बिलासपुर रेलवे स्टेशन से करीब 4 किमी दूर लालखदान ओवरब्रिज के नीचे ट्रैक टूट गया है। बुधवार सुबह 8 बजे गैंगमैन गुलाब सिंह पटरियां जांच रहे थे, तब उनकी नजर मिडिल लाइन की इस क्रैक पटरी पर पड़ी। उन्होंने अफसरों को सूचना दी। मौके पर पहुंचे अफसरों ने वहां कांक्रीट का एक टूटा हुआ स्लीपर तो बदलवा दिया, लेकिन पटरी नहीं। बुधवार तड़के से लेकर गुरुवार को भी टूटी पटरी पर ट्रेनों की आवाजाही होती रही।
मुंबई-हावड़ा रूट में बिलासपुर मुख्यालय से महज पांच किलोमीटर दूर मिडिल लाइन पर खंभा नंबर 715/ 20/22 के पास पटरी बुधवार की सुबह टूट गई। 36 घंटे बीतने के बाद भी अफसरों ने पटरी में वेल्डिंग नहीं कराई और न ही उसे बदला। इतना जरूर किया है कि कांक्रीट की जिस टूटे हुए स्लीपर पर पटरी रखी थी उसे बदल दिया गया है। अफसरों की लापरवाही किसी दिन सैकड़ों यात्रियों की मौत का कारण बन सकती है। अफसर पटरियों को सुधरवाने ध्यान नहीं दे रहे हैं। यह मामला है बिलासपुर रेलवे स्टेशन से महज 3 से 4 किलोमीटर दूर लालखदान ओवरब्रिज के नीचे का।
बुधवार की सुबह लगभग 8 बजे उम्रदराज गैंगमैन गुलाब सिंह पटरियों की जांच करते लालखदान फाटक से गतौरा की ओर बढ़ रहे थे। अभी चंद कदम ही चले थे कि मिडिल लाइन पर उन्हें टूटी हुई पटरी दिखाई दी। उन्होंने तत्काल इसकी सूचना फाटक पर बैठे दूसरे गैंगमैन को दी जिसने कंट्रोल रूम के जरिए इंजीनियरिंग विभाग के अफसरों तक पटरी टूटने की सूचना दी। गैंगमैन को लगा कि ज्वाइंट का वेल्डिंग फेल हुआ है। लेकिन वहां पर वेल्डिंग के बगल में पटरी टूटकर अलग हो गई है। जिस जगह पर पटरी टूटी है वहां पर वेल्डिंग ज्वाइंट होने की वजह से फिश प्लेट लगी है इसलिए ट्रेन गुजरने के बाद भी उसमें कुछ नहीं हुआ।