बिहार में हो रहे विधानसभा चुनाव के दूसरे और आखिरी चरण की वोटिंग से पहले महागठबंधन की महा’दरार खुलकर सामने आ गई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और तेजस्वी यादव शनिवार को एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार करते हुए दिखाई दिए।
साथ ही तेजस्वी की सभा में कुछ ऐसा दिखा जिसने इसकी पुष्टि भी कर दी।
दरअसल, दूसरे चरण में भागलपुर जिले की दो ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहां आरजेडी और कांग्रेस दोनों ने ही उम्मीदवार उतारे हैं। कहने के लिए तो सियासी भाषा में इसे ‘फ्रेंडली फाइट’ की संज्ञा दी जाती है, लेकिन शनिवार को जब राहुल-तेजस्वी प्रचार के लिए पहुंचे तो फ्रेंडली माहौल नहीं दिखाई दिया।
खिलाफत पर उतरे राहुल-तेजस्वी
भागलपुर की कहलगांव सीट की बात करें तो यहां सियासी मुकाबला दिलचस्प मोड़ पर आ गया है। तेजस्वी यादव ने यहां रजनीश यादव को मैदान में उतार दिया है तो कांग्रेस ने अपने युवा चेहरे प्रवीण सिंह कुशवाहा पर दांव लगाया है। इसके अलावा सुलतानगंज सीट पर भी राहुल गांधी ललन यादव के लिए वोट मांग हुए नजर आए, जबकि तेजस्वी चंदन सिन्हा को जिताने की अपील करते हुए देखे गए।
अब महागठबंधन की दो बड़ी पार्टियों के आमने-सामने आने से स्थानीय कार्यकर्ताओं में भी असमंजस की स्थिति बन गई है। कार्यकर्ताओं में दुविधा है कि किसके झंडे के नीचे प्रचार किया जाए। क्योंकि दोनों दलों के नेता अब एक ही मैदान में अलग-अलग मंच पर जा रहे हैं।
भागलपुर में हाथ से छूटी लालटेन
शनिवार को भागलपुर चुनाव प्रचार करने पहुंचे राहुल गांधी ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रवीण कुशवाहा, लल्लन यादव को मंच पर बुलाकर कहा कि ‘ये हमारे कैंडिडेट्स हैं इनका पूरा समर्थन कीजिए।’ वहीं दूसरी तरफ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी कहा कि भाई रजनीश जी को हम लोगों ने टिकट दिया है। आप सब लोगों से हम कहना चाहते हैं कि एकजुट होकर इस बार लालटेन का बटन दबाकर इन्हें भारी बहुमत से जिताएं।
RJD की रैली से कांग्रेस गायब!
इन दोनों सीटों पर दूसरे चरण में मतदान होना है, इसलिए प्रचार ज़ोर-शोर से चल रहा है। सुल्तानगंज और कहलगांव में तेजस्वी यादव ने राजद उम्मीदवार के समर्थन में वोट मांगे, जबकि राहुल गांधी अपने उम्मीदवार के लिए प्रचार करते नज़र आए। ख़ास बात यह है कि कहलगाँव और सुल्तानगंज में तेजस्वी यादव की रैलियों में राजद और भाकपा के झंडे तो दिखाई दिए, लेकिन कांग्रेस का झंडा नदारद रहा।
सामने आई महागठबंधन की दरार
इन सबके बाद, महागठबंधन में दरार की बात खुलकर सामने आती दिख रही है। गौरतलब है कि सीट बंटवारे के बाद, कांग्रेस और राजद ‘दोस्ताना मुकाबले’ का दावा कर रहे थे। अब, यह आश्चर्यजनक है कि तेजस्वी यादव और राहुल गांधी जैसे प्रमुख गठबंधन नेता अब अपने-अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांग रहे हैं।
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इन सीटों ने महागठबंधन के घटक दलों के कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। राजद और कांग्रेस के मतदाताओं में भी ऐसा ही भ्रम पैदा हो गया है। भागलपुर में भी महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं दिख रहा है।
चुनाव से पहले दिखाई एकजुटता
इससे पहले राहुल गांधी ने जब बिहार में वोटर अधिकार यात्रा निकाली थी तब तेजस्वी यादव, दीपांकर भट्टाचार्य, मुकेश सहनी महागठबंधन के तमाम नेताओं ने एकजुटता दिखाई थी। सभी लगभग एक महीने तक साथ घूमते रहे और संदेश देते रहे कि महागठबंधन मजबूती से मैदान में है। लेकिन सीट बंटवारे के साथ ही गठजोड़ तार-तार हो गया।
कांग्रेस ने क्यों नहीं छोड़ी सीट?
बता दें कि भागलपुर जिले की कहलगांव सीट लगभग दो दशक से कांग्रेस की पुश्तैनी सीट रही है। दिवंगत राजनेता सदानंद सिंह कहलगांव से कई बार चुनाव जीतते रहे। इस लिहाज से कांग्रेस किसी भी कीमत पर कहलगांव सीट चाह रही थी। न मिलने पर उसने प्रवीण कुशवाहा को टिकट दे दिया। इसके बाद तेजस्वी यादव ने यहां से आरजेडी का प्रत्याशी मैदान में उतार दिया। जिससे कहलगांव में त्रिकोणीय मुकाबला हो गया है।



