कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर के प्रकोप के बीच सरकारें पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर ज़ोर दे रही है और हेल्थकेयर के मोर्चे पर प्राइवेट अस्पतालों की पूरी मदद ली जा रही है, वहीं, झारखंड के ज़्यादातर प्राइवेट अस्पतालों को कोविड के खिलाफ टीकाकरण कथित तौर पर रोकने को कहा गया है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अफसरों से बात नहीं हो सकी, लेकिन सूत्रों के मुताबिक कहा जा रहा है कि वैक्सीन स्टॉक को देखते हुए ये कदम उठाया गया है.
केंद्र सरकार की बीते मंगलवार की एक रिपेार्ट में कहा गया कि झारखंड में वैक्सीन की बर्बादी का आंकड़ा 3.12 फीसदी रहा. यानी झारखंड का नाम पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा के साथ उस फेहरिस्त में रहा, जहां वैक्सीन डोज़ों की सबसे ज़्यादा बर्बादी हुई. अब ये दोनों बातें कैसे
आपस में जुड़ी हैं?
क्या है पेंच और फैसले की वजह?
खबरों की मानें तो देश भर में ही वैक्सीन के डोज़ के उत्पादन और सप्लाई को लेकर असमंजस की स्थिति है. कई राज्यों को मांग के मुताबिक वैक्सीन नहीं मिल पा रही है. ऐसे में राज्यों से वैक्सीन डोज़ गलत तरीके से लगाने या स्टोर ठीक से करने पर हो रही बर्बादी पर लगाम लगाने की बात कही गई है.
सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि झारखंड में प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन के ‘वेस्टेज’ ज़्यादा होने की बात सामने आई है. टाइम्स ऑफ इंडिया की सूत्र आधारित खबर में बताया गया है कि इन हालात के मद्देनज़र झारखंड के अस्पतालों को टीके नहीं लगाने के लिए कहा जा रहा है.
पिछले करीब दो हफ्तों से राज्य के सभी प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन डोज़ की सप्लाई में राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा भारी कटौती दिखी. 5 मई को अचानक हमसे कहा गया कि और वैक्सीनेशन न किया जाए. अब इसकी वजह क्या है, यह तो नहीं कहा जा सकता.
यह बात एक प्राइवेट अस्पताल के संचालक और देश में हेल्थकेयर प्रोवाइडर एसोसिएशन के प्रेसिडेंट जोगेश गंभीर के हवाले से रिपोर्ट में कही गई. गंभीर ने ये भी कहा कि इस निर्देश के साथ ही सरकार ने उनके प्राइवेट अस्पताल से वैक्सीन का बचा स्टॉक भी वापस ले लिया. कुछ और प्राइवेट अस्पतालों से जुड़े लोगों के हवाले से रिपोर्ट यह भी बताती है कि रोज़ाना करीब 100 कॉल्स पाने वाले अस्पताल लोगों को बता नहीं पा रहे कि वहां वैक्सीनेशन क्यों बंद हो गया और अब कबसे शुरू हो सकेगा.