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पाकिस्तानी जालसाज ने भारत को लगाया छह हजार टन चावलों का चूना

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दुबई में बैठकर एक पाकिस्तानी ने भारत के दो दर्जन कारोबारियों के छह हजार टन चावल पर रातोंरात हाथ साफ कर दिया. 30 करोड़ रुपये के इतने चावल से पूरा UAE पांच दिन तक खाना खा सकता है. भारत के करोड़ों रुपये के चावल की ठगी करने का यह मामला इतना अनोखा है कि करोड़ों रुपये के नुकसान के बावजूद अलरौनक अलताबी की फर्म चलाने वाले पाकिस्तानी तारिक ओवैस के खिलाफ न तो UAE की पुलिस और न ही भारतीय उच्च आयोग कोई कार्रवाई कर पा रहा है.

दरअसल दुबई बैठकर अलरौनक अलताबी नाम की फर्म ने बासमती चावल भारत से मंगवाने का काम शुरू किया. दिल्ली, हरियाणा और पंजाब की 23 कंपनियों ने चावल दुबई भेजने की पेशकश की. पहले छोटे आर्डर करके इस फर्म ने भारतीय चावल मिल का भरोसा जीता. फिर इन 23 फर्मों से 6000 टन चावल UAE मंगाए. चावल के पैसे UAE Exchange के तहत तारीक नाम के जालसाज ने अलग-अलग फर्मों के खाते में 30 करोड़ के TT यानि टेलीग्राफिक ट्रांसफर किए. लेकिन दस-दस दिन तक तारिक का TT का स्टेटस प्रोसेसिंग में ही दर्शाता रहा.

जब दिल्ली, करनाल और पंजाब से चावल के कंटेनर दुबई पहुंच गए. इस जालसाज ने चावल उतार लिए उसके गायब होने के बाद TT यानि टेलीग्राफिक ट्रांसफर फेल हो गया. जब इन दो दर्जन व्यापारियों ने तारिक और उसकी फर्म से फोन, ईमेल और पते पर संपर्क किया तब तक वो 30 करोड़ की चपत लगाकर दुबई से वो कंपनी फरार हो चुकी थी. करीब ढ़ाई करोड़ के चावल की ठगी के शिकार कमला राइस मिल के मालिक विपिन गोयल बताते हैं कि दो बार UAE भी गए लेकिन जहां कंपनी का दफ्तर था वो जगह कोई दूसरी कंपनी ने किराए पर ले लिया है. जिस आलीशान मकान में वो तारिक और उसकी पत्नी से मिले थे उसके बारे में पता चला कि ये 200000 रुपए महीने के किराए पर ले रखा था. भारतीय उच्चायोग में भी शिकायत की लेकिन फिलहाल कोई हल नहीं निकला है. वो कहते हैं कि ये एक बड़ा रैकेट है जिसमें एक्सचेंज के भी कुछ लोग शामिल हो सकते हैं.

पाकिस्तानी तारिक ओवैस के साथ कुछ भारतीयों के शामिल होने की बात भी पता चल रही है. तारिक की फर्म अल रौनक अलताबी नाम की फर्म ने अमृतसर राइस, AS impex, हरमन राइस फर्म, एनएम फूड जैसी दर्जनों कंपनियों को करोड़ों की चपत लगाई. इंडीग्रेन ग्लोबल के डायरेक्टर हिमांशु बताते हैं कि ठगी अलरौनक अलताबी के चेक की TT यानि टेलीग्राफिक ट्रांसफर करने वाली रकम अधिकतम 72 घंटे में या तो खाते में आ जाती है या चेक रद्द हो जाता है लेकिन इस मामले में चेक का स्टेटस इन प्रोसेस ही दिखाता रहा है जिसके चलते व्यापारियों का चावल पोर्ट पर उतार लिया गया.

इसमें यूएई एक्सचेंज के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से फ्रांड करने का इंटरनेशनल सिंडीकेट चल रहा है. फिलहाल करोड़ों गंवाने वाले भारतीय चावल व्यापारी भारत से दुबई चक्कर लगा रहे हैं.