भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक बलराम भार्गव (Balram Bhargava) ने कोवीशील्ड (Covishield) की दो डोज के बीच बढ़ाई गई समयावधि के पर कहा है कि इसकी पहली खुराक से ही
मजबूत इम्यूनिटी बन रही है. उन्होंने कहा है कि कोविशील्ड की दो खुराक के बीच के अंतराल को बढ़ाक र 12-18 सप्ताह कर दिया गया है क्योंकि पहली खुराक में मजबूत इम्यूनिटी बनी है. उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन (Covaxin) के दोनों डोज के बीच के अंतराल में कोई बदलाव इसलिए नहीं किया गया है कि क्योंकि पहली खुराक के बाद इम्यूनिटी, कोवीशील्ड के मुकाबले तेजी से विकसित नहीं होती.
कोवीशील्ड वैक्सीन के लिए तीन महीने के अंतराल को अनिवार्य करने के सरकार के फैसले पर भार्गव ने कहा कि इस टीके की पहली खुराक के बाद इम्यूनिटी मजबूत पाई गई. वहीं तीन महीने का अंतर अच्छा परिणाम देगा. भार्गव ने दावा किया कि कोवैक्सीन की पहली खुराक के बाद इम्यूनिटी का लेवल उतना अधिक नहीं है. इसका मतलब है कि दूसरी डोज चार हफ्ते बाद ली जानी चाहिए ताकि पूरा असर सुनिश्चित हो सके.
क्या है अभी का प्रोटोकॉल?
मौजूदा वैक्सीनेशन प्रोटोकॉल के अनुसार, कोवैक्सीन की दो खुराक के बीच चार से छह सप्ताह का अंतर है, हालांकि, कोविशील्ड के लिए, सरकार ने हाल ही में दो खुराक के बीच के अंतर को छह से आठ सप्ताह तक बढ़ाकर 12-16 सप्ताह कर दिया है.
भार्गव ने कहा- ‘टीका पहली बार 15 दिसंबर को आया था. हम बहुत नए हैं और सीख रहे हैं. परीक्षण अभी भी जारी हैं. यह ईवाल्विंग साइंस है, Covaxin की पहली खुराक देने से आपको ज्यादा एंटीबॉडी नहीं मिलती, आप इसे दूसरी खुराक के बाद हासिल कर पाते हैं. कोवीशील्ड में पहले खुराक के दौरान ही एंटीबॉडी अच्छे स्तर पर मिल जाती है.’
बीस करोड़ और खुराक के साथ कोवैक्सीन का उत्पादन बढ़ाएगी भारत बायोटेक
उधर कोवैक्सीन निर्माता भारत बायोटेक ने कहा कि वह अपनी अनुषंगी के गुजरात के अंकलेश्वर स्थित संयंत्र में कोविड-19 के टीके कोवैक्सीन की और 20 करोड़ खुराक का उत्पादन करेगी. इसके साथ कंपनी का कुल वार्षिक उत्पादन एक अरब खुराक तक पहुंच जाएगा. हैदराबाद की कंपनी ने कहा कि वह अपने पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी शिरोन बेहरिंग वैक्सीन्स के अंकलेश्वर स्थित उत्पादन संयंत्र का इस्तेमाल कोवैक्सीन की और 20 करोड़ खुराक का निर्माण करने के लिए करेगी.
भारत बायोटेक ने एक बयान में कहा, ‘कंपनी की जीएमपी संयंत्रों में कोवैक्सीन की 20 करोड़ खुराक प्रति वर्ष उत्पादन की योजना है. इन संयंत्रों में जीएमपी (अच्छे निर्माण तरीके) और जैवसुरक्षा के कड़े मानकों के तहत पहले से ही इनएक्टिवेटेड वेरो सेल प्लेटफॉर्म टेक्नोलॉजी पर आधारित टीकों के उत्पादन का काम जारी है.’
कंपनी ने कहा कि अंकलेश्वर संयंत्र में साल की आखिरी तिमाही में कोवैक्सीन का उत्पादन शुरू हो जाएगा. कंपनी ने कहा कि वह पहले ही अपने हैदराबाद और बेंगलुरु परिसरों में टीके के लिए कई उत्पादन लाइनें तैनात कर चुकी है. भारत बायोटेक की 100 प्रतिशत स्वामित्व वाली अनुषंगी शिरोन बेहरिंग वैक्सीन्स दुनिया में रेबीज के टीके के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है.