डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक प्रह्लाद रामाराव ने रविवार को कहा कि अगर भारत में 10 अब्दुल कलाम हों तो अनुसंधान और विकास के तरीके में सचमुच बदलाव लाया जा सकता है.
Scientist RamaRao News: रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के पूर्व वैज्ञानिक प्रह्लाद रामाराव ने रविवार को कहा कि अगर भारत में 10 अब्दुल कलाम हों तो अनुसंधान और विकास के तरीके में सचमुच बदलाव लाया जा सकता है. बेंगलुरु निवासी रामाराव भारत के ‘मिसाइल मैन’ और पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के गठित मिसाइल निर्माण टीम का हिस्सा थे.
मिसाइलों-ड्रोन हमलों का डटकर किया सामना
रामाराव भारत ने और उनकी टीम ने सतह से हवा में मार करने वाली आकाश नामक स्वदेशी मिसाइल प्रणाली पर 1983 से लगभग 15 साल तक काम किया था. अब उनके लिए गौरव का क्षण है, क्योंकि इसने विशेष रूप से आठ और नौ मई को पाकिस्तानी मिसाइलों और ड्रोन हमलों का डटकर सामना किया.
एक टीम के रूप में मिलकर काम नहीं कर सकते- रामाराव
रामाराव ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘भारत के लिए सबसे बड़ी कठिनाई यह है कि हम व्यक्तिगत रूप से तो अच्छे हैं, लेकिन एक टीम के रूप में मिलकर काम नहीं कर सकते. कलाम इस समस्या को हल करने में बहुत अच्छे थे. उन्होंने मुझे सिखाया कि किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए व्यक्तियों की ऊर्जा को कैसे समन्वित किया जाए. इसलिए मुझे लगता है कि अगर हमारे पास 10 कलाम हों, तो भारत सही मायनों में नेतृत्व कर सकता है.’’
रामाराव ने कहा कि वह केवल 34 साल के थे, जब उन्हें सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल परियोजना का निदेशक बनाया गया था. सइस परियोजना को मूल रूप से ‘एसएएम एक्स’ कहा जाता था और बाद में इसका नाम बदलकर ‘आकाश’ प्रणाली कर दिया गया