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‘इंडिया” नाम हटाना मोदी सरकार के लिए नहीं होगा आसान, संविधान विशेषज्ञ का बयान आया सामने

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भारत के अंग्रेजी नाम ‘इंडिया’ को हटाने की मांग अब कई महान हस्तियां भी उठा रही हैं। क्रिकेटर वीरेंद्र सहवाग से लेकर कई बॉलीवुड हस्तियों ने देश को सिर्फ भारत नाम से पुकारने का समर्थन किया।

हालांकि, केंद्र सरकार के लिए इंडिया नाम हटाना आसान नहीं रहेगा। इसके लिए कई चुनौतियां भी सामने आएंगी। संविधान विशेषज्ञ पी डी टी आचार्य ने मंगलवार को कहा कि संविधान के अनुच्छेद 1 में लिखा गया ‘इंडिया, दैट इज भारत’ केवल वर्णनात्मक है और दोनों नामों का परस्पर उपयोग नहीं किया जा सकता है।

संविधान में संशोधन करना होगा

उन्होंने बताया कि भारतीय गणराज्य के नाम में किसी भी बदलाव के लिए कई संशोधनों की आवश्यकता होगी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा ‘प्रेसीडेंट ऑफ भारत’ के नाम से जी20 के रात्रिभोज के लिए निमंत्रण पत्र प्रेषित किए जाने को लेकर उठे विवाद के संदर्भ में उनका यह बयान आया है। जब लोकसभा के पूर्व महासचिव आचार्य से देश के नाम पर मौजूदा स्थिति में बदलाव की प्रक्रिया को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें संविधान में संशोधन करना होगा। अनुच्छेद 1 (बदलना होगा) और फिर अन्य सभी अनुच्छेदों में परिणामी बदलाव होंगे।”

जहां भी इंडिया नाम है, हटाना होगा

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘जहां भी इंडिया नाम है, हटाना होगा। आप देश का केवल एक नाम रख सकते हैं। दो नाम नहीं हो सकते जो आपस में बदलते रहें। इससे बहुत भ्रम की स्थिति पैदा हो जाएगी न केवल देश में, बल्कि बाहर भी।” आचार्य ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में देश का नाम ‘रिपब्लिक ऑफ इंडिया’ है और कल यदि इसे ‘रिपब्लिक ऑफ भारत’ (भारत गणराज्य) लिखा जाना हो तो संविधान बदलना होगा और सभी संबंधित देशों को संदेश भेजना होगा कि ‘हमारा नाम बदल गया’ है।

खुद को नुकसान पहुंचाने वाला कदम होगा

उन्होंने कहा, ‘‘संविधान में संशोधन के माध्यम से यह बदलाव करना होगा। अन्यथा देश का नाम इंडिया ही रहेगा। अनुच्छेद 1 में लिखा ‘इंडिया दैट इज भारत’ केवल वर्णनात्मक है और ऐसा नहीं है कि ये दो नाम आपस में बदले जा सकते हैं। ऐसा करना खुद को नुकसान पहुंचाने वाला कदम होगा। एक देश का एक ही नाम होता है।” संसद के 18 सितंबर से शुरू होने वाले पांच दिवसीय विशेष सत्र में देश का नाम बदलने संबंधी मुद्दा आने की अटकलें भी चल रही हैं।