विश्व में कोरोना वायरस का कहर बरकरार है। वहीं वायरस का डेल्टा स्वरूप दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है और अमेरिकी में संक्रमण के ज्यादातर नए मामलों में यही वैरिएंट पाया जा रहा है। इस बीच फाइजर और बायोएनटेक ने घोषणा की है कि वे अत्यधिक पारगम्य डेल्टा वेरिएंट को रोकने के लिए एक कोविड बूस्टर शॉट विकसित कर रहे हैं।
12 महीने के भीतर टीके की एक और खुराक लेने से रोग प्रतिरोधक क्षमता तेजी से बढ़ती है
फाइजर अपने कोविड-19 रोधी टीके की तीसरी खुराक के आपात इस्तेमाल के लिए अमेरिका के खाद्य एवं औषधि विभाग की अनुमति मांगेगा। कंपनी ने बृहस्पतिवार को कहा कि 12 महीने के भीतर टीके की एक और खुराक लेने से रोग प्रतिरोधक क्षमता तेजी से बढ़ती है और यह कोरोना वायरस के चिंताजनक स्वरूप का मुकाबला करने में भी मददगार हो सकती है।
अद्यतन वेरिएंट वैक्सीन कर रहे हैं विकसित
विभिन्न देशों में हुए अध्ययन बताते हैं कि फाइजर तथा बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहे कोविड-19 रोधी अन्य टीके कोरोना वायरस के बेहद संक्रामक ‘डेल्टा’ स्वरूप के खिलाफ भी मजबूती से रक्षा से करते हैं। सीएनबीसी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार दोनों कंपनियों ने कहा कि उनका मानना है कि उनके वर्तमान दो-खुराक वाले टीके के तीसरे शॉट में डेल्टा सहित सभी वर्तमान में ज्ञात वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षा के ‘उच्चतम स्तर’ को संरक्षित करने की क्षमता है, लेकिन वे ‘सतर्क बने हुए हैं’ और एक अद्यतन वेरिएंट वैक्सीन विकसित कर रहे हैं।
कोरोना वायरस के खिलाफ बनने वाली एंटीबॉडी समय के साथ पड़ती जाती है कमजोर
कोरोना वायरस के खिलाफ बनने वाली एंटीबॉडी समय के साथ कमजोर पड़ती जाती है इसलिए अध्ययन चल रहे हैं जिनमें पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि बूस्टर डोज (टीके की अतिरिक्त खुराक) कब दी जानी चाहिए। फाइजर के डॉ. माइकल डोलस्टन ने एसोसिएटेड प्रेस को बताया कि कंपनी द्वारा अतिरिक्त खुराक के बारे में किए गए अध्ययन में पता चला है कि तीसरी खुराक लेने के बाद लोगों में एंटीबॉडी का स्तर पांच से दस गुना बढ़ जाता है।
फाइजर का टीका डेल्टा स्वरूप के खिलाफ प्रभावी
उन्होंने कहा कि फाइजर खाद्य एवं औषधि नियामक से कोविड रोधी टीके की तीसरी खुराक के आपात इस्तेमाल की मंजूरी अगस्त में मांगेगी। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन और इजराइल से प्राप्त आंकड़े बताते हैं कि फाइजर का टीका डेल्टा स्वरूप के खिलाफ प्रभावी है लेकिन जब एंटीबॉडी का स्तर काफी घट जाता है तो डेल्टा स्वरूप मामूली संक्रमण कर सकता है।वांदरबिल्ट यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में टीका विशेषज्ञ डॉ. विलियम शाफनेर ने कहा कि जन स्वास्थ्य अधिकारियों को देखना होगा कि क्या इसकी वाकई जरूरत है, खासकर तब जब लाखों लोगों को पहली खुराक तक नहीं मिल रही है।
पूर्ण टीकाकरण के बाद छह से 12 महीनों के भीतर तीसरी खुराक की आवश्यकता
कंपनियों ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा, “ये निष्कर्ष कंपनियों के तीसरे चरण के अध्ययन के चल रहे विश्लेषण के अनुरूप हैं।” “यही कारण है कि हमने कहा है, और हमारा यह मानना हैं कि हमारे पास अब तक के आंकड़ों की समग्रता के आधार पर, पूर्ण टीकाकरण के बाद छह से 12 महीनों के भीतर तीसरी खुराक की आवश्यकता हो सकती है।”
टीके से प्रेरित प्रतिरक्षा कम होने की उम्मीद
कंपनियों ने कहा कि क्लिनिकल अध्ययन अगस्त की शुरूआत में शुरू हो सकता है, जो नियामकीय मंजूरी के अधीन है।फाइजर और बायोएनटेक के अधिकारियों ने कहा है कि लोगों को पूरी तरह से टीकाकरण होने के 12 महीनों के भीतर बूस्टर शॉट या तीसरी खुराक की आवश्यकता होगी क्योंकि वे समय के साथ टीके से प्रेरित प्रतिरक्षा कम होने की उम्मीद करते हैं।