Home देश भारतीय सेना में पहली बार कॉम्बेट-सपोर्ट आर्म्स रेजीमेंट की महिला अधिकारियों को...

भारतीय सेना में पहली बार कॉम्बेट-सपोर्ट आर्म्स रेजीमेंट की महिला अधिकारियों को मिली ‘कर्नल रैंक’

77
0

भारतीय सेना ने पहली बार कॉम्बेट-सपोर्ट आर्म्स रेजीमेंट की महिला अधिकारियों को कर्नल रैंक प्रदान की है. ये कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन दिए जाने के आदेश के अनुरूप किया गया है. भारतीय सेना ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि पहली बार सिग्नल कोर, ईएमई और इंजीनियरिंग कोर की पांच सैन्य महिला अधिकारियों को सेलेक्शन बोर्ड के जरिए टाइम-स्केल कर्नल रैंक प्रदान की गई है. इन महिला अधिकारियों को ये रैंक सेना में 26 साल की सेवाएं देने के लिए दी गई है.

किन महिला अधिकारियों को टाइम-स्केल कर्नल रैंक दी गई?

जिन महिला अधिकारियों को टाइम-स्केल कर्नल रैंक दी गई है, वे हैं लेफ्टिनेंट कर्नल संगीता सरदाना (सिग्नल कोर), लेफ्टिनेंट कर्नल सोनिया आनंद और लेफ्टिनेंट कर्नल नवनीत दुग्गल (दोनों ईएमई), और लेफ्टिनेंट कर्नल रिनू खन्ना और लेफ्टिनेंट कर्नल रित्चा सागर (दोनों इंजीनियरिंग कोर).

बता दें कि भारतीय सेना में अभी तक मेडिकल कोर, जज एडवोकेट जनरल (जैग) ब्रांच और एजुकेशन कोर की महिला अधिकारी ही कर्नल रैंक तक पहुंच पाती थीं. ये पहली बार है कि कॉम्बेट सपोर्ट आर्म की महिला अधिकारियों को कर्नल रैंक प्रदान की गई है. थलसेना की सिग्नल कोर, ईएमई और इंजीनियरिंग कोर को इंफेंट्री, आर्टलरी और आर्मर्ड (टैंक ब्रिगेड) की कम्बोर्ट सपोर्ट आर्म माना जाता है.

क्यों कर्नल रैंक के लिए क्वालीफाइ नहीं कर पाती थीं महिलाएं?

सेना में अमूमन 15-17 साल बाद लेफ्टिनेंट रैंक के सैन्य अधिकारियों को एक सेलेक्शन बोर्ड की कड़ी मेरिट प्रक्रिया के जरिए कर्नल रैंक प्रदान की जाती है. जो अधिकारी ‘बोर्ड’ क्लीयर नहीं कर पाते हैं, उन्हें 26 साल की सेवा के बात टाइम-स्केल कर्नल रैंक दी जाती है. क्योंकि सेना में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले तक महिला सैन्य अधिकारी शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) तक ही सीमित रहती थी इसलिए वे कर्नल रैंक के लिए क्वालीफाइ नहीं कर पाती थीं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फै‌सले के बाद सेना की करीब एक दर्जन कॉम्बेट सपोर्ट आर्म्स में महिला अधिकारी अब मेरिट के आधार पर भी कर्नल रैंक पा सकेंगी. काम्बेट आर्म्स यानि इंफेंट्री, आर्मर्ड और आर्टलरी (तोपखाने) में महिलाओं को अभी थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है.

भारतीय सेना ने अपने बयान में ये भी कहा कि प्रमोशन के द्वार खोलकर सेना में महिलाओं को करियर के अवसर प्रदान किए जा रहे हैं. सेना की अधिकतर ब्रांच में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने के निर्णय के अलावा इस तरह के प्रमोशन सेना में लैंगिक समानता को दिखाता है.

SC ने एनडीए की परीक्षा में महिलाओं को बैठने का आदेश भी दिया

सेना में ज्यादा से ज्यादा करियर बनाने के लिए ही हाल में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) की परीक्षा में महिलाओं को बैठने का आदेश भी दे दिया है. इसी साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से लड़कियों को देश के सभी सैनिक स्कूलों में दाखिला लेना का ऐलान किया था.