लालू प्रसाद यादव पार्टी के स्थापना दिवस के कार्यक्रम का उद्घाटन करने वाले हैं जिसको लेकर खूब चर्चा हो रही है. सुशील कुमार मोदी ने तो यहां तक कह दिया है कि राजनीति करने के लिए जमानत नहीं दी गई है.
पटनाः पांच जुलाई को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अपनी पार्टी का 25वां स्थापना दिवस मनाएगा. आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव खुद इस कार्यक्रम का वर्चुअल तरीके से उद्घाटन करने वाले हैं. एक तरफ उनके पटना आने पर भी कुछ लोगों की नजरें टिकी हैं. हालांकि किसी भी तरह का समारोह या राजनीतिक कार्यक्रम के लिए जब भी लालू का नाम आता है या उनके बिहार लौटने की आहट होती है तो हलचल मच जाती है.
आरजेडी की ओर से आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम को लेकर तमाम विपक्षी पार्टियों के नेता तरह-तरह के बयानबाजी में लगे हुए हैं. बीजेपी के राज्यसभा सांसद और बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने तो यहां तक कह दिया था कि लालू यादव को राजनीति करने के लिए जमानत नहीं दी गई है.
25 साल में आरजेडी ने कितने गुंडों को पुरस्कार दियाः नीरज
आरजेडी के स्थापना दिवस और लालू यादव की ओर से कार्यक्रम के उद्घाटन को लेकर जेडीयू के नेता नीरज कुमार ने कहा कि लालू की जमानत में बीमारी एक महत्वपूर्ण कारक था. विधायकों से संवाद में ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है. अब पुत्र के हठधर्मिता और ताजपोशी के लिए बेचैनी में वर्चुअल सम्मेलन कर रहे हैं. यह बताया जाए कि पार्टी (आरजेडी) ने 25 वर्ष के कार्यकाल में कितने अपराधियों व गुंडों को कौन-कौन से पुरस्कार से नवाजा गया?
नीरज कुमार ने लालू यादव पर तंज कसते हुए कहा कि आप देश के ऐसे पहले राजनेता हैं जो एक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं लेकिन न्यायिक हलंत ऐसा लगा कि आप पंचायत चुनाव के भी उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं. सरकार गिराने के बयान पर कहा कि इससे पहले भी 2017 में श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में लालू ने भविष्यवाणी की थी कि उनका बेटा अगला मुख्यमंत्री होगा. अब वह तो हुआ नहीं पर 420 का अभियुक्त जरूर हो गया. हालात ये हो गए कि पटियाला कोर्ट में दंडवत होना पड़ता है. अब तो इस परिवार में इतनी राजनीतिक दुकान खुल गई है कि आपस में ही प्रतियोगिता हो रही है.
तेजस्वी यादव हताशा व निराशा वाली राजनीति कर रहेः निखिल
बीजेपी नेता निखिल आनंद ने कहा कि लालू यादव पुराने नेता रहे हैं. उनकी उपयोगिता आज की राजनीति में निश्चित तौर पर आरजेडी के लिए जरूर है कि वो अपनी भावी पीढ़ी को अपने प्रभाव से अपने बेटे को राजनीति में पदस्थापित कर सकें. ऐसे में बिहार की राजनीति पर कुछ फर्क नहीं पड़ता जबकि चुनाव हो चुके हैं और बहुमत की सरकार काम कर रही है.
कहा कि तेजस्वी यादव हताशा और निराशा वाली राजनीति कर रहे हैं. उनके दल के भीतर विछोभ है और कई महीनों के बाद जब वो बिहार लौटे हैं तो उनको अपनी पार्टी के सामने कुछ ऐसा टोटका प्रेजेंट करना है ताकि वो पार्टी को एकजुट रख पाएं. निश्चित तौर पर उन्होंने एक शिगूफा छोड़ा कि तीन महीने में चुनाव होगा. अगर उन्हें लोकतंत्र का ज्ञान होता तो इतना तो निश्चित है कि बहुमत की चुनी हुई सरकार पांच साल तक चलेगी इसमें कहीं कोई सवाल नहीं है. लालू जी एक इतिहास हो चुके हैं और वो पुराने दिनों में पुराने वरिष्ठ नेता रहे हैं. इसके चलते हम सभी उनका सम्मान करते हैं.
ताबूत में अंतिम कील ठोकने का काम करेंगे लालू यादवः मृत्युंजय
आरजेडी के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि लालू प्रसाद यादव एक विचारधारा हैं. पांच जुलाई को राष्ट्रीय जनता दल का स्थापना दिवस है. उस दिन 25वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा. पिछले दो-तीन वर्षों से लालू यादव स्थापना दिवस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाते थे. इस बार उनके आने की बात चल रही थी. तेजस्वी यादव ने कहा है कि डॉक्टरों की सलाह और इजाजत मिलती है तो लालू यादव पांच जुलाई को स्थापना दिवस समारोह में पटना में होंगे और नहीं तो वर्चुअल तरीके से दिल्ली से इसका उद्घाटन करेंगे.
मृत्युंजय ने कहा कि छह वर्षों से बिहार में लोग त्राहिमाम कर रहे हैं. महंगाई की मार से तो कभी महामारी की मार से परेशान हैं. लोगों की सरकारी नौकरी जा रही है इसलिए लोग परेशान हैं. इस सरकार के खिलाफ मजबूत आवाज बनकर लालू यादव आएंगे. पांच तारीख को लालू यादव डबल इंजन की सरकार के लिए ताबूत में अंतिम कील ठोकने का काम करेंगे.
लालू यादव के जेल से बाहर आने को लेकर मृत्युंजय ने कहा कि लालू यादव के आने से विरोधियों के पेट में दर्द हो रहा है. वह भी सशंकित हैं कि लालू तो कोई भी खेल राजनीति में खेलने में माहिर हैं. जब लालू प्रसाद यादव जैसा नेता स्वस्थ शरीर के साथ उपस्थित होगा तो निश्चित रूप से यह जनविरोधी सरकार के लिए एक पल भी बना रहना मुश्किल साबित होगा. जनता के आशीर्वाद से ही आरजेडी नंबर वन पार्टी है और सीटों का बहुत ज्यादा अंतर नहीं है. अभी तो आंकड़ा ऐसा है कि किसी भी पल हम सरकार गिरा सकते हैं, लेकिन सत्ता की भूख नहीं है.