चुनाव आयोग ने रविवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट कर दिया है कि 22 नवंबर को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है और इससे पहले चुनाव संपन्न हो जाएंगे।
प्रेस वार्ता की शुरुआत में उन्होंने कहा कि बिहार में सफलता के साथ SIR की प्रक्रिया पूरी हुई है। इसके लिए उन्होंने एसआईआर के जरिए वोटर लिस्ट को शुद्ध करने वाले BLO का धन्यवाद किया।
चुनाव आयुक्त ने बताया कि जिनके वोटर कार्ड के डाटा में कोई परिवर्तन होगा, उन्हें 15 दिनों के अंदर ईपिक मिल जाएगा। वोटर की जांच किस तरह करनी है, उसी के तहत जांच की गई है। जिन लोगों ने मतदाता सूची के लिए नामांकन भरा होगा, वह आधार देने के लिए बाध्य नहीं हैं। चुनाव आयोग, आधार अथॉरिटी के नियम और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत आधार न जन्मतिथि, न नागरिकता और न ही नागरिकता का प्रमाणपत्र है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश आया तो हमने पुनरीक्षण में आधार कार्ड लेने की व्यवस्था दी। संविधान के तहत, मतदाता बनने के लिए भारत का नागरिक होना जरूरी है। वोटर जहां रहता है, उसके आसपास के बूथ का मतदाता हो सकता है। गैर-भारतीय होने के आधार पर कितने नाम कटे, इसपर मुख्य चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कि सभी चिह्नित अयोग्य मतदाताओं का नाम हटाया गया है। इसकी सूची जिला निर्वाचन पदाधिकारियों के पास भी है और राजनीतिक दलों के पास भी है।
चुनाव आयुक्त ने भोजपुरी में किया बिहार के मतदाताओं का अभिवादन
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार का अनोखा अंदाज देखने मिला। वो भोजपुरी में बिहार के मतदाताओं का अभिवादन करते हुए नजर आए। उन्होंने कहा कि जिस तरह हम अपने पर्व-त्योहारों और विशेष रूप से लोक आस्था के महापर्व छठ को मनाते हैं, उसी तरह बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान को उत्साह के साथ मनाएं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने PC में बताया कि बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटों में 38 सीटें अनुसूचित जाति और दो सीटें अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिए आरक्षित हैं। बिहार चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग की टीम दो दिनों के राज्य के दौरे पर रहीं। इस दौरान चुनाव आयोग के अधिकारियों ने पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों के साथ ही बैठक की।