धान की वजह से छत्तीसगढ़ की सत्ता से बेदखल हुई भाजपा सत्ता में वापसी के लिए धान की ही राह पर है। खरीफ में अभी मुश्किल से धान की 15-20 प्रतिशत बुवाई हो पाई है, लेकिन भाजपा ने धान खरीदी का मुद्दा उठा दिया है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णदेव साय ने आज अभी से धान खरीदी और बारदाने की व्यवस्था के लिए पत्राचार शुरू करने की मांग की है।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने कहा, पिछले वर्ष प्रदेश सरकार ने बारदाना संकट का ठीकरा केंद्र सरकार के मत्थे फोड़ने की कोशिश की थी। कहा गया कि केंद्र सरकार समय पर पर्याप्त बारदाना नहीं भेज रही है। भाजपा ने इसे झूठ बताते हुए कहा था, पंजाब समेत कांग्रेस व कांग्रेस गठबंधन शासित राज्यों को पर्याप्त बारदाना मिला था। साय ने कहा, दरअसल उन राज्यों की सरकारों ने समय पर ही जूट आयुक्त से पत्र-व्यवहार कर अपनी मांग से अवगत करा दिया था। वहीं खुद को मोदी विरोधी दुष्प्रचार में अव्वल बताने में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपना वक्त जाया करने में लगे रहे। साय ने कहा कि भाजपा ने तब यह भी साफ किया था कि प्रदेश सरकार ने समय पर जूट आयुक्त को बारदाना का ऑर्डर देने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई। जूट आयुक्त को बारदाने का ऑर्डर जून-जुलाई में दिया जाता है। इसलिए अभी समय रहते केंद्र सरकार व जूट आयुक्त को अपनी मांग से अवगत कराके प्रदेश सरकार बारदाना का ऑर्डर दे ताकि धान खरीदी के समय प्रदेश सरकार बचकाने बहानों और तुगलक फरमानों से प्रदेश के किसानों के साथ अन्याय न हो।
छत्तीसगढ़ में पिछले वर्ष धान खरीदी के दौरान बारदानों की कमी का सामना करना पड़ा था। इससे किसान और सरकार दोनों परेशान हुए।
कांग्रेस बोली, ऐसी सलाह देने की बजाय केंद्र को पत्र लिखें साय
कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा, विष्णुदेव साय ने जमीनी नेता थे। अचानक हवा-हवाई बात क्यों करने लगे। लगता है डॉ. रमन सिंह के सोहबत का असर होने लगा है। अभी किसान धान बो रहे हैं। एक बार यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो आंकलन होता है कि कितने रकबे में धान लगाया गया है। उसके आधार पर खाद्य विभाग तैयारी करता है। विष्णुदेव साय ऐसी बात केवल चर्चा में बने रहने के लिए कर रहे हैं। अगर उन्हें किसानों की चिंता है तो केंंद्र सरकार को पत्र लिखें कि वह नए सीजन में छत्तीसगढ़ के किसानों का पूरा धान समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था करें।
पिछले वर्ष खरीदी सीजन में मचा था हाहाकार
राज्य सरकार का कहना है, खरीफ सीजन 2020-21 में राज्य सरकार ने धान खरीदी के लिए 4 लाख 75 हजार गठान बारदानों की जरूरत का आकलन किया था। केंद्र जूट आयुक्त से 3.5 लाख गठानों की मांग की गई। वहां चर्चा के बाद 3 लाख गठान बारदाना देने पर सहमति बनी। लेकिन आपूर्ति शुरू हुई तो केवल 1 लाख 45 हजार गठान देने को तैयार हुए। बाद में पीवीसी बैग और पुराने बारदानों में खरीदी की गई।
छत्तीसगढ़ में इन दिनों धान की रोपाई चल रही है।
यहां राजनीति के केंद्र में है धान
छत्तीसगढ़ की राजनीति में धान केंद्रीय मुद्दा है। धान के समर्थन मूल्य पर बोनस के वादे के साथ सत्ता में आई भाजपा केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद बोनस का क्रम जारी नहीं रख पाई। 2014-15 में केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को कह दिया कि अगर बोनस देंगे तो एफसीआई चावल नहीं लेगा। राज्य सरकार ने प्रति क्विंटल 300 रुपए का बोनस रोक दिया। किसान नाराज हुए। उसके बाद धान खरीदी में प्रति एकड़ अधिकतम 10 क्विंटल खरीदी का आदेश हुआ। प्रदेश भर में किसानों ने आंदोलन छेड़ दिया। कांग्रेस भी मैदान उतरी। अंत में सरकार ने आदेश बदलकर इसे 15 क्विंटल प्रति एकड़ पर सीमित किया। चुनावी वर्ष में बोनस भी वापस देना शुरू किया। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सरकारी खरीदी पर धान का मूल्य 2500 रुपया प्रति क्विंटल देने का वादा किया। बोनस नहीं मिलने से नाराज किसानों ने इस वादे पर इस कदर भरोसा किया कि नवम्बर में खरीदी शुरू होने के बाद भी सरकार बनने के इंतजार में धान नहीं बेच रहे थे। चुनाव में कांग्रेस एकतरफा बहुमत से सत्ता में आई। अब धान की राजनीति भाजपा के पाले में पहुंच गई है।