देश के किसान अब खरीफ फसलों की बुवाई शुरू करने वाले हैं. इस बीच देश में दालों की कीमतों को कम करने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने कुछ जरूरी कदम उठाए हैं. कुछ दालों के आयात में छूट के बाद केंद्र सरकार ने अब राज्य सरकारों को जमाखोरी से बचने के लिए मिल मालिकों, व्यापारियों और अन्य लोगों की तरफ से रखे गए स्टॉक की निगरानी करने का निर्देश दिया है. केंद्र ने दालों की मांग को पूरा करने और महंगाई पर काबू पाने के लिए 15 मई को मूंग उड़द और तूर को आयात से मुक्त कर दिया था.
पिछले साल फसलों को हुआ काफी नुकसान
पिछले साल अगस्त की बारिश ने मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में मूंग और उड़द के खेतों में कहर बरपाया था, जबकि अक्टूबर के बाद की बारिश ने कर्नाटक और महाराष्ट्र में अरहर की फसल को तबाह कर दिया था. इसी तरह, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में फसल खराब होने के कारण रबी चना की प्रति एकड़ पैदावार कम रही. इस वजह से देश भर में दालों की खुदरा कीमतें पूरे साल उच्च स्तर पर रही. देश के अधिकांश शहरों में सभी दालों की खुदरा कीमतें 70 से 120 रुपए प्रति किलोग्राम के बीच हैं.
केंद्र सरकार ने बाजारों में आ रहे घरेलू स्टॉक से टकराते हुए आयातित तुअर की आवक की समय सीमा एक महीने बढ़ा दी थी और मई के बजाय उसने मार्च की शुरुआत में आयात कोटा की घोषणा की थी. इस महीने की शुरुआत में सरकार ने अपने आयात नियमों में संशोधन किया और सभी को लाइसेंस मुक्त आयात की अनुमति दी.
अरहर दाल की थोक कीमत 3 रुपए किलो कम
बता दें कि इस सप्ताह अरहर दाल की थोक कीमतों में कमी हुई है. दाल की थोक कीमत तीन रुपए किलो कम हुई है. पिछले सप्ताह अरहर दाल की थोक कीमत 97 से लेकर 99 रुपए किलो थीं. इस हफ्ते तीन रुपए घटकर 94 से 96 रुपए किलो हो गई हैं.