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छत्तीसगढ़ : 40 वर्षों तक कोयले की जरूरत को पूरी करने के बाद एसईसीएल की बलगी खदान बंद…

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छत्तीसगढ़ : 40 वर्षों तक कोयले की जरूरत को पूरी करने के बाद एसईसीएल की बलगी खदान बंद…

40 वर्षों तक कोयले की जरूरत को पूरी करने के बाद एसईसीएल की बलगी खदान बंद हो गई है। यहां काम करने वाले मजदूरों को दूसरे खदानों में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है।

40 वर्षों तक कोयले की जरूरत को पूरी करने के बाद एसईसीएल की बलगी खदान बंद हो गई है। यहां काम करने वाले मजदूरों को दूसरे खदानों में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। आने वाले दिनों में इस खदान के कामगारों को रजगामार, बगदेवा और ढेलवाडीह में स्थानांतरित किया जाएगा। भले ही खदान बंद हो रही है लेकिन कोरबा के विकास में इस माइंस के योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
कोल इंडिया की तत्कालीन सहयोगी कंपनी डब्ल्यूसीएल (वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) ने 90 के दशक में कोयला खनन के लिए बलगी में प्रक्रिया शुरू की। वर्ष 1983 से इस खदान से कोयला बाहर निकलना शुरू हुआ जो 2024 तक जारी रहा। अब बलगी खदान में कोयला खत्म हो गया है और कंपनी ने इस खदान को बंद करने का निर्णय लिया है। इसके लिए कागजी प्रक्रिया अंतिम चरण में है। बलगी कोयला खदान अंडरग्राउंड है और यहां लगभग 500 मजदूर काम करते हैं।

कंपनी ने यहां काम करने वाले अपने नियमित मजदूरों को दूसरे खदान में स्थानांतरित करने की योजना बनाई है। यहां से मजदूरों को धीरे-धीरे रजगामार, बगदेवा और ढेलवाडीह भेजा जाएगा। बलगी के कोयले में कार्बन की मात्रा अधिक होने के कारण यहां से भिलाई स्थित स्टील प्लांट को कोयला आपूर्ति की योजना बनाई गई। इसके लिए दोनों कंपनियों के बीच एमओयू हुआ। बलगी खदान के कोयले से लंबे समय तक भिलाई स्टाल प्लांट को इंधन की आपूर्ति की जाती रही।

नए नियम के तहत बलगी खदान को संचालित करने के लिए इन्वायरनमेंट क्लीयरेंस की जरूरत है। तब तक के लिए मैनपावर को दूसरे खदानों में अस्थाई तौर पर स्थानांतरित किया जा रहा है। खदान को बंद कर दिया गया है।