CG Tourism: वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर इस जगह को और भी आकर्षक बनाया है। लगभग 20 लाख रुपये की लागत से बैठने की जगह, ट्रैकिंग पाथ और छोटे-छोटे व्यू-प्वाइंट्स भी बनाए गए हैं। इन अद्भुत कलाकृतियों को 10 कलाकारों की टीम ने कई महीनों की मेहनत से तैयार किया है। हर आकृति को इस तरह तराशा गया है कि वह देखने में प्राकृतिक और जीवंत लगे।
गरियाबंद जिले के चिंगरापगार में पत्थरों से बने जीव-जंतुओं के शिल्प पर्यटकों को खूब लुभा रहे हैं। ये कलाकृतियां इतनी जीवंत हैं कि इन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो ये अभी हिलने-डुलने लगेंगी। रायपुर से लगभग 50 किलोमीटर दूर स्थित यह जगह एक नया पर्यटन केंद्र बनकर उभर रही है।
चिंगरापगार की खासियत
यहां के पत्थरों पर अजगर (पायथन), शेर, बिच्छू, चील (ईगल), घोंघा, पैंगोलिन और मगरमच्छ जैसे 24 जानवरों की आकृतियां उकेरी गई हैं। ये कलाकृतियां झरने और हरियाली के बीच बनी हैं, जिससे यहां का माहौल और भी शांत और मनमोहक हो जाता है।
पर्यटन को बढ़ावा
वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने मिलकर इस जगह को और भी आकर्षक बनाया है। लगभग 20 लाख रुपये की लागत से बैठने की जगह, ट्रैकिंग पाथ और छोटे-छोटे व्यू-प्वाइंट्स भी बनाए गए हैं, जिससे यह जगह परिवार के साथ घूमने के लिए एक बेहतरीन पिकनिक स्पाट बन गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल रायपुर के आसपास के पर्यटन को बढ़ावा देगी।
10 कलाकारों का कमाल
इन अद्भुत कलाकृतियों को 10 कलाकारों की टीम ने कई महीनों की मेहनत से तैयार किया है। हर आकृति को इस तरह तराशा गया है कि वह देखने में प्राकृतिक और जीवंत लगे। कलाकारों का मानना है कि यह प्रयास न केवल कला को बढ़ावा देगा बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी खोलेगा। सप्ताहांत पर सैकड़ों की संख्या में पर्यटक यहां आ रहे हैं और इस अनूठे “पत्थरों के चिड़ियाघर” का आनंद ले रहे हैं। एक पर्यटक ने बताया कि यह जगह बिल्कुल किसी पत्थर की जंगल सफारी जैसी है।