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”आखिर क्यों ऐन मौके पर नेतन्याहू ने बदला हवाई रूट? जानें इसके पीछे की मुख्य वजह ”

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इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू जब इस सप्ताह संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में शामिल होने न्यूयॉर्क रवाना हुए तो उनकी यात्रा ने सबका ध्यान खींचा. सामान्य तौर पर तेल अवीव से जेएफके एयरपोर्ट तक की उड़ान 10.5 घंटे की होती है, लेकिन इस बार उनकी यात्रा करीब 13 घंटे लंबी रही.

विमान ने पूर्वी भूमध्य सागर से होते हुए ग्रीस और इटली के ऊपर से उड़ान भरी. फिर अचानक दक्षिण-पश्चिम की ओर मुड़कर जिब्राल्टर स्ट्रेट से होकर अटलांटिक महासागर पार किया. सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि विमान ने फ़्रांस और स्पेन के हवाई क्षेत्र को पूरी तरह नजरअंदाज किया. यह रूट चेंज करना सिर्फ़ तकनीकी कारण नहीं था, बल्कि इसके पीछे गहरी राजनीतिक और कानूनी वजहें थीं.

आईसीसी वारंट और अंतर्राष्ट्रीय कानूनी दबाव 2024 में अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) ने गाजा में इजरायली सैन्य अभियानों के दौरान कथित युद्ध अपराधों के लिए नेतन्याहू के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया. नेतन्याहू ने इसे झूठा और बेतुका कहकर खारिज कर दिया,लेकिन अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत आईसीसी के सदस्य देशों को यदि मौका मिले तो उन्हें गिरफ्तार करना होगा.यही कारण है कि नेतन्याहू ने उन देशों के ऊपर से उड़ान भरने से परहेज किया, जहां उतरने की स्थिति में कानूनी जोखिम पैदा हो सकता था. ध्यान देने वाली बात यह है कि न तो अमेरिका और न ही इजरायल आईसीसी के सदस्य हैं, इसलिए वहां नेतन्याहू को किसी कानूनी खतरे का सामना नहीं करना पड़ता.

यूरोप की कूटनीतिक सख्ती हालांकि फ्रांस ने नेतन्याहू को अपने हवाई क्षेत्र से गुजरने की अनुमति दे दी थी, लेकिन उन्होंने खुद ही इसे टालना उचित समझा. इसका कारण था बढ़ते यूरोपीय राजनीतिक दबाव. स्लोवेनिया ने हाल ही में नेतन्याहू पर प्रतिबंध लगाए हैं, आईसीसी की कार्यवाही का हवाला देते हुए. जुलाई 2025 में, स्लोवेनिया ने इज़रायली मंत्रियों बेज़ेलेल स्मोट्रिच और इटमार बेन ग्विर पर भी फिलिस्तीनियों के खिलाफ हिंसा भड़काने के आरोप में प्रतिबंध लगाए थे. कई यूरोपीय देश हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में फ़िलिस्तीनी राज्य की मान्यता की घोषणा कर चुके हैं, जिसका नेतन्याहू कड़ा विरोध कर रहे हैं. अमेरिकी विदेश विभाग के पूर्व अधिकारी स्टीव गनयार्ड के अनुसार, ‘कुछ सरकारों के लिए नेतन्याहू को अपने देश के ऊपर से उड़ान भरने की अनुमति देना ही राजनीतिक दायित्व बन सकता है.’

नेतन्याहू के लिए बढ़ते कूटनीतिक खतरे इस उड़ान मार्ग से साफ संकेत मिलता है कि नेतन्याहू की अंतर्राष्ट्रीय यात्राएं अब केवल कूटनीतिक नहीं रहीं, बल्कि वे कानूनी जोखिमों से भी घिरी हुई हैं. यूरोपीय देशों का दबाव और आईसीसी वारंट उन्हें सीमित कर रहा है. अमेरिका जैसे सहयोगी देशों में वे सुरक्षित हैं, लेकिन यूरोप में उनका दायरा लगातार सिमट रहा है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह इजरायल की छवि और नेतन्याहू की व्यक्तिगत राजनीतिक स्थिति दोनों पर असर डाल रहा है.