शिवसेना (Shiv Sena) ने अपने मुखपत्र सामना में बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू (Taapsee Pannu) और निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप (Anurag Kashyap) का समर्थन किया है. सामना (Saamana) में लिखा गया है कि मोदी सरकार के खिलाफ बोलनेवाले कलाकार और सिने जगत के निर्माता-निर्देशकों पर ‘इनकम टैक्स’ के छापे पड़ने लगे हैं. इनमें तापसी पन्नू, अनुराग कश्यप, विकास बहल और वितरक मधु मंटेना का नाम प्रमुख है.
‘किसान आंदोलन के पक्ष में बोलने की कीमत चुकानी पड़ रही’
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में कहा, ‘मुंबई-पुणे में 30 से ज्यादा ठिकानों पर छापे मारे गए. तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप खुलकर अपने विचार व्यक्त करते रहते हैं. सवाल इसलिए पैदा होता है कि हिंदी सिने जगत का व्यवहार और काम-धाम स्वच्छ और पारदर्शी है, अपवाद केवल तापसी और अनुराग कश्यप का है. सिने जगत की कई महान उत्सव मूर्तियों ने किसान आंदोलन के संदर्भ में विचित्र भूमिका अपनाई. उन्होंने किसानों को समर्थन तो नहीं दिया, उल्टे दुनिया भर से जो लोग किसानों को समर्थन दे रहे थे उनके बारे में इन उत्सव मूर्तियों ने कहा कि ये हमारे देश में दखलंदाजी है, लेकिन तापसी और अनुराग कश्यप जैसे गिने-चुने लोग किसान आंदोलन के पक्ष में खड़े रहे. उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है. 2011 में किए गए एक लेन-देन के संदर्भ में ये छापे पड़े हैं.’
‘विचार व्यक्त करने का पूरा अधिकार’
सामना में आगे लिखा गया है, ‘कुछ लोगों की रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और समय आने पर वे बता भी देते हैं और वह पर्दे पर जिस तरह की संघर्षमय भूमिका अदा करते हैं, वैसा ही असल जीवन में भी जीने का प्रयास करते हैं. ‘पिंक’, ‘थप्पड़’ और ‘बदला’ जैसी फिल्मों में तापसी का जोरदार अभिनय जिन्होंने देखा होगा वे ऐसा नहीं पूछेंगे कि तापसी इतनी मुखर क्यों हैं? अनुराग कश्यप के बारे में भी यही कहना पड़ेगा. उनके विचारों से सहमति भले न हो, लेकिन उन्हें उनका विचार व्यक्त करने का पूरा अधिकार है.’
दीपिका के खिलाफ भी चलाया गया था अभियान
शिवसेना ने कहा कि दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) ने जेएनयू में जाकर वहां के विद्यार्थियों से मुलाकात की, तब उनके बारे में भी छुपे आंदोलन और बहिष्कार का हथियार चलाया गया. दीपिका की फिल्म को नियोजित तरीके से फ्लॉप करने का प्रयास हुआ ही, सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ गंदी मुहिम चलाई गई. ये सब करनेवाले लोग कौन हैं या किस विचारधारा के हैं, ये छोड़ो, लेकिन यह तय है कि ऐसे काम करके वे लोग देश की प्रतिष्ठा बढ़ा नहीं रहे हैं.
‘विचार व्यक्त करने का पूरा अधिकार’
सामना में आगे लिखा गया है, ‘कुछ लोगों की रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और समय आने पर वे बता भी देते हैं और वह पर्दे पर जिस तरह की संघर्षमय भूमिका अदा करते हैं, वैसा ही असल जीवन में भी जीने का प्रयास करते हैं. ‘पिंक’, ‘थप्पड़’ और ‘बदला’ जैसी फिल्मों में तापसी का जोरदार अभिनय जिन्होंने देखा होगा वे ऐसा नहीं पूछेंगे कि तापसी इतनी मुखर क्यों हैं? अनुराग कश्यप के बारे में भी यही कहना पड़ेगा. उनके विचारों से सहमति भले न हो, लेकिन उन्हें उनका विचार व्यक्त करने का पूरा अधिकार है.’
दीपिका के खिलाफ भी चलाया गया था अभियान
शिवसेना ने कहा कि दीपिका पादुकोण (Deepika Padukone) ने जेएनयू में जाकर वहां के विद्यार्थियों से मुलाकात की, तब उनके बारे में भी छुपे आंदोलन और बहिष्कार का हथियार चलाया गया. दीपिका की फिल्म को नियोजित तरीके से फ्लॉप करने का प्रयास हुआ ही, सोशल मीडिया पर उनके खिलाफ गंदी मुहिम चलाई गई. ये सब करनेवाले लोग कौन हैं या किस विचारधारा के हैं, ये छोड़ो, लेकिन यह तय है कि ऐसे काम करके वे लोग देश की प्रतिष्ठा बढ़ा नहीं रहे हैं.