सीपी राधाकृष्णन देश के 15वें उपराष्ट्रपति चुन लिए गए हैं. महाराष्ट्र के राज्यपाल रह चुके राधाकृष्णन ने मंगलवार को उपराष्ट्रपति चुनाव में शानदार जीत दर्ज की. 68 साल के एनडीए उम्मीदवार ने कुल 452 प्रथम वरीयता वोट हासिल किए, जबकि विपक्ष के उम्मीदवार और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोटों पर संतोष करना पड़ा.
राज्यसभा सचिवालय के अनुसार, कुल 781 सांसद इस चुनावी प्रक्रिया का हिस्सा थे. इनमें से 767 सांसदों ने मतदान किया. 15 वोट अमान्य घोषित हुए और 14 सांसदों ने मतदान से परहेज किया. इसमें बीजू जनता दल (7 सांसद), भारत राष्ट्र समिति (4 सांसद), शिरोमणि अकाली दल (1 सांसद) और पंजाब के दो निर्दलीय सांसद शामिल थे.
उपराष्ट्रपति चुनाव में डाले गए 15 वोट अमान्य पाए गए. वैसे काउंटिंग शुरू होने से पहले एनडीए की ताकत संसद में 427 वोटों की मानी जा रही थी. लेकिन नतीजे आने पर राधाकृष्णन के खाते में 452 वोट आए. माना जा रहा था कि एनडीए को वाईएसआर कांग्रेस का समर्थन मिलेगा, जिसके चार सांसद लोकसभा में और सात राज्यसभा में हैं. ऐसे में एनडीए का आंकड़ा 438 पर पहुंचता, लेकिन अंतिम नतीजों में 14 अतिरिक्त वोट मिले.
इंडिया गठबंधन में फूट!
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, ‘एनडीए की ताकत 427 थी, लेकिन हमें 25 अतिरिक्त वोट मिले. यह दिखाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों और नेतृत्व पर विपक्षी सांसदों को भी भरोसा है.’
बीजेपी के मुख्य सचेतक संजय जायसवाल ने दावा किया कि लगभग 40 विपक्षी सांसदों ने एनडीए उम्मीदवार का समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘हम उन सभी सांसदों का भी आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनी और राधाकृष्णन को वोट दिया.’
इन दोनों दलों पर क्रॉस वोटिंग का शक
बीजेपी नेताओं का कहना है कि झारखंड और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों से विपक्षी सांसदों ने राधाकृष्णन के पक्ष में मतदान किया. एनडीए की ओर से दावा किया गया कि विपक्षी खेमे में सेंधमारी के चलते यह अतिरिक्त समर्थन मिला. हालांकि आम आदमी पार्टी और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने इन आरोपों से इनकार किया है.
एनडीए की यह जीत विपक्ष के लिए बड़ा झटका मानी जा रही है. क्योंकि इंडिया गठबंधन बार-बार अपनी एकजुटता पर जोर देता रहा है, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव के नतीजों ने उसकी कमजोरियों को उजागर कर दिया.
राधाकृष्णन की जीत पर बोले धनखड़
उपराष्ट्रपति चुनाव में जीत के साथ ही राधाकृष्णन इस पद पर जगदीप धनखड़ के उत्तराधिकारी बनेंगे. धनखड़ ने राधाकृष्णन को जीत की बधाई दी है. जुलाई में अचानक इस्तीफा देने के बाद धनखड़ का यह पहला सार्वजनिक बयान था, जिसमें उन्होंने कहा कि राधाकृष्णन के विशाल अनुभव से उपराष्ट्रपति का पद और अधिक गौरव हासिल करेगा.
राधाकृष्णन को लिखे पत्र में धनखड़ ने कहा, ‘आपका इस गरिमामय पद पर चयन हमारे राष्ट्र के जनप्रतिनिधियों के विश्वास और भरोसे को दर्शाता है. आपके सार्वजनिक जीवन के विशाल अनुभव के चलते आपके नेतृत्व में यह पद निश्चित ही और अधिक श्रद्धा व गरिमा प्राप्त करेगा.’
ध्यान दिला दें कि जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद नए चुनाव कराए गए और राधाकृष्णन इस पद पर उनके उत्तराधिकारी बने.