राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती देश के साथ ही विदेशों में भी प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को मनाई जाती है। इस वर्ष गांधी जी की 156वीं जयंती सेलिब्रेट की जा रही है।
हर साल गांधी जयंत पर स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालयों सहित सामाजिक संस्थानों में भाषण, कविताओं का मंचन किया जाता है और गांधी जी द्वारा देश के दिए गए योगदान को याद किया जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।
अगर आप भी ऐसे ही किसी कार्यक्रम में शामिल होने वाले हैं और एक स्पीच तैयार करने की सोच रहे हैं तो यह पेज आपके लिए महत्वपूर्ण है। आप यहां से कविताओं इस सज्जित एक बेहतरीन भाषण तैयार कर सकते हैं।
Gandhi Jayanti Par Speech: गांधी जयंती पर स्पीच
इस कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों को मेरा प्रेम भरा नमस्कार, जैसा कि सभी जानते हैं कि हम यहां एक ऐसे महापुरुष की जयंती के उपलक्ष्य में एकत्रित हुए हैं जिन्होंने हमारे देश को एक सूत्र में पिरोने के साथ ही देश की आजादी में अपने प्राणों की चिंता न करते हुए अपना सर्वस्व न्योछाबर कर दिया। इस महापुरुष को याद करते हुए मैं सुमित्रानन्द पंत द्वारा लिखित कविता सुनाना चाहता हूं.
तुम मांस-हीन, तुम रक्तहीन,
हे अस्थि-शेष! तुम अस्थिहीन,
तुम शुद्ध-बुद्ध आत्मा केवल,
हे चिर पुराण, हे चिर नवीन!
तुम पूर्ण इकाई जीवन की,
जिसमें असार भव-शून्य लीन,
आधार अमर, होगी जिस पर
भावी की संस्कृति समासीन।
जैसा की हम सभी जानते हैं गांधी जयंती हर साल 2 अक्टूबर को मनाई जाती है, यह दिन हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को समर्पित है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 में पोरबंदर के गुजरात में हुआ था। गांधीजी ने हमें सिखाया कि सच्चाई और अहिंसा के रास्ते पर चलकर भी कई परिवर्तन लाये जा सकते हैं। बिना हथियार उठाये उन्होंने सत्याग्रह और शांतिपूर्ण आंदोलनों जैसे चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, दांडी यात्रा, और भारत छोड़ो आंदोलन का प्रतिनिधित्व किया।
गांधीजी का मानना था, “आप वो बदलाव बनिए, जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।” उनकी यही सोच आज भी हमें प्ररेणा देती है कि हम अपने जीवन में सच्चाई, स्वच्छता और प्रेम को अपनाएं। उन्होंने छुआछूत, भेदभाव और अशिक्षा के विरुद्ध लम्बे समय तक संघर्ष किया और समाज में समानता का सपना देखा। गांधीजी ने ‘Simple living, high thinking’ को अपने जीवन का मंत्र बनाया और स्वदेशी, स्वावलंबन, और खुद पर विश्वास रखना सिखाया।
वर्तमान समय में दुनिया जब हिंसा और असहिष्णुता से जूझ रही है, तब गांधीजी की सोच और भी अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। संयुक्त राष्ट्र ने भी 2 अक्टूबर को ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस’ के रूप में घोषित किया है, ताकि गांधीजी के आदर्शों को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिले।
वैसे तो गांधी जी के बारे में हमारे देश में बच्चे-बच्चे को मालूम है लेकिन पिछले कुछ समय से मीडिया में गांधी जी के बारे में दुष्प्रचार भी सामने आया है। सोशल मीडिया के चलते लोग गांधी जी का अपमान ही करने लगे हैं। ऐसे लोगों से मैं रामधारी सिंह दिनकर की एक कविता से जवाब देना चाहूंगा-एक देश में बांध संकुचित करो न इसको, गांधी का कर्तव्य-क्षेत्र दिक नहीं, काल है।
गांधी हैं कल्पना जगत के अगले युग की, गांधी मानवता का अगला उद्विकास हैं।
वर्तमान परिदृश्य हमारे राष्ट्रपिता गांधी जी के लिए सबसे बड़ी श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके आदर्शों को अपने आचरण में उतारें, सच बोलें, हिंसा से दूर रहें और देश व समाज की सेवा करें।आइए, इस गांधी जयंती पर हम संकल्प लें कि हम भी अपने राष्ट्रपिता के रास्ते पर चलकर देश और समाज को बेहतर बनाएंगे।
मैं यहां उपस्थित सभी लोगों से यही कहना चाहूंगा गांधी जी के इस विजन को हम आगे तक लेकर जाने का संकल्प लें। उनके इस विजन के लिए मैं कहना चाहूंगा-सौगंध मुझे इस मिट्टी की, मैं देश नहीं मिटने दूंगा, मैं देश नहीं मिटने दूंगा, मैं देश नहीं झुकने दूंगा।
अपने इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं। जय हिन्द, जय भारत।