ढाका: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को बंगलादेश में हुए पिछले साल प्रदर्शन और करीब 1400 नागरिकों और आंदोलनकारियों के मौत के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई है।
जमकर बजी तालियां, उत्साह का माहौल
इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्युनल ने इस मामले में आखिरी सुनवाई की और आदेश दिया कि, शेख हसीना को मरते दम तक फांसी के फंदे पर लटकाया जाये। शेख हसीना के लिए जैसे ही मौत की सजा मुकर्रर की गई, वहां मौजूद लोगों ने जमकर तालिया बजाई और कोर्ट के फैसले का स्वागत किया।
इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्युनल ने कोर्ट ने कहा कि शेख हसीना दोषी साबित होती हैं। उन्हें तीन ग्राउंड के आधार पर दोषी करार दिया जा रहा है। शेख हसीना ने 1- लोगों को भड़काने, 2- हत्या का आदेश दिया और 3- दोषियों के खिलाफ एक्शन लेने में नाकाम रहने का दोषी ठहराया जाता है। शेख हसीना को पहले चार्ज में मरते दम तक जेल में रखने की सजा सुनाई जाती है।
मामले की सुनवाई कर रहे जज ने कहा कि, शेख हसीना के कोर्ट में नहीं आने से ही साबित होता है कि शेख हसीना दोषी हैं। कोर्ट ने कहा कि पहले आरोप के तहत, शेख हसीना स्थिति को संभालने और हिंसा को रोकने की अपनी ज़िम्मेदारी निभाने में विफल रहीं। साक्ष्यों से पता चलता है कि पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) भी दोषी हो सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि गृह मंत्री के आवास पर 19 जुलाई के बाद लगातार बैठक हुई। जिसमें छात्र आंदोलन को दबाने का आदेश दिया गया था। शेख हसीना ने एक कोर कमेटी को प्रदर्शनकारियों को निशाना बनाने के निर्देश दिए, जबकि अवामी लीग समर्थकों ने प्रदर्शनकारियों को सक्रिय रूप से परेशान किया। अदालत ने आईजीपी से पूछताछ की, जिन्होंने कथित कृत्यों में अपनी संलिप्तता स्वीकार की।



