यमन के हूती आंदोलन के नेताओं ने अमेरिका और ब्रिटेन की ओर से यमन पर किए गए हवाई हमले की आलोचना की है.
हूती-समर्थित अल-मसिराह टीवी की वेबसाइट पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ हमलों में यमन की राजधानी सना, तटीय प्रांत अल-हुदैदा, उत्तरी प्रांत सादा, हज्जाह, धमार और ताएज़ पर बम गिराए गए हैं.
हवाई हमलों में डिल्मी एयर बेस के अलावा ताएज़, हुदैदा और हज्जाह के एयरपोर्ट्स को भी निशाना बनाया गया है.
हूती विद्रोहियों के गुट के अल-मासरिहा टीवी प्रसारण में उनके प्रवक्ता याह्या सारेया ने एक बयान जारी किया है.
प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा है, “आज 73 हमले हुए हैं. इनमें राजधानी के अलावा हुदैदा, ताएज़, हज्जाह और सादा को निशाना बनाया गया है. इन हमलों में हमारे पांच सैनिक शहीद हुए हैं और छह घायल हुए हैं.”
याह्या सारेया ने कहा, “यमन के लोगों के विरुद्ध इस आपराधिक आक्रमण के लिए अमेरिकी और ब्रिटिश दुश्मनों की पूरी ज़िम्मेदारी है. इस आक्रमण का जवाब दिया जाएगा. इसकी सज़ा भुगतनी होगी.”
“यमन की सेना इस बात की पुष्टि करती है कि वे इसराइली समुद्री जहाज़ों और अधिकृत फ़लस्तीन के बंदरगाहों की ओर जाने वाले जहाज़ों को निशाना बनाती रहेगी.”
हूती विद्रोही नेतृत्व: ‘इसराइल को बचाने के लिए किया हमला’
हूती विद्रोहियों के नियंत्रण वाली समाचार एजेंसी सबा में छपी एक छोटी से पोस्ट में कहा गया है कि अमेरिकी और ब्रिटिश हमलावरों ने राजधानी सना पर हवाई हमले किए हैं.
मोहम्मद अब्दुलसलाम ने लिखा, “हम ज़ोर देकर कहना चाहते हैं कि इस हमले का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि लाल सागर या अरब सागर में अंतरराष्ट्रीय मालवाहक जहाज़ों को कोई ख़तरा नहीं है. लेकिन हूती (हूती विद्रोही) अब भी इसराइली समुद्री जहाज़ों को निशाना बनाते रहेंगे.”
‘नरसंहार करने वाले के साथ और उसके ख़िलाफ़’
इसी बीच हूती विद्रोहियों के वरिष्ठ नेता मोहम्मद अल-बुख़ैती ने एक्स पर इन हमलों की कड़ी आलोचना की है.
सुबह छपी एक पोस्ट में बुख़ैती ने कहा कि यमन इस युद्ध में विजयी होगा.
उन्होंने लिखा, “सिर्फ़ उन लोगों को डरना चाहिए जो फ़लस्तीनी भाइयों की मदद करने में विफल रहे हैं.”
बाद में उन्होंने कहा, “अमेरिका और ब्रिटेन ने यमन के ख़िलाफ़ जंग छेड़कर ग़लती की है. वे अतीत से बिल्कुल कुछ नहीं सीख रहे हैं.”
उन्होंने याद दिलाया कि ऐसे ही वर्ष 2015 में सऊदी अरब की ओर से यमन पर बमबारी को भी अमेरिका और ब्रिटेन का समर्थन हासिल था और वो भी एक चूक थी.
बुखैती ने कहा, “मुझे कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका और ब्रिटेन अतीत में की गई बेवकूफ़ियों पर ख़ेद कर रहे होंगे. ये लोग जल्द ही समझ जाएंगे कि यमन पर हमला उनके इतिहास की सबसे बड़ी ग़लती है.”
बुखैती ने इसके बाद अंग्रेज़ी में भी एक विस्तृत बयान जारी किया है. उस बयान में उन्होंने कहा कि मौजूदा युद्ध में ये पहचानना मुश्किल नहीं है कि कौन फ़लस्तीनियों के हक़ में है और कौन नहीं…
उन्होंने कहा, “एक पार्टी का मकसद है कि ग़ज़ा में नरसंहार रोकना और उसका प्रतिनिधित्व यमन कर रहा है. दूसरी पार्टी का उद्देश्य है, नरंसहार करने वाले की हिफ़ाज़त करना. और इस पार्टी का प्रतिनिधित्व अमेरिका और ब्रिटेन कर रहे हैं.”
“इसलिए दुनिया में हर शख़्स के पास इस वक़्त दो ही विकल्प हैं, कोई तीसरा विकल्प नहीं है…या तो वे नरसंहार का सामना कर रहे लोगों के साथ खड़े हों या नरसंहार को अंजाम देने वालों के साथ. आप किस ओर हैं.”
एक अन्य वरिष्ठ नेता मोहम्मद अली अल-हूती इस ग्रुप की सुप्रीम राजनीतिक परिषद के सदस्य हैं.
उन्होंने कहा है कि असल में अमेरिका और ब्रिटेन ही ग़ज़ा पर आक्रमण की अगुवाई कर रहे हैं और वे इसराइल के आतंकवाद की रक्षा कर रहे हैं.
“यमन गणराज्य पर ये हमले चुपचाप नहीं सहे जाएंगे. इंशाअल्लाह इनका जवाब दिया जाएगा.”