दिल्ली विधानसभा का मानसून सत्र आज से शुरू होने जा रहा है, जो 8 अगस्त तक चलेगा. इस बार का सत्र कई मायनों में ऐतिहासिक होने वाला है, क्योंकि दिल्ली विधानसभा अब पूरी तरह डिजिटल और पेपरलेस हो गई है. विधानसभा अध्यक्ष ने सभी विधायकों से आग्रह किया है कि वे इस ई-विधान सभा में सक्रियता से भाग लें और निर्धारित प्रक्रियाओं का पूरी तरह पालन करें.
इस मानसून सत्र के दौरान दिल्ली की राजनीति में गरमाहट तय मानी जा रही है. सत्र के पहले ही दिन मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सदन में दो अहम कैग (CAG) रिपोर्टें पेश करेंगी. पहली रिपोर्ट वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए राज्य वित्त से जुड़ी है, जबकि दूसरी रिपोर्ट ‘भवन और अन्य निर्माण श्रमिकों के कल्याण’ विषय पर केंद्रित होगी.
शिक्षा मंत्री पेश करेंगे फीस कंट्रोल बिल
विधानसभा की कार्यसूची के अनुसार, दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद सदन में ‘दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस तय करने और उसे कंट्रोल करने में पारदर्शिता) विधेयक, 2025’ पेश करेंगे. इस विधेयक को लेकर पहले से ही राजनीति गरमा चुकी है.
आशीष सूद ने पत्रकारों से कहा, ‘इस सत्र में हम कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगे, जिनमें फीस अधिनियम (Fee Bill) प्रमुख है. दिल्ली की जनता को आश्वस्त करता हूं कि उनकी चिंताओं पर सदन में गंभीरता से चर्चा होगी और उनके हित में कानून बनाया जाएगा.’
AAP ने फीस बिल को बताया साजिश
आम आदमी पार्टी (AAP) ने बीजेपी सरकार के इस फीस बिल को सीधे अभिभावकों पर हमला और प्राइवेट स्कूलों के लिए तोहफा बताया है. आप के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने इस विधेयक को ‘शिक्षा माफिया को बचाने के लिए बनाया गया कानून’ करार देते हुए मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से तीखे सवाल पूछे हैं.
सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘जब 1 अप्रैल से नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत हुई, तो लगभग हर प्राइवेट स्कूल ने फीस में भारी बढ़ोतरी कर दी. कुछ स्कूलों ने तो 80 से 82 प्रतिशत तक फीस बढ़ाई. अभिभावकों ने डीपीएस द्वारका जैसे स्कूलों के बाहर कई दिनों तक प्रदर्शन किया. बच्चों को कक्षा में प्रवेश नहीं दिया गया, उन्हें लाइब्रेरी में बैठाया गया, और स्कूलों के बाहर बाउंसर तैनात किए गए.’
उन्होंने आरोप लगाया कि नए विधेयक में ऑडिट और निरीक्षण की व्यवस्था जानबूझकर हटाई गई है, जिससे स्कूलों को मनमानी करने की खुली छूट मिल जाएगी.
सदन में हो सकता है हंगामा
माना जा रहा है कि विधानसभा में कैग रिपोर्ट और फीस विधेयक को लेकर बीजेपी और आप के बीच तीखी बहस और हंगामा हो सकता है. बीजेपी सरकार जहां आप के पुराने कार्यकाल की कैग रिपोर्टों के जरिए हमलावर हो सकती है, वहीं आम आदमी पार्टी स्कूल फीस को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति में जुट गई है.
गौरतलब है कि बीजेपी सरकार ने इससे पहले भी आम आदमी पार्टी के कार्यकाल से जुड़े विभिन्न मामलों में कैग की रिपोर्टें विधानसभा में पेश की थीं, जिन पर खूब बहस और आरोप-प्रत्यारोप हुए थे.
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पेपरलेस और डिजिटल विधानसभा के इस पहले सत्र में कितना सार्थक विमर्श होता है, और किसे राजनीतिक बढ़त मिलती है.