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कर्ज के बोझ तले दबा शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप टाटा सन्‍स से बाहर होने की तैयारी में

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शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड (Tata Sons Pvt.) में अपनी 18.4% हिस्सेदारी बेच सकता है. इस संभावित बिक्री से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल समूह द्वारा बड़े पैमाने पर कर्ज चुकाने में किया जा सकता है. ब्‍लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि कंपनी का लक्ष्य अपने इंफ्रास्ट्रक्चर यूनिट गोस्वामी इंफ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड (Goswami Infratech Pvt.) के जरिए जारी 8,810 करोड़ रुपये के बांड्स का भुगतान करना है, जो अप्रैल 2026 में मैच्‍योर होंगे.
सूत्रों का कहना है कि इस कर्ज का पूरा या आंशिक भुगतान करने से निवेशकों का भरोसा मजबूत होगा और समूह की अन्य पूंजीगत परियोजनाओं को भी गति मिलेगी. हालांकि, यह बातचीत अभी शुरुआती दौर में है और आगे इसमें बदलाव संभव है. इस मामले पर शापूरजी ग्रुप और टाटा संस ने किसी भी तरह की आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है.

3.4 अरब डॉलर हासिल कर चुका है ग्रुप

हाल ही में इकोनॉमिक ने रिपोर्ट दी थी कि टाटा संस ने शापूरजी पल्लोनजी ग्रुप से उसकी हिस्सेदारी से बाहर निकलने के विकल्प तलाशने के लिए बातचीत शुरू की है. यह विकास उस समय सामने आया है, जब तीन महीने पहले ही शापूरजी ने भारत की अब तक की सबसे बड़ी निजी क्रेडिट डील के तहत 3.4 अरब डॉलर की फंडिंग हासिल की थी. समूह अपनी निर्माण और इंजीनियरिंग कंपनी एफकॉन्स का भी 8,500 करोड़ रुपये का आईपीओ लाने की तैयारी में है.
निवेशकों का भरोसा हासिल करना है लक्ष्‍य

टाटा संस की हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त राशि का इस्तेमाल बांड्स के भुगतान में किया जाता है, तो इससे शापूरजी को अपनी उधारी की लागत कम करने में मदद मिलेगी. मई में हुई डील में कंपनी ने 19.75% यील्ड की पेशकश की थी. इसके अलावा, पिछले महीने बैंकिंग नियामक से मिले एक अहम छूट ने कंपनी को इस डील की लागत बढ़ने से बचा लिया.

नहीं सिरे चढ़ी डील क्‍या करेगा एसपी ग्रुप
सूत्रों ने यह भी बताया कि अगर टाटा संस की हिस्सेदारी बिक्री की योजना आगे नहीं बढ़ पाती, तो शापूरजी नवंबर में 2026 के गोस्वामी कर्ज के लिए पुनर्वित्त (रीफाइनेंसिंग) वार्ता शुरू करने की योजना बना रहा है. यह कदम कंपनी की वित्तीय स्थिति को स्थिर रखने और भविष्य की परियोजनाओं के लिए पूंजी जुटाने में अहम साबित हो सकता है.

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