उत्तर प्रदेश के लखनऊ में रहने वाले व्यापारी अब्दुल करीम की बकरीद से पहले पिछले हफ्ते जैकपॉट लगा। अब्दुल को राजस्थान के एक विदेशी नस्ल के तीन सोजत बकरों के लिए 22 लाख रुपये मिले। ये बकरे उन्होंने अपने काकोरी स्थित फार्म पर तैयार किए थे। तीन बकरों के 22 लाख रुपये मिलने के बाद अब्दुल करीम बहुत खुश हैं।
अब्दुल ने बताया कि 12 अगस्त को बकरीद है। भोपाल के एक व्यवसायी ने उनसे बकरों की एक जोड़ी 15 लाख रुपये में खरीदी है। वहीं एक दूसरे ग्राहक ने उनका तीसरा बकरा 7 लाख रुपये में खरीदा है। राजस्थान के शुष्क क्षेत्र में पाए जाने वाले सोजत बकरों को मुख्य रूप से उनके मांस के लिए ही पाला जाता है। इन नस्ल की बकरियों में दूध की पैदावार कम होती है। करीम ने बताया कि उन्होंने तीनों बकरों को लगभग 18 महीने पहले 70,000 रुपये में खरीदा था। 18 महीने से उन्होंने उनकी खास देखभाल की।
अब्दुल ने बताया कि वह बकरों को गेहूं, जौ, चना मटर, जई और चना खिलाते थे। उनका डाइट चार्ज पशु विशेषज्ञों से बनवाया था और उनके द्वारा निर्धारित किया गया भोजन ही बकरों को खिलाया। बकरों की समय-समय पर बालों की ट्रिमिंग भी करते थे। बकरों की रोज दिन में एक बार मालिश की जाती थी। मालिश के बाद बकरे दो घंटे के लिए आराम करते थे।
अब्दुल ने बताया कि जब वे बकरों को यहां लाए थे तो वे लगभग चार महीने के थे और उनका वजन लगभग 17-18 किलोग्राम था। विशेष देखरेख के बाद उनका वजन 210-220 किलोग्राम हो गया। उन्होंने बताया कि बकरों की देखरेख के लिए उन्होंने तीन लोगों को काम पर रखा जो 24 घंटे बकरों की देखभाल करते थे। उन्होंने बताया कि एक बकरा एक समय में 5 किलोग्राम चारा खाता है। बेहतर पाचन के लिए हर बार खाने के बाद उन्हें लीवर टॉनिक भी दिया जाता था।
करीम ने बताया कि इस नस्ल के बकरों को किसी ने पहली बार लखनऊ में रखा क्योंकि इन्हें बहुत ही खास देखभाल की जरूरत होती है। उन्होंने बताया कि इससे पहले वह अन्य विदेशी नस्लों जैसे अलवर, बाबरी, बारबारी, तोतापरी और अजमेरी को पाल चुके हैं। उन्होंने बताया कि एक बारबरी का वजन लगभग 80-90 किग्रा होता है और वह 1.6 लाख रुपये में बेचा जाता है। जबकि अलवर, तोतापरी और अजमेरी में 1.7 लाख से 2 लाख रुपये के बीच बिकता है।