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‘भारतीय भोजन पूर्णतया सुरक्षित, सेहतमंद’- रिसर्च

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आल इंडिया नेटवर्क प्रोजेक्ट एंड पेस्टिसाइड रेसिड्यूस, भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक क़े के. शर्मा ने कहा है कि भारतीय खाद्य पदार्थ पूरी तरह सुरक्षित और सेहतमंद है। क़े के. शर्मा बुधवार को भारतीय विषविज्ञान अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर) लखनऊ द्वारा आयोजित खाद्य सुरक्षा के विभिन्न आयाम विषय पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि “भारतीय खाद्य पदार्थ पूरी तरह सुरक्षित और सेहतमंद हैं, जिसके जहरीले होने को लेकर बहुत-सी भ्रांतियां हैं। इन्हें दूर करने के लिए वैज्ञानिकों को जनता को जागरूक करने की आवश्यकता है।”

डा़ॅ शर्मा ने कहा, “देश में खाद्य पदार्थो में कीटनाशकों के अवशेष को लेकर बहुत-सी गलत जानकारियां फैलाई गई हैं, जबकि सच्चाई यह है कि भारत कई देशों के मुकाबले 10 गुना कम कीटनाशकों का इस्तेमाल करता है। जैसा कि प्रचारित किया जाता है कि आर्गेनिक खाद्य पदार्थ बाजार में मिलने वाले खाद्य पदार्थ के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित हैं, बिल्कुल झूठ है।”

उन्होंने कहा कि “सच्चाई यह है कि हमारे कई वर्षो के निरंतर वैज्ञानिक अध्ययन में यह पाया गया है कि आर्गेनिक खाद्य पदार्थ के नमूनों में से 25 फीसदी अधिकतम स्तर के ऊपर कीटनाशकों के अंश पाए गए हैं और वहीं बाजार में उपलब्ध आम खाद्य पदार्थो के सिर्फ 15 फीसदी नमूने ही एमआरएल से ऊपर पाए गए। यहां यह बात साफ कर देना चाहता हूं कि एमआरएल से अधिक कीटनाशक अंश का अर्थ यह नहीं है कि की यह जानलेवा या विषाक्त है।”

मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज की डायरेक्टर शालिनी चावला ने कहा कि “कोई भी देश अपने नागरिकों को जहरीला भोजन नहीं खिलाना चाहेगा। देश में कीटनाशक बड़ी ही गहन प्रक्रिया से गुजरने के बाद ही उपयोग के लिए नियामक संस्था सीआईबी की स्वीकृति पाते हैं। एक कीटनाशक के मॉलिक्यूल को स्वीकृत होने में 2000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश तथा 12 से 25 वर्षो का गहन अध्ययन होता है, जिसके बाद ही इन्हें स्वीकृति मिलती है।”

डॉ. अजित कुमार ने कहा, “देश का भोजन सुरक्षित है और इसके जहरीला होने की अफवाह वे फैला रहे हैं, जिनका विज्ञान से कोई लेना-देना नहीं है। आज देश के वैज्ञानिकों को सामने आकर आम जनता को यह बताने की आवश्यकता है कि हमारे खाने में कीटनाशकों के अवशेष नहीं हैं और यह पूरी तरह सुरक्षित है।”