Home समाचार बेंगलुरू: जैन समुदाय के प्रार्थना कक्ष में कन्नड़ कार्यकर्ताओं ने की तोड़फोड़,...

बेंगलुरू: जैन समुदाय के प्रार्थना कक्ष में कन्नड़ कार्यकर्ताओं ने की तोड़फोड़, हिंदी में पोस्टर लगाने से थे नाराज

43
0

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में जैन समुदाय की शिकायत के बाद कथित तौर पर कुछ कन्नड समर्थकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। इन लोगों पर जैन समुदाय के प्रार्थना कक्ष में हंगामा करने का आरोप है। शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि बीते शुक्रवार को शाम को कुछ लोगों ने जबरदस्ती जैन समुदाय के प्रार्थना कक्ष में घुसकर पोस्टर फाड़े। ये पोस्टर जैन समुदाय के प्रार्थना कक्ष के एंट्रेस में लगे हुए थे और हिंदी में थे।

जैन समुदाय के लोगों ने यह भी दावा किया है कि इन लोगों ने उनके धार्मिक गुरु की तस्वीर को भी नुकसान पहुंचाया। जैन समुदाय के द्वारा ये मामला पुलिस की जानकारी में आया और बेंगलुरु के कर्मिशयल स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करी गई। डीसीपी बेंगलुरू ने कहा कि ये घटना कल रात हमारे संज्ञान में आई। शुक्रवार को लगभग पांच से छह लोगों ने जैन मंदिर के बाहर रखे फ्लेक्स को नुकसान पहुंचाया। इन फ्लेक्स में अगले चार महीनों के कार्यक्रमों के बारे में हिंदी में जानकारी दी गई थी। इस मामले में केस दर्ज किया गया है। जैन समुदाय ने घटना का वीडियो डाउनलोड करके पुलिस को सबूत के तौर पर सौंप दिया है। जैन समुदाय के एक व्यक्ति ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा कि उपद्रवियों ने तस्वीरों को नुकसान पहुंचाकर हमारे धर्मगुरु का अपमान किया है। उन्होंने हमारी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है। इस मामले की जांच चल रही है।

बेंगलुरू के बीजेपी सांसद तेजस्वी सूर्या ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए ट्वीट किया कि कुछ उपद्रवी तत्वों द्वारा एक मंदिर के बैनर( हिंदी) में होने पर बेंगलुरु में हमारे जैन भाइयों पर हमले से गहरा दुख हुआ। हालांकि, उपद्रवियों ने कभी भी बेंगलुरु में عربى अरबी के उपयोग पर सवाल नहीं उठाया। कर्नाटक में योगदान करने वाले शांतिपूर्ण जैनों पर हमला करना वास्तविक कन्नड़ प्रेमियों और कार्यकर्ताओं के लिए बदनाम करना है। उन्होंने आगे कहा कि पंपा, पोन्ना और रन्ना जैसे कई महान कवि, जिन्हें रत्नत्रय के रूप में जाना जाता है या कन्नड़ साहित्य के तीन रत्न जैन थे। कन्नड़ साहित्य की शुरुआत जैन युग है। इसलिए, मैं कर्नाटक के आज के युवा जैनों से आग्रह करता हूं कि वे इस इतिहास को जानें और अपने संचार में कन्नड़ का भी उपयोग करें।