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Cyclone Fani : भारत ने दुनिया को बताया कैसे करें डिज़ास्टर मैनेजमेंट, UN ने भी की तारीफ

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चक्रवाती तूफान ‘फानी’ ओडिशा से बंगाल पहुंच चुका है. शाम तक इसके बांग्लादेश का रुख करने की खबर है. इस तूफान की तबाही का सामना करने वाले ओडिशा ने दुनिया को एक बड़ी सीख दी है. दरअसल, राज्य प्रशासन ने अपनी बेहतर प्लानिंग से जनहानि को कई गुना कम करके एक मिसाल पेश की है. इसमें भारतीय मौसम विभाग ने सराहनीय भूमिका निभाई. संयुक्त राष्ट्र संघ की डिज़ास्टर मिटिगेशन एजेंसी (आपदा न्यूनीकरण एजेंसी) ने भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की ओर से चक्रवाती तूफान ‘फानी’ की पूर्व चेतावनियों की ‘लगभग अचूक सटीकता’ की तारीफ की है.

दरअसल, शुक्रवार को आया तूफान ‘फानी’ भी दुनियाभर में भारी नुकसान करने वाले चक्रवाती तूफानों जैसा ही था, लेकिन राज्य सरकार की बेहतर प्लानिंग की वजह से सिर्फ 10 लोगों की मौत हुई, जो तूफान से पहले से पीड़ित देशों और क्षेत्रों के लिए हैरानी भरा है. फानी तूफान की गंभीरता को देखते हुए ये आंकड़ा बहुत कम है, क्योंकि इससे पहले आए ऐसे ही भीषण तूफान में राज्य में 10 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी.

भारत में पिछले 20 साल में आए इस सबसे भयंकर तूफान ने तीर्थस्थल पुरी में समुद्र तट से टकराने के बाद तबाही मचाना शुरू किया. देखते ही देखते ओडिशा के कई इलाके जलमग्न हो गए, जिससे राज्य के करीब 11 लाख लोग प्रभावित हुए हैं. इन्हें अस्थायी शेल्टर होम में रखा गया है. भारतीय मौसम विभाग ने ‘फानी’ को ‘अत्यंत भयावह चक्रवाती तूफान’ की श्रेणी में रखा है.

 

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियां ‘फानी’ की गति पर करीब से नज़र बनाए हुए हैं. हालांकि, बंगाल में ये तूफान कमजोर पड़ चुका है. अब शाम तक ये बांग्लादेश पहुंच जाएगा. लिहाजा वहां के शेल्टर होम में रह रहे परिवारों को बचाने के इंतजाम किए जा रहे हैं.

डिज़ास्टर मिटिगेशन एजेंसी के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष प्रतिनिधि मामी मिजुतोरी ने कहा, “अत्यंत प्रतिकूल स्थितियों के प्रबंधन में भारत का हताहतों की संख्या बेहद कम रखने का दृष्टिकोण सेनदाई रूपरेखा के क्रियान्वयन में और ऐसी घटनाओं में अधिक जिंदगियां बचाने में बड़ा योगदान है.”

मिजुतोरी डिज़ास्टर मिटिगेशन एजेंसी 2015-2030 के सेनदाई ढांचे की ओर इशारा करता है. यह 15 साल का ऐच्छिक, अबाध्यकारी समझौता है, जिसके तहत आपदा जोखिम को कम करने में प्रारंभिक भूमिका राष्ट्र की है. लेकिन इस जिम्मेदारी को अन्य पक्ष धारकों के साथ साझा किया जाना चाहिए.