आज के वैश्वीकरण के दौर में, जहां पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है, भारतीय परंपराओं का संरक्षण एक चुनौती बन गया है. पतंजलि ने बताया है कि कंपनी ने न केवल स्वास्थ्य उत्पादों के माध्यम से बल्कि सांस्कृतिक जागरूकता अभियानों के जरिए भारतीय विरासत को पुनर्जीवित करने का अभियान चलाया है.
पतंजलि का कहना है कि संस्था आयुर्वेद, योग और प्राचीन ज्ञान को आधुनिक जीवनशैली से जोड़कर सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा कर रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रयास न केवल स्वास्थ्य को मजबूत कर रहा है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सांस्कृतिक पहचान को जीवंत रखने का माध्यम भी बन रहा है.
पतंजलि का कहना है, ”कंपनी 5000 से ज्यादा उत्पादों के साथ बाजार में है, जिनमें हर्बल साबुन से लेकर योगिक चाय तक सब कुछ शामिल है. लेकिन पतंजलि का योगदान केवल व्यावसायिक नहीं है; यह सांस्कृतिक पुनरुत्थान का प्रतीक है. कंपनी के ‘स्वदेशी आंदोलन’ के तहत लाखों लोगों को आयुर्वेदिक जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया गया. योग शिविरों के माध्यम से प्राचीन ग्रंथों जैसे ‘योगसूत्र’ और ‘चरक संहिता’ का प्रचार हो रहा है, जो भारतीय दर्शन की नींव हैं.”
संस्कृति का बीज बोता है पतंजलि- बाबा रामदेव
बाबा रामदेव कहते हैं, “पतंजलि केवल उत्पाद नहीं बेचता, बल्कि वह संस्कृति का बीज बोता है. हमारी परंपराएं स्वास्थ्य और आध्यात्मिकता का खजाना हैं, जिन्हें आधुनिक विज्ञान से जोड़कर हम वैश्विक पटल पर मजबूत कर रहे हैं.”
पतंजलि ने बताया, ”हर्बल उत्पादों ने स्थानीय किसानों को जड़ी-बूटियों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया. इससे न केवल आर्थिक सशक्तिकरण हुआ, बल्कि प्राचीन कृषि परंपराओं का संरक्षण भी. पतंजलि का जैविक खेती मॉडल वेदों में वर्णित ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की भावना को जीवंत करता है. यह सांस्कृतिक धरोहर को पर्यावरण से जोड़कर स्थायी विकास सुनिश्चित करता है.”
धरोहर की रक्षा है परंपराओं का पुनरुद्धार- पतंजलि
पतंजलि का दावा है, ”हमारे योग कार्यक्रमों में 10 करोड़ से ज्यादा लोगों ने भाग लिया, जो भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रसार का प्रमाण है. पतंजलि का मॉडल सांस्कृतिक संरक्षण को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाता है. भविष्य में जब जलवायु परिवर्तन और सांस्कृतिक क्षय की चुनौतियां बढ़ेंगी, ऐसे प्रयास भारतीय पहचान को मजबूत करेंगे. अंततः, पतंजलि साबित कर रहा है कि परंपराओं का पुनरुद्धार न केवल धरोहर की रक्षा है, बल्कि एक स्वस्थ, समृद्ध राष्ट्र का निर्माण भी.”



