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“म्यांमार में बौद्ध समुदाय के 24 लोगों की हत्या, पैरामोटर से बरसाए गए बम”

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म्यांमार के मध्य हिस्से में एक धार्मिक त्योहार और सैन्य सरकार के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शन पर हुए पैरामोटर हमले में कम से कम 24 लोगों की मौत हो गई. 47 अन्य घायल हो गए. ये जानकारी निर्वासित नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (NUG) के प्रवक्ता ने दी है.

यह हमला थादिंग्युत त्योहार के मौके पर हुआ, जो बौद्ध परंपराओं से जुड़ा एक राष्ट्रीय अवकाश है. सोमवार शाम चाऊंग यू टाउनशिप में लगभग 100 लोग इकट्ठा हुए थे. यह आयोजन न केवल त्योहार मनाने के लिए था, बल्कि एक कैंडललाइट विरोध सभा भी थी जिसमें लोग सैन्य जुंटा की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे.

सात मिनट में बरपा कहर

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, जब कार्यक्रम चल रहा था, तब स्थानीय पीपुल्स डिफेंस फोर्स (PDF) को संभावित हवाई हमले की सूचना मिली. आयोजकों ने कार्यक्रम जल्द खत्म करने की कोशिश की, लेकिन उससे पहले ही पैरामोटर मौके पर पहुंच गए.

PDF के एक अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि वे सात मिनट के भीतर पहुंचे और दो बम गिरा दिए. पहला बम गिरते ही मैं जमीन पर गिर पड़ा, मेरे पैर में चोट लगी, और मेरे पास खड़े लोग मारे गए. स्थानीय लोगों ने बताया कि धमाकों से इतना विनाश हुआ कि कई शवों की पहचान तक मुश्किल हो गई.

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने जताई चिंता

मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार को कहा कि पैरामोटर के जरिए किए जा रहे ये हमले म्यांमार में चिंताजनक हैं. यह हमला एक भयानक चेतावनी है कि म्यांमार के नागरिकों को तत्काल सुरक्षा की आवश्यकता है. एमनेस्टी ने दक्षिण-पूर्व एशियाई संगठन आसियान (ASEAN) से भी अपील की है कि वे जुंटा पर दबाव बढ़ाएं और उस नीति की समीक्षा करें जो पिछले पांच सालों से म्यांमार के लोगों की रक्षा करने में विफल रही है.

2021 के तख्तापलट के बाद से जारी संघर्ष

म्यांमार में फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद से ही गृहयुद्ध जैसे हालात हैं. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, अब तक 5,000 से अधिक नागरिकों की मौत हो चुकी है. सोमवार के हमले में लोग सैन्य भर्ती और आने वाले चुनावों का विरोध कर रहे थे, साथ ही आंग सान सू की और अन्य राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग भी कर रहे थे. म्यांमार में दिसंबर में आम चुनाव होने वाले हैं जो तख्तापलट के बाद पहला मतदान होगा. हालांकि, आलोचकों का कहना है कि यह चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं होंगे, बल्कि सेना को अपनी सत्ता बनाए रखने का जरिया बनेंगे.