9 महीनों में आए 28 हजार से ज्यादा भूकंप, वैज्ञानिकों ने बताई हैरान करने वाली वजह, क्यो आ रहे बार-बार Earthquakes.
धरती के भीतर चल रही हलचल जब सतह पर असर दिखाने लगती है, तो उसका नतीजा अक्सर विनाशकारी होता है। ग्रीस के सुंदर लेकिन ज्वालामुखीय इतिहास से जुड़े सेंटोरिनी द्वीप पर बीते 9 महीनों में जो कुछ हुआ है, वह न सिर्फ स्थानीय लोगों बल्कि दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए भी चिंता का विषय बन गया है।
यहां एक के बाद एक आए हजारों भूकंपों ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि आखिर इतनी बार धरती क्यों कांप रही है?
अब इस रहस्य से पर्दा उठ चुका है। वैज्ञानिकों ने महीनों की रिसर्च और जमीनी जांच के बाद साफ किया है कि इन लगातार आ रहे भूकंपों के पीछे एक ही वजह है – धरती के गर्भ से ऊपर की ओर उठता हुआ मैग्मा।
लगातार कांप रही धरती के पीछे की कहानी सेंटोरिनी द्वीप पर जब 2024 के जुलाई महीने से भूकंप के झटकों की शुरुआत हुई, तो वैज्ञानिकों को शक हुआ कि यह कोई सामान्य भूकंपीय गतिविधि नहीं है। शुरुआत में कम तीव्रता वाले झटकों की संख्या बढ़ती गई, और 2025 के शुरुआती महीनों में यह आंकड़ा तेजी से ऊपर जाने लगा। अब तक यहां 28,000 से ज्यादा भूकंप रिकॉर्ड किए जा चुके हैं।
इस असामान्य गतिविधि की तह तक जाने के लिए वैज्ञानिकों ने द्वीप के आसपास और पास के समुद्री इलाके में भूगर्भीय उपकरण लगाए। खासतौर पर ‘कोलुम्बो’ नामक अंडरवॉटर वोल्केनो, जो सेंटोरिनी से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, उस पर फोकस किया गया।
AI और भूगर्भीय आंकड़ों से मिला चौंकाने वाला सच रिसर्च टीम ने इस डेटा को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से एनालाइज़ किया और यह निष्कर्ष निकाला कि करीब 300 मिलियन क्यूबिक मीटर मैग्मा धरती की गहराई से ऊपर की ओर बढ़ रहा है। जब मैग्मा ऊपर की ओर उठता है, तो वह चट्टानों को तोड़ता हुआ रास्ता बनाता है – यही प्रक्रिया भूकंप की मुख्य वजह है।
इस स्टडी के प्रमुख लेखक और GFZ रिसर्च सेंटर के जियोफिजिसिस्ट डॉ. मारियस इस्केन ने बताया कि यह पहली बार है जब वैज्ञानिक इतनी स्पष्टता से मैग्मा की गति और दिशा को समझ पाए हैं। उनके अनुसार, इस बार की हलचल ने हमें यह भी बताया कि ज्वालामुखी गतिविधियों को समझने के लिए सतह के नीचे हो रहे बदलावों पर नजर रखना कितना जरूरी है।
टेक्टोनिक प्लेटों की टकराहट और ज्वालामुखी की भूख सेंटोरिनी और उसके आसपास का इलाका भूगर्भीय रूप से बेहद सक्रिय है। यह क्षेत्र विभिन्न माइक्रोप्लेट्स के टकराने और सरकने की वजह से प्रभावित रहता है। इन्हीं प्लेट्स के खिसकने से पृथ्वी की परतों में दरारें बनती हैं, और पिघलती चट्टानों से बनता है मैग्मा – जो समय के साथ सतह की ओर बढ़ता है और ज्वालामुखीय गतिविधियों को जन्म देता है।
कोलुम्बो अंडरवॉटर वोल्केनो भी इस भूगर्भीय हलचल का एक सक्रिय हिस्सा है, और इसके नीचे दबा हुआ मैग्मा फिलहाल फिर से हरकत में है।
इतिहास खुद को दोहराता है? सेंटोरिनी का भूगर्भीय इतिहास भी डरावना रहा है। साल 1956 में यहां भयंकर भूकंप आए थे – सिर्फ 13 मिनट के भीतर दो बड़े झटकों ने इस क्षेत्र को हिला दिया था, जिनकी तीव्रता क्रमशः 7.4 और 7.2 मापी गई थी। उन झटकों के कारण इलाके में सुनामी भी आई थी।
अब 2025 में फिर से उसी क्षेत्र में लगातार भूकंप दर्ज किए जा रहे हैं, और वैज्ञानिकों ने पुष्टि की है कि इनका केंद्र ठीक वही है, जहां 1956 में था। इस बार मैग्मा करीब 18 किलोमीटर गहराई से ऊपर उठकर केवल 3 किलोमीटर की गहराई तक आ चुका है, जो कि एक संभावित खतरे की ओर इशारा करता है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, फिलहाल सेंटोरिनी में किसी बड़े ज्वालामुखी विस्फोट की पुष्टि नहीं की जा सकती, लेकिन जिस तरह से मैग्मा लगातार ऊपर बढ़ रहा है और धरती को हिला रहा है, उससे यह तय है कि सतर्कता बेहद जरूरी है। इस रिसर्च ने यह भी दिखा दिया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मॉडर्न टेक्टोनिक स्टडीज़ किस तरह भविष्य की आपदाओं को समझने और उनसे बचने का मौका दे सकती हैं।