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“भक्ति नहीं, ये है गहन साधना… जानें पीएम मोदी कैसे रखते हैं नवरात्रि का व्रत?”

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नवरात्रि में यूँ तो हर कोई देवी की आराधना करता है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का व्रत सिर्फ़ प्रार्थना नहीं, बल्कि गहन साधना है। जहाँ आम लोग फल और मिठाइयों पर निर्भर रहते हैं, वहीं प्रधानमंत्री मोदी अपने जीवन को अनुशासन की प्रयोगशाला बना लेते हैं।

उनके लिए यह व्रत तन से ज़्यादा मन और आत्मा को साधने का ज़रिया है।

मोदी उपवास को साधना क्यों मानते हैं? प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं कि नवरात्रि के नौ दिन उनके जीवन के सबसे पवित्र दिन होते हैं। भोजन से परहेज़ करने से न सिर्फ़ उनकी भूख शांत होती है, बल्कि इंद्रियाँ भी तेज़ होती हैं। उनका मानना ​​है कि उपवास के दौरान पानी की सुगंध का अनुभव किया जा सकता है। यह कोई साधारण उपवास नहीं, बल्कि तपस्या है, जहाँ भूख की पीड़ा आत्मबल में बदल जाती है।

एक फल, एक बार… इच्छाओं पर नियंत्रण प्रधानमंत्री मोदी का व्रत दूसरे लोगों से अलग है। वे एक फल चुनते हैं और पूरे व्रत के दौरान सिर्फ़ उसी का सेवन करते हैं। कभी पपीता, कभी सेब, तो कभी सिर्फ़ नारियल पानी। इस विधि से वे तन को तो साधा रखते ही हैं, साथ ही मन को भी एकाग्र करते हैं। स्वाद और विकल्पों पर नियंत्रण होने पर आत्मा पर अधिकार स्वतः ही बढ़ जाता है। उन्होंने एक पॉडकास्ट में भी इसका ज़िक्र किया है।

दिन सिर्फ़ पानी के सहारे गुज़रते थे कभी-कभी तो वे पूरे नवरात्रि के दिन सिर्फ़ गुनगुने पानी पर ही गुजारा करते हैं। यह सुनकर कोई भी हैरान हो सकता है कि देश के सबसे व्यस्त और दबाव में रहने वाले प्रधानमंत्री मोदी इतना अभ्यास कैसे कर पाते हैं। लेकिन मोदी के लिए यह चरम संयम है। जहाँ शरीर की ऊर्जा आंतरिक शुद्धि में लीन हो जाती है और मन शून्यता की ओर अग्रसर होता है।

सादगी में छिपा स्वास्थ्य मंत्र उपवास के अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का खान-पान बेहद सादा है। सहजन का पराठा, नीम के पत्ते और मिश्री, खिचड़ी और हल्का भोजन। ये सब उनकी दिनचर्या का हिस्सा हैं। योग, ध्यान और सैर के साथ उनकी दिनचर्या यह साबित करती है कि वे स्वास्थ्य और अध्यात्म को जीवन का आधार मानते हैं।

धैर्य ही असली शक्ति है हाल ही में दिल्ली में दूषित कुट्टू के आटे के कारण सैकड़ों लोग बीमार पड़ गए, जिसने हमें याद दिलाया कि उपवास के दौरान सावधानी और सफ़ाई भी उतनी ही ज़रूरी है। मोदी का अनुशासित और संयमित उपवास हमें सिखाता है कि नवरात्रि का असली संदेश केवल देवी की भक्ति नहीं, बल्कि स्वयं पर विजय है।

नवरात्रि व्रत राजनीति से परे एक संदेश है प्रधानमंत्री मोदी का नवरात्रि व्रत राजनीति से परे एक संदेश देता है कि संयम ही सबसे बड़ा हथियार है। जहाँ लोग उपवास को केवल आस्था से जोड़ते हैं, वहीं प्रधानमंत्री मोदी इसे आत्म-अनुशासन की तपस्या बताते हैं। यही वजह है कि उनका उपवास आज भी चर्चा में है, क्योंकि यह केवल भूख का त्याग नहीं, बल्कि मन और आत्मा की गहन साधना है।