वैश्विक स्तर पर मंदी का असर देश की विकास दर पर पड़ा है। देश की अर्थव्यवस्था मंदी होने के कारण पहली तिमाही में विकास दर (GDP) में गिरावट दर्ज की गई है। वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में विकास दर 5 फीसदी रही है। देश में बिगड़ती अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सरकार ने हाल ही में कई कदम उठाए हैं, इसी बीच देश की गिरती अर्थव्यवस्था को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर हो गया है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मेरा केंद्र सरकार से आग्रह है कि संकट के इस समय में आत्ममुग्धता को छोड़कर विपक्ष के नेताओं के साथ बैठकर चर्चा करें। सभी के अनुभव से अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने की दिशा में काम करें। देश हम सबसे बनता है और देश के लिए हम सबको एक सूत्र में आना होगा।
मेरा केंद्र सरकार से आग्रह है कि संकट के इस समय में आत्ममुग्धता को छोड़कर विपक्ष के नेताओं के साथ बैठकर चर्चा करें। सभी के अनुभव से अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा करने की दिशा में काम करें।
देश हम सबसे बनता है और देश के लिए हम सबको एक सूत्र में आना होगा।
सीएम भूपेश ने कहा, देश में अर्थव्यवस्था की स्थिति बेहद खराब है। बैंकों के विलय से हजारों कर्मचारियों की नौकरी छूटेगी। पूरे देश में मंदी की स्थिति है। अब विक्रम उसेंडी को बताना चाहिए कि क्यों जीडीपी गिरी है और क्यों भारतीय करंसी की स्थिति बांग्लादेश से भी कमजोर हो गई है।
वहीं कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने भी भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मोदी सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था की हालत पंचर कर दी है। प्रियंका ने ट्वीट में लिखा ‘GDP विकास दर से साफ है कि अच्छे दिन का भोंपू बजाने वाली भाजपा सरकार ने अर्थव्यवस्था की हालत पंचर कर दी है। न GDP ग्रोथ है न रुपए की मजबूती। रोजगार गायब हैं। अब तो साफ करो कि अर्थव्यवस्था को नष्ट कर देने की ये किसकी करतूत है?’ प्रियंका गांधी ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2019-20 में GDP ग्रोथ धीमी होकर 5 प्रतिशत हो गई है। पिछले क्वार्टर से इसमें 0.8 प्रतिशत की गिरावट आई है।
GDP विकास दर से साफ है कि अच्छे दिन का भोंपू बजाने वाली भाजपा सरकार ने अर्थव्यवस्था की हालत पंचर कर दी है।
न GDP ग्रोथ है न रुपए की मजबूती। रोजगार गायब हैं।
अब तो साफ करो कि अर्थव्यवस्था को नष्ट कर देने की ये किसकी करतूत है?
बता दें कि बिगड़ती अर्थव्यवस्था के बीच हाल ही में सरकार ने आरबीआई से 1.76 लाख करोड़ की राशि ली है, वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं।
आर्थिक मंदी की आशंका और बाजार में उथल पुथल के बीच सरकार के लिए इस मुश्किल हालात से उबरना बड़ी चुनौती दिखाई दे रही है। देश के ऑटो सेक्टर के साथ ही बैंकिग और अन्य सेक्टर में भी आर्थिक मंदी का असर अब नजर आने लगा है।