“समाज सेवा से लेकर राष्ट्रनिर्माण तक, जानें RSS की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में किन मुद्दों पर हुई चर्चा”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की तीन दिवसीय अखिल भारतीय समन्वय बैठक रविवार (07 सितंबर, 2025) को जोधपुर में सम्पन्न हुई. अंतिम दिन आयोजित पत्रकार वार्ता में संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने बैठक में हुए विचार-विमर्श का सार प्रस्तुत करते हुए कहा कि देशभर से आए विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं, राष्ट्रीय अध्यक्षों और प्रमुख पदाधिकारियों ने अपनी-अपनी क्षेत्रीय समस्याओं, अनुभवों और कार्य योजनाओं को साझा किया.
महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का संकल्प सुनील आम्बेकर ने कहा कि बैठक में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को लेकर विशेष चर्चा हुई. देशभर में महिलाओं के लिए आयोजित अभियान ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के अंतर्गत 887 कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. क्रीड़ा भारती ने महिला खिलाड़ियों पर एक व्यापक अध्ययन कर उनकी समस्याओं के बारे में बताया.
अध्ययन से यह सामने आया कि आज अनेक महिलाएं योग, ध्यान और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी कर रही हैं. आम्बेकर ने कहा, ‘महिलाओं की सहभागिता निरंतर बढ़ रही है और हम चाहते हैं कि यह सहभागिता और व्यापक हो. संघ प्रेरित सभी संगठन इस दिशा में सतत प्रयासरत हैं.’
शिक्षा नीति पर व्यापक विचार बैठक में शिक्षा से जुड़ी संस्थाओं ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर मंथन किया. विद्या भारती, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, शिक्षा संस्कृति उत्थान, भारतीय शिक्षण मंडल और विद्यार्थी परिषद जैसे संगठनों ने अपनी भूमिका साझा करते हुए बताया कि वे केंद्र और राज्य स्तर पर शिक्षा को भारतीय दृष्टि से आगे बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास कर रहे हैं.
एनसीईआरटी सहित शिक्षा से जुड़ी संस्थाओं में पाठ्यपुस्तकों के पुनर्लेखन में विशेषज्ञों के साथ मिलकर सुझाव दिए गए. भाषा, इतिहास और भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल कर पाठ्यक्रमों को समृद्ध करने का प्रयास किया जा रहा है.
सामाजिक चुनौतियों पर गंभीर चिंतन आम्बेकर ने कहा, ‘देश के सामान्य लोगों को प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा उपलब्ध हो, इसके लिए संघ का निरंतर प्रयास है. विभिन्न संगठनों ने मिलकर समाज में जागरूकता फैलाने का काम शुरू किया है.’
बैठक में देश के विभिन्न हिस्सों में उत्पन्न हो रही समस्याओं पर भी चर्चा हुई. देशभर में बढ़ रहे लव जेहाद के मामलों को लेकर उन्होंने कहा कि इसको लेकर जमीनी तौर पर काम किया जा रहा है. लोगों में इसके प्रति जागरूकता के लिए कई संगठन काम कर रहे हैं. इसके साथ ही लोगों को भी जागरूक होना जरूरी है कि किस तरह से जिहाद का जहर लोगों में फैलाया जा रहा है.
धर्म परिवर्तन को लेकर क्या बोले आम्बेकर? धर्म परिवर्तन को लेकर आम्बेकर ने कहा कि इसके लिए भी जागरूकता की जरूरत है और जागरूक समाज को होना चाहिए और समाज को जागृत करने के लिए जमीन स्तर पर हम लोग काम कर रहे हैं. पंजाब में बढ़ते मतांतरण और नशे के दुष्परिणाम पर चिंता व्यक्त की गई. युवाओं में बढ़ती ड्रग्स की लत और उसके प्रभाव पर सभी संगठनों ने चिंता जताई.
बंगाल में अवैध घुसपैठ और लॉ एंड ऑर्डर की बिगड़ती स्थिति को लेकर भी गहरी चिंता प्रकट की गई. वहां रहने वाले अवैध नागरिकों के कारण समाज में उत्पन्न समस्याओं का समाधान आवश्यक बताया गया.
मणिपुर हिंसा को लेकर आम्बेकर का बयान पूर्वोत्तर क्षेत्र में जातीय हिंसा को कम करने के प्रयास साझा किए गए. विशेष रूप से मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच उत्पन्न विवाद के बाद भारत सरकार की ओर से समझौते और मार्ग खोलने को शांति की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया गया. आम्बेकर ने कहा, ‘हम सब मिलकर प्रयास कर रहे हैं कि विभिन्न जाति और जनजातियों में प्रेम और सौहार्द बना रहे. नफरत और हिंसा का स्थान सहयोग और विश्वास ले.’
आपदा राहत कार्यों में योगदान हाल ही में जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान में आई बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में स्वयंसेवकों ने राहत कार्यों में सक्रिय भागीदारी की. सेवा भारती समेत कई संगठनों ने जरूरतमंदों तक राहत सामग्री, चिकित्सा सुविधा और पुनर्वास के उपाय पहुंचाए. आम्बेकर ने कहा, ‘जहां-जहां आवश्यकता है, वहां स्वयंसेवक और संगठन के कार्यकर्ता सेवा के लिए तत्पर हैं. संकट की घड़ी में मानवता की सेवा ही सर्वोच्च कर्तव्य है.’
वनवासी क्षेत्रों में सेवा और चुनौतियां वनवासी कल्याण आश्रम समेत विभिन्न संगठनों ने नक्सली हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक विकास की दिशा में कार्यरत रहने की जानकारी साझा की. हालांकि हिंसा में कमी आई है, फिर भी वहां की समस्याएं अभी पूरी तरह हल नहीं हुई हैं. जनजातीय समुदायों के लिए छात्रावास, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार योजनाओं पर कार्य हो रहा है. संगठन नक्सली प्रभावों से जनजातीय युवाओं को बचाने के लिए विशेष अभियान चला रहे हैं.
शताब्दी वर्ष के आयोजन और पंच परिवर्तन संकल्प बैठक में संघ के शताब्दी वर्ष को लेकर योजनाओं पर भी चर्चा की गई. पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबंधन, नागरिक कर्तव्यों जैसे विषयों पर कार्यक्रम तैयार किए जा रहे हैं. आम्बेकर ने कहा, ‘यह आयोजन केवल शताब्दी वर्ष तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आने वाले समय में भी समाज की सेवा और संगठन की सक्रियता निरंतर जारी रहेगी.’
उन्होंने कहा, ‘आगामी कार्यकारी मंडल की बैठक 30 अक्टूबर से 1 नवंबर तक जबलपुर में आयोजित होगी. वहीं, 2 अक्टूबर को नागपुर में पूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत का उद्बोधन शताब्दी वर्ष की शुरुआत का प्रतीक होगा.’
समाज में सेवा और राष्ट्रभावना ही उद्देश्य जोधपुर में सम्पन्न यह समन्वय बैठक संघ से जुड़े विभिन्न संगठनों की सामूहिक शक्ति और सामाजिक प्रतिबद्धता का प्रतीक रही. महिलाओं की सहभागिता से लेकर शिक्षा, सामाजिक सुरक्षा, सेवा कार्य, आपदा राहत, जनजातीय विकास और शांति स्थापित करने जैसे विषयों पर विचार-विमर्श कर एक नई दिशा तय की गई. सभी संगठनों ने मिलकर समाज में सहयोग, सेवा और राष्ट्रभावना को बढ़ावा देने का संकल्प लिया.