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2 हजार सहकारी समितियों के 12 हजार कर्मचारी हड़ताल पर

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रायपुर. रायपुर, धमतरी, गरियाबंद, राजनांदगांव, भिलाई, जगदलपुर, कवर्धा हड़ताल के चलते किसानों को खाद के लिए मोहताज हो गए हैं। हालात यह है कि किसानों को बाजार से कई गुना कीमत पर खाद खरीदना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी महासंघ के आव्हान पर प्रदेश की 2058 समितियों के लगभग 12 हजार कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। बताया गया है कि अंबिकापुर जिले को छोड़कर पूरे प्रदेश में हड़ताल से सोसाइटियों में तालाबंदी की नौबत आ गई है। प्रदेश में किसानों के खेतों में रोपाई और बियासी का काम जोरों पर चल रहा है, वहीं शुक्रवार को लगातार पांचवे दिन सोसाइटियों के बंद होने से खाद की कमी के चलते किसान जूझ रहे हैं। 31 जुलाई तक किसानों को बीमा कराने की अंतिम तारीख है। हड़ताल के कारण बीमा कार्य भी प्रभावित हो रहा है।

मंत्री ने कहा- हड़ताल वापस लें, तभी चर्चा

अपेक्स बैंक के अध्यक्ष बैजनाथ चंद्राकर ने बताया कि समितियों के कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर महासंघ के पदाधिकारियों की रजिस्ट्रार से दो दौर की चर्चा हो चुकी है। नवनियुक्त जिला सहकारी बैंक के अध्यक्षों के एक कार्यक्रम में पहुंचे सहकारिता मंत्री डाॅ. प्रेमसाय सिंह से महासंघ के पदाधिकारियों की चर्चा हुई। मंत्री ने उन्हें हड़ताल वापस लेने के बाद उनकी मांगों पर चर्चा का आश्वासन दिया है।

जिले में खाद की किल्लत

राजनांदगांव जिले में लगातार हो रही बारिश में किसान रोपा-बियासी में जुटे हैं, लेकिन सहकारी सेवा समितियों के कर्मियों की हड़ताल के कारण 113 सोसाइटियों में ताला लटक रहा है। किसानों को जरूरत के समय खाद नहीं मिल पा रही है। जिले में खाद की किल्लत के बीच हाल ही में 900 मीट्रिक टन खाद पहुंची।

किसानों पर पौने दो करोड़ का अतिरिक्त बोझ

दुर्ग जिले की सोसाइटियों में किसानों को जबरदस्ती गोबर खाद बेची जा रही है। जो किसान गोबर खाद खरीदना नहीं चाह रहे हैं, उन्हें भी जबरदस्ती गोबर खाद लेने को मजबूर किया जा रहा है। गोबर खाद नहीं खरीदने पर किसानों को अन्य रासायनिक खाद जैसे यूरिया, पोटाश आदि भी नहीं दी जा रही है। सहकारी केंद्रीय बैंक से मिली जानकारी के अनुसार अब तक 59 हजार से अधिक किसानों को करीब 35 हजार 166 क्विंटल गोबर खाद बेची गई है। करीब 1 करोड़ 75 लाख 83 हजार रुपए का अतिरक्ति बोझ किसानों पर गोबर खाद के नाम से थोप दिया गया है।

डीएपी की ज्यादा जरूरत

गरियाबंद जिले में यूरिया और डीएपी खाद की किसानों को अभी ज्यादा जरूरत है, लेकिन किसानों को सरकारी दुकानों पर ढूंढे खाद नहीं मिल रही है। निजी दुकानदार मनमाने दामों पर किसानों को यूरिया बेच रहे हैं। किसान पहले ही सोसाइटी में यूरिया खाद के साथ वर्मी कंपोस्ट खरीदने की अनिवार्यता के चलते लेने को मजबूर हैं। अब किसान निजी क्षेत्र की कृषि दुकानों में खाद खरीदने को मजबूर हैं, जिसका सीधा फायदा व्यापारी उठा रहे हैं।

खाद के मनमाने दाम

कवर्धा। किसान खाद और कीटनाशक दवाईयां खरीदने के लिए शहर के बाजारों में पहुंचने लगे हैं। इससे जिले के दुकानों में दिन भर भीड़ लगी रहती है। सेवा सहकारी समिति के कर्मचारियों के हड़ताल में चले जाने के करण शासकीय सोसाइटियों एवं खाद गोदामों में किसानों को खाद बीज तो नहीं मिल पा रही है। लेकिन प्राईवेट कृषि केन्द्र की दुकानों पर कीटनाशक, खाद लेने किसानों की भारी भीड़ देखी जा रही। हाल यह है कि बाजार में किसानों से खाद के मनमाने दाम लिए जा रहे हैं।

खाद के दाम हुए दोगुने

धमतरी जिले में समितियों की हड़ताल के चलते यूरिया, पोटाश, डीएपी सहित अन्य कृषि खाद को डेढ़ से दो गुना दाम में बेचा जा रहा है। सहकारी समिति संघ के जिलाध्यक्ष नरेंद्र साहू ने बताया कि जिले की 74 सहकारी समितियों में आठ दिन से हड़ताल चल रही है। सोसाइटियों में ताले लगे हैं। किसान बाजार से खाद लेने मजबूर हैं। शुक्रवार को हरिभूमि टीम ने शहर की कुछ कृषि दवाई दुकान में खाद के दामों की पड़ताल की। सोसाइटी में 266 रुपए बिकने वाली यूरिया 400 से 450 रुपए में बिक रही है। एक हजार रुपए की पोटाश 1350 से 1450 रुपए, 1200 की डीएपी 1550 से 1650 रुपए तथा 366 रुपए की सुपर फास्फेट 600 से 650 रुपए में बिक रही है।