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भोपाल : उमा भारती ने फिर दोहराई प्रदेश में शराबबंदी की मांग, कहा- अब समय आ गया है, संस्कृति बचाओ मंच ने किया पहल का समर्थन…

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भोपाल। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी शासित राज्यों में शराबबंदी की मांग की है। पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में शराबबंदी के लिए अनुकूल परिस्थितियां होना भी बताया, उमा भारती ने कहा कि कोरोनाकाल में स्पष्ट हो गया कि अन्य कारणों से मौत हुई, लेकिन शराब नहीं पीने से किसी की मौत नहीं हुई है। तब मैंने पूर्ण शराबबंदी की बात कही थी, ये बात मैंने शिवराज जी से भी कही थी। मैं समय के इंतजार में थी, अब वो समय आ गया है। अब ये बात विमर्श में आना चाहिए। इसके लिए शराब माफियाओं पर दबाव बनाना पड़ेगा। शराब माफिया सबको अपनी जकड़ में लेता है। प्रदेश में शराबबंदी का माहौल बन रहा है।

पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट किया कि वे नरोत्तम मिश्रा के वक्तव्य के संबंध में कुछ नहीं कह रही है। उमा भारती ने कहा कि उन्होनें (नरोत्तम मिश्रा ) ने मंत्री होने के नाते ये बातें कहीं होंगी।

वहीं संस्कृति बचाओ मंच ने किया उमा भारती की पहल का समर्थन किया है। संस्कृति बचाओ मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने शराबबंदी की पहल का समर्थन करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में शराबबंदी होना चाहिए, सीएम शिवराज सिंह चौहान से अनुरोध है कि शराबबंदी करें।


इससे पहले कल यानि गुरुवार को  उमा भारती ने एक के बाद एक ट्वीट कर कहा था कि- बीजेपी शासित राज्यों में शराबबंदी की जाए, शराब मृत्यु का दूत है, पर थोड़े से राजस्व के लालच में शराब माफिया शराबबंदी नहीं होने देता है।

उमा भारती ने कहा कि मध्यप्रदेश में शराब की दुकानें की संख्या बढ़ाने के बारे में सरकार ने कोई निर्णय नहीं लिया है । chouhanshivraj के इस वक्तव्य का अभिनंदन है।

1. मध्यप्रदेश में शराब की दुकानों की संख्या बढ़ाने के बारे में सरकार ने अभी कोई निर्णय नहीं लिया है ChouhanShivraj जी का यह वक्तव्य अभिनंदनीय है।

2. कोरोनाकाल के लॉकडाउन के समय पर लगभग शराबबंदी की स्थिति रही इससे यह तथ्य स्पष्ट हो गया है कि अन्य कारणों एवं कोरोना से लोगों की मृत्यु हुई किंतु शराब नहीं पीने से कोई नहीं मरा।

3.अभी हाल में उ0प्र0 एवं म0प्र0 में शराब पीने से बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई सड़क दुर्घटनाओं के अधिकतर कारण तो ड्राइवर का शराब पीना ही होता है यहबड़े आश्चर्य की बात हैकि शराब मृत्यु का दूत है फिरभी थोड़े से राजस्व का लालच एवं शराब माफिया का दबाव शराबबंदी नहीं होने देता है

4.अगर देखा जाए तो सरकारी व्यवस्था ही लोगों को शराब पिलाने का प्रबंध करती है जैसे मां जिसकी जिम्मेदारी अपने बालक को पोषण करते हुए रक्षा करने की होती है वही मां अगर बच्चे को जहर पिला दे तो, सरकारी तंत्र के द्वारा शराब की दुकाने खोलना ऐसे ही है।

5. मैं तो अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री JPNadda जी से इस ट्वीट के माध्यम से सार्वजनिक अपील करती हूं कि जहां भी भाजपा की सरकारें हैं उन राज्यों में पूर्ण शराबबंदी की तैयारी करिए। 

6. राजनीतिक दलों को चुनाव जीतने का दबाव रहता है बिहार की भाजपा की जीत यह साबित करती है कि शराबबंदी के कारण ही महिलाओं ने एकतरफा वोट नीतीश कुमार जी को दिये।

7. शराबबंदी कहीं से भी घाटे का सौदा नहीं है शराब बंदी से राजस्व को हुई क्षति को कहीं से भी पूरा किया जा सकता है किंतु शराब के नशे में बलात्कार, हत्याएं, दुर्घटनाएं छोटी बालिकाओं के साथ दुष्कर्म जैसी घटनाएं भयावह हैं तथा देश एवं समाज के लिए कलंक है।

8. कानून व्यवस्था को मेंटेन करने के लिए हजारों करोड़ रूपये खर्च होते हैं समाज में संतुलन बनाए रखने के लिए शराबबंदी एक महत्वपूर्ण कदम है इस पर एक डिबेट शुरू की जा सकती है।