नया भारत बनाने की घोषणा के साथ देश में बच्चों को पढ़ाने और बढ़ाने के नारे जोरों से सुनाई देते हैं, मगर जब कभी हकीकत सामने आती है तो रूह कांप उठती है। मध्यप्रदेश के सागर जिले में एक ऐसा सच सामने आया है, जो बच्चों के स्वास्थ्य के साथ हो रहे खिलवाड़ का खुलासा करता है। यहां स्कूली बच्चे मध्यान्ह भोजन की थालियां गंदे पानी में धोने को मजबूर हैं।
यहां हम बात सागर जिले की कर रहे हैं, जो संभागीय मुख्यालय भी है। यहां के मकरोनिया इलाके में सरकारी प्राथमिक पाठशाला है। इस स्कूल में पहली से पांचवीं कक्षा तक के बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चों को भी मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराया जाता है। ये बच्चे जिस थाली में खाना खाते हैं, उसे पास के एक गड्ढे में भरे गंदे पानी में धोने के लिए कहा जाता है। स्कूली महकमा बच्चों के स्वास्थ्य के साथ किए जा रहे खिलवाड़ से अनजान बना हुआ है।
इस प्राथमिक पाठशाला में पढ़ने वाले बच्चों की उम्र अधिकतम 10 से 11 साल तक की है। इन्हें खाना थालियों में दिया जाता है, जिसे उन्हें खाना खाने के बाद गंदे पानी में धोना पड़ता है। गंदे पानी से भरा एक गड्ढा स्कूल के पास ही है। बच्चों का कहना है कि स्कूल में पानी का इंतजाम नहीं है, इसलिए वे गंदे पानी में थाली धोते हैं।
बच्चे एक दिन जिस थाली को गंदे पानी से धोते हैं, उसी थाली में अगले दिन फिर खाना खाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि बरसाती मौसम है और गंदे पानी से धोई गई थाली में खाना खाने से बीमारी फैलने की आशंका को कोई नकार नहीं सकता। जब स्कूल के जिम्मेदार अधिकारियों से इस बारे में बात करने की कोशिश की गई तो कोई भी बात करने को तैयार नहीं हुआ।
शिक्षा विभाग के परियोजना अधिकारी एच.पी. कुमीर् ने हालांकि संवाददाताओं के सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि बच्चों द्वारा जूठी थाली गंदे पानी में धोए जाने की जानकारी उन तक आई है, वे मामले की जांच करा रहे हैं। इसके लिए जो भी कोई जिम्मेदार होगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।
प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि मध्याह्न भोजन योजना का काम स्वसहायता समूह के जिम्मे है। यही समूह बच्चों को भोजन उपलब्ध कराते हैं और बर्तन साफ कराने की जिम्मेदारी भी इन्हीं समूहों की है। राज्य के कई स्कूल ऐसे हैं, जहां बच्चों को ही जूठे बर्तन साफ करना पड़ता है