदी, चित्तौड़गढ़, दौसा, धौलपुर, जयपुर और कोटा शामिल हैं। मौसम विभाग ने दिल्ली में मध्यम बारिश का पूर्वानुमान लगाते हुए ‘येलो अलर्ट’ जारी किया है।

दक्षिण में क्या हालात
दक्षिणी राज्यों केरल और कर्नाटक के कई इलाकों में भी लगातार बारिश हो रही है। आईएमडी ने केरल के चार जिलों – कोझिकोड, वायनाड, कन्नूर और कासरगोड में “पीला” अलर्ट जारी किया है। केरल में एक सप्ताह से अधिक समय से बारिश का प्रकोप है जिसके कारण 19 लोगों की जान जा चुकी है और 10,000 से अधिक लोगों को राहत शिविरों में भेजा गया है।

क्यों हो रही इतनी बारिश
आईएमडी ने कहा कि एक पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में सक्रिय है, जिसके कारण भारी बारिश का मौजूद दौर चल रहा है। इस विक्षोभ के प्रभाव में ही शनिवार और रविवार को दिल्ली में रिकॉर्डतोड़ बारिश हुई है। यह सीजन की पहली भारी बारिश है। आईएमडी के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ और मानसूनी हवाओं के पुरजोर प्रभाव के कारण उत्तर-पश्चिम भारत में भीषण बारिश हुई और दिल्ली में मौसम की यह पहली ‘बहेद भीषण बारिश’ है।

IMD की ताजी रिपोर्ट के मुताबिक इस समय मानसूनी ट्रफ अजमेर, जैसलमेर, गुना, सतना, डाल्टेनगंज, जमशेदपुर और दीघा के करीब समुद्र तल से डेढ़ किलोमीटर की ऊंचाई पर सक्रिय है। इसके अलावा एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन भी दक्षिणी-पश्चिमी राजस्थान में सक्रिय है। IMD के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ अभी गुजरात-राजस्थान के करीब पाकिस्तान में सक्रिय है।

क्या यह जलवायु परिवर्तन का असर है?
दिल्ली में 40 सालों की बारिश का रिकॉर्ड टूटना और राजस्थान के दर्जन भर से ज्यादा जिलों में मूसलाधार बारिश क्या जलवायु परिवर्तन के संकेत हैं या यह उसी का प्रभाव है? इस बारे में पूछने पर पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग के हेड रहे प्रो. डॉ. देवेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से इसका दूर-दूर तक नाता नहीं है। उन्होंने कहा कि मानसून का सीजन चल रहा है और मानसूनी हवाओं की अनिश्चिचतता ही मानसून की विशेषता रही है। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि कभी खूब बारिश (अतिवृष्टि) तो कभी बहुत कम बारिश (अनावृष्टि) मानसूनी हवाओं की पुरानी और पारंपरिक विशेषता रही है। इसीलिए मानसून को भारतीय कृषि के लिए जुआ भी कहा जाता है।

जलवायु परिवर्तन से जुड़े कई शोध करवा चुके प्रोफेसर सिंह ने कहा कि मानसूनी हवाएं अक्सर अपना रास्ता भी बदलती रही हैं। यही वजह है कि इस साल मौसम वैज्ञानिकों को भी चकमा देकर मानसून निर्धारित समय से पहले ही दिल्ली पहुंच गया। अनुमान से ज्यादा बारिश भी उत्तर भारत में इस साल हो रही है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। अतीत में भी ऐसी मौसमी दशाएं बन चुकी हैं।