कर्नाटक में मुख्यमंत्री बदलने की अटकलों के बीच सियासी नाटक जारी है। इस बीच, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कांग्रेस नेतृत्व से इस मामले में कन्फ्यूजन और सियासी उलझन दूर करने की मांग की है।
सिद्धारमैया ने मंगलवार को कहा कि राज्य में नेतृत्व बदलाव की अटकलों पर रोक लगाने के लिए कांग्रेस हाईकमान को फैसला लेना ही होगा। सिद्धारमैया ने ये बातें ऐसे वक्त पर कही हैं जब दिल्ली में उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के समर्थक विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की है तो दूसरी तरफ, कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने पिछले हफ्ते इस बात को खारिज कर दिया था कि वहां कोई नेतृत्व परिवर्तन होना है।
दरअसल, डिप्टी सीएम शिवकुमार के कई वफादार विधायक पिछले हफ्ते से ही दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। उन लोगों ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की है। इस घटनाक्रम की वजह से राज्य में मुख्यमंत्री बदलने की अटकलें तेज हो गई हैं क्योंकि सिद्धारमैया सरकार ने अपने ढाई साल पूरे कर लिए हैं। डीके शिवकुमार के समर्थकों का दावा है कि 2023 में जब राज्य में सिद्धारमैया की सरकार बन रही थी, तब ढाई-ढाई साल के सत्ता साझा समीकरण पर सहमति बनी थी और इस लिहाज से अब सिद्धारमैया की जगह शिवकुमार को सीएम बनाया जाना चाहिए।
हाईकमान का फैसला मंजूर
हालांकि, सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों ने कहा है कि राज्य में नेतृत्व में बदलाव का फैसला कांग्रेस हाईकमान करेगा, और उन्हें यह फैसला मंजूर होगा। इस बीच, सिद्धारमैया ने नेृतृत्व बदलाव की अटकलों को कमतर करके आंका है,और इसे “गैर-जरूरी बहस” बताया है और इसका कारण कैबिनेट में फेरबदल के बारे में हाल की चर्चाओं को बताया है।
शिवकुमार और सिद्दारमैया के बीच बढ़ती दूरियां
कर्नाटक का नाटक सोमवार को तब और गहरा गया, जब इस तरह की खबरें आईं कि उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने पहले से तय मुख्यमंत्री पद के बदलाव के बारे में लिखित आश्वासन मांगा है। हालांकि, शिवकुमार की इस मांग की अभी तक कांग्रेस पार्टी या राज्य नेतृत्व ने पुष्टि नहीं की है, जिससे सत्ताधारी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के अंदर बढ़ते अविश्वास की अटकलों को बल मिला है। पार्टी के मुताबिक शिवकुमार की मांग सरकार बनाने के दौरान सत्ता साझेदारी पर पहले हुई मौखिक चर्चा से उपजी है। वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने हालांकि ऐसी किसी सहमति की पुष्टि नहीं की है लेकिन यह मुद्दा उथल-पुथल का केंद्र बन गया है जिससे शिवकुमार और मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के बीच बढ़ती दूरी सामने आ गयी है।
शिवकुमार के घर पहुंचा था नागा संतों का समूह
इस चर्चा को तब और हवा मिली जब नागा संतों के एक समूह ने शिवकुमार के घर का दौरा किया और काशी के एक संत ने उन्हें मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया। यह दौरा हालांकि प्रतीकात्मक है लेकिन इस वजह से नेतृत्व विवाद को लेकर राजनीतिक चर्चा तेज हो गई है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और राज्य के ऊर्जा मंत्री केजे जॉर्ज ने मुख्यमंत्री सिद्दारमैया और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की और बाद में शिवकुमार के साथ एक अलग बैठक की।
सिद्धा गुट ने भी शुरू की किलेबंदी
दूसरी तरफ, सिद्धारमैया कैंप ने अपनी ताकत फिर से पक्की करने की कोशिशें तेज कर दी हैं। पिछले दो दिनों में मुख्यमंत्री के बेटे और विधान पार्षद डॉ. यतींद्र सिद्दारमैया ने मुख्यमंत्री के लिए मजबूत समर्थन जुटाने के लिए उत्तर कन्नड़ जिले में कांग्रेस विधायकों से अलग-अलग मुलाकात की है। उधर शिवकुमार के समर्थक लगातार चौथे दिन भी उनके वफादार विधायकों को दिल्ली भेजने का क्रम जारी रखे हुए हैं।



