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गाजा में आतंकवाद के मुद्दे पर UN में भारत विपक्ष सरकार से नाराज, विदेश नीति पर उठाए गए सवाल!

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आतंकवाद पर भारत अब कोई समझौता नहीं करने वाला, भले ही उसे अपनी ऐतिहासिक परंपरा ही क्यों नहीं बदलनी पड़े. हमास ने इजरायल पर बर्बर हमला किया तो खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक शब्दों में इसे आतंकी कार्रवाई बताया…

भारत ने संयुक्त राष्ट्र में एक प्रस्ताव पर वोटिंग से दूर रहकर अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं कि आतंकवाद और आतंकियों के प्रति कोई नरमी नहीं बरती जाएगी चाहे वो फिर भारत में हो या इजरायल में.

कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी पर साधा निशाना

देश की सबसे पुरानी और मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस को यूएन में भारत का यह रुख खल गया है. पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने एक लंबे-चौड़े एक्स पोस्ट में भारत सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा की और मोदी सरकार का नाम लिए बिना कहा कि इसने भारत की नैतिक और मर्यादित परंपराओं का उल्लंघन किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि मजे की बात यह है कि भारत ने इस वक्त यूएन में उसी कनाडा का साथ दिया जिससे अभी छत्तीस का आंकड़ा है.

उन्होंने यह भी कहा कि हमारा देश अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर आधारित है और भारत नैतिक साहस का प्रतिनिधित्व करते है. भारत के सिद्धांतों की याद दिलाते हुए उन्होंने कहा कि हमारा देश अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों पर स्थापित हुआ था, जिन सिद्धांतों के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना जीवन लगा दिया, ये सिद्धांत संविधान का आधार हैं, जो हमारी राष्ट्रीयता को परिभाषित करते हैं.

एक्स पर पोस्ट में, प्रियंका गांधी ने कहा, ”आंख के बदले आंख पूरी दुनिया को अंधा बना देती है”, महात्मा गांधी. मैं स्तब्ध और शर्मिंदा हूं कि हमारे देश ने गाजा में युद्धविराम के लिए मतदान नहीं किया.”

एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने भी फिलिस्तीन के समर्थन में दिया बयान

यूएन में भारत के वोटिंग में शामिल नहीं होने पर एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा, ‘फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत सरकार के बीच भ्रम की स्थिति है. भारत की नीति फिलिस्तीन का समर्थन करने की थी, इजरायल का नहीं. (फिलिस्तीन में) हजारों लोग मर रहे हैं और भारत ने कभी इसका समर्थन नहीं किया. इसलिए मौजूदा सरकार में असमंजस की स्थिति है.”

ओवैसी का सरकार पर हमला

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपने पोस्ट में कहा, ‘यह चौंकानेवाला कदम है कि मोदी सरकार ने मानवीय संघर्ष और नागरिक जीवन की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव पर मतदान करने से मना किया. इजरायल ने गाजा में 7028 लोगों की हत्या कर दी है, जिनमें से 3000 से अधिक बच्चे और 1700 महिलाएं शामिल हैं. गाजा में कम से कम 45% घर नष्ट हो गए हैं, और 14 लाख से अधिक लोग विस्थापित हो गए हैं. युद्ध के बावजूद, गाज़ावासियों को शांति समय में भी पूर्ण बंदूकबंदी का सामना करना पड़ता है, और वे मानवीय सहायता की मांग करते हैं. युद्ध के बाद से हालात और भी बिगड़ गए हैं.