रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए मचे हाहाकार के बीच अच्छी खबर आई है. रविवार को एक ही दिन में 25 हजार इंजेक्शन की खेप आ गई. रविवार सुबह 5 हजार और शाम को 20 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिलिवरी हुई. शनिवार को भी 4 हजार इंजेक्शन आ गए थे. इन 25 हजार इंजेक्शन में से 15 प्रतिशत प्रदेश के जिला अस्पतालों में बंटेगी, जबकि 85 फीसदी 14 मेडिकल कॉलेजों में जाएगी.
इधर, राहतभरी खबर ये भी है कि केंद्र सरकार ने रेमेडिसविर इंजेक्शन और रेमेडिसविर एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) के निर्यात पर रोक लगा दी है. रेमडेसिविर अब दुकान या किसी स्टॉकिस्ट से निजी व्यक्ति को नहीं दी जाएगी
यानी अब यह किसी दवा दुकान से नहीं बेची जाएगी.
स्टॉकिस्ट प्रशासन को देंगे हर इंजेक्शन की खबर
इस मामले को लेकर कलेक्टर मनीष सिंह ने शहर के सभी स्टॉकिस्ट से बैठक की और निर्देश जारी किए. इन स्टॉकिस्ट के पास जो भी दवा आएगी, उसकी जानकारी प्रशासन को देनी होगी. प्रशासन द्वारा ये इंजेक्शन सभी कोविड अस्पतालों में भर्ती गंभीर मरीजों के लिए अस्पताल की दवा दुकान पर सीधे जाएगी. दवा का वितरण मरीज और प्राप्त डोज के अनुपात में होगा. इस क्रम में रविवार को इंदौर पहुंचे करीब ढाई हजार डोज अस्पतालों को भेजे गए.
डॉक्टर्स की सलाह- घबराहट में न लगवाएं इंजेक्शन
इंदौर के डॉक्टर्स ने जनता से अपील की है कि इस इंजेक्शन के प्रति जागरूक हों. शुक्रवार को चाचा नेहरू अस्पताल के अधीक्षक डॉ. हेमंत जैन, आईएमए अध्यक्ष डॉ. सतीश जोशी, अरबिंदो मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. विनोद भंडारी सहित अन्य डॉक्टर्स ने मीडिया के माध्यम से स्वास्थ्य को लेकर कई बातें शेयर कीं. डॉक्टर्स ने कहा कि लोग घबरा गए हैं. इस वजह से जबरदस्ती रेमडेसिविर इंजेक्शन लगवा रहे हैं. जबकि, उनको इसकी जरूरत ही नहीं है.
जनरल प्रैक्टिशनर्स भी ये इंजेक्शन प्रिस्क्राइब कर रहे हैं. इसलिए गैरजरूरी इस्तेमाल के कारण इस इंजेक्शन की मांग एकदम बढ़ गई है और लोग परेशान हो रहे हैं. यदि हम इस तरह से न करें तो रेमडेसिविर के फालतू उपयोग पर 25% रोक अपने आप लग जाएगी. लोगों को समझना होगा कि हर मरीज को इसकी जरूरत नहीं है.