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भिलाई ईस्पात संयंत्र में अब तक कुल 440 टन की रोलिंग की जा चुकी हैं, जिसमें फरवरी 2020 में गगनयान भी शामिल है.

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सेल की महत्वपूर्ण ईकाई भिलाई इस्पात संयंत्र संकटकाल के दौरान भी अपने बेहतर कार्यों का निष्पादन कर रहा है. इसी कड़ी में भिलाई इस्पात संयंत्र ने आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम बढ़ाया है. बीएसपी के प्लेट मिल ने एक बार फिर अपनी उत्कृटता सिद्ध करते हुए 13वीं बार मिश्र धातु निगम ‘मिधानी’ द्वारा प्रदत्त एमडीएन-250 के 10 स्लैब्स से 20 प्लेटस की सफलतापूर्वक रोलिंग की है.

बीएसपी के प्लेट मिल में नियमित अंतराल में इन स्लेब्स को 9.3 मिलीमीटर की मोटाई में सफलतापूर्व रोलिंग किया जा रहा है. इन प्लेटों का उपयोग पीएसएलवी के बाहरी मोटर आवरण और इसरो के जीएसएलवी सेटेलाइट प्रक्षेपण वाहनों में किया गया है.

भिलाई ईस्पात संयंत्र में अब तक कुल 440 टन की रोलिंग की जा चुकी हैं, जिसमें फरवरी 2020 में गगनयान भी शामिल है.

इन शक्‍तिशाली स्पेशल प्लेटों की विषेशता यह है कि ये उच्च ताप को सहने की क्षमता रखते है. इसके रोलिंग में अत्याधिक सावधानी बरतनी पड़ती हैं. इसमें स्लेब्स के रिहीटिंग से लेकर रोलिंग तक कड़े तकनीकी मापदंडों का अनुपालन सुनिश्चत किया जाता है. इस चुनौतीपूर्ण कार्य को प्लेटमिल बिरादरी के साथ साथ आरसीएल व इंस्टूमेंटेशन जेसे विभागों तथा अन्य संबंधित विभागों का महत्वपूर्ण योगदान है.

इन प्लेटों की रोलिंग प्लेट मिल के मुख्य महाप्रबंधक संजय शर्मा के नेतृत्व तथा इन प्लेटों का निरीक्षण संयंत्र के गुणवत्ता विभाग की ओर से सुधीर रामकृष्ण महाप्रबंधक फलैट प्रोडक्ट, एनडीटी एवं प्लानिंग, तथा विपिन कुमार महाप्रबंधक फलेट प्रोडक्ट एवं एनडीटी की देखरेख व मार्गदर्शन में किया गया. इन अधिकारियों व कर्मचारियों के लगातार प्रयास से संयंत्र में इस प्रकार के प्लेटस तैयार किए जा सके.
भिलाई इस्पात संयंत्र पहले भी कर चुका है स्पेशल प्लेटस की रोलिंग- 20 अक्टूबर 2020 के पूर्व 29 जुलाई 2020 को एमडीएन-250 स्लैब्स की सुलाता पूर्वक रोलिंग की गई थी. रोलिंग की गई मिधानी स्लेब्स के इस लॉट का प्रयोग अब भारत के प्रथम मानवयुक्त उपग्रह मिशन कार्यक्रम गगनयान के प्रक्षेपण के लिए किया जाएगा. इसके पूर्व फरवरी 2020 में भी इसके स्लेब्स की रोलिंग की गई थी.