छत्तीसगढ़ी समाज, जिला ईकाई- राजनांदगांव, छत्तीसगढ़ द्वारा आज 17 अप्रैल को माननीय महामहिम राष्ट्रपति महोदय, भारत सरकार, नई दिल्ली माध्यमः कलेक्टर महोदय, राजनांदगांव ज्ञापन सोपा. अपने ज्ञापन में छत्तीसगढ़ी समाज, जिला ईकाई- राजनांदगांव, ने राजनांदगांव जिले के ग्राम पंचायत बोरी, में परंपरा के नाम पर हो रही अमानवीय भिक्षावृत्ति की प्रथा पर रोक लगाने मांग की है
उन्होंने जिले राजनांदगांव के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत बोरी, जो कि जिला मुख्यालय से मात्र 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, वहाँ परंपरा और रिवाजों के नाम पर एक अत्यंत अमानवीय कुरीति आज भी प्रचलन में है। गाँव की महिलाएं छोटे बच्चों और दूध मुहे बच्चर्चा को लेकर भिक्षावृति के लिए मजबूर की जाती हैं।
इस प्रकार की भिक्षावृत्ति न केवल महिलाओं और बच्चर्चा के मानवीय अधिकारों का हनन है, बल्कि यह संविधान द्वारा प्रदत्त गरिमापूर्ण जीवन जीने के अधिकार का भी सीधा उल्लंघन है। और भी चिंताजनक तथ्य यह है कि यदि कोई महिला इस प्रथा में भाग नहीं लेती, तो समाज में उसके परिवार को सामाजिक बहिष्कार, जैसे ‘रोटी-बेटी का संबंध न रखना’, जैसी अन्यायपूर्ण कुरीतियों का सामना करना पड़ता है।
हम, छत्तीसगढ़ी समाज, आपसे आग्रह करते हैं किः
* ग्राम बोरी में इस कुरीति की तत्काल जांच करवाई जाए।
ऐसी अमानवीय परंपराओं पर रोक लगाने हेतु प्रशासनिक कार्यवाही की जाए।
* महिलाओं और बच्चों के पुनर्वास, शिक्षा व आजीविका हेतु विशेष योजनाएं शुरू की जाएं।
* समाज में जागरूकता फैलाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए ताकि ऐसी प्रथाएं हमेशा के लिए समाप्त हो सकें। हमें विश्वास है कि आप इस गंभीर सामाजिक मुद्दे पर उचित कदम उठाते हुए प्रभावित समुदायों को न्याय दिलाएंगे।
राजन गांव के ज्वाइंट कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते के दौरान छत्तीसगढ़ी समाज, जिला ईकाई राजनांदगांव, प्रभारी हेमंत लाऊत्रे इकाई से जुड़े सदस्य भी मौजूद रहे…।