Home देश बिहार विधानसभा उपचुनाव: क्या कांग्रेस-राजद में पहले से मैच फिक्स है? JDU...

बिहार विधानसभा उपचुनाव: क्या कांग्रेस-राजद में पहले से मैच फिक्स है? JDU ने बताए सियासी सबब..

56
0

बिहार विधानसभा उपचुनाव को लेकर राजद और कांग्रेस में चल रही खींचतान के बीच ही कांग्रेस ने भी तारापुर और कुशेश्वरस्थान सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए. जिसके बाद महा गठबंधन की राजनीति गर्मा गई है. कांग्रेस के उम्मीदवार उतारने के बाद राजद और कांग्रेस के नेता एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी भी कर रहे हैं, लेकिन JDU ने महागठबंधन के दोनों सहयोगी राजद और कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि यह सबकुछ पहले से तय था. जनता को भरमाने के लिए फिक्स मैच में राजद और कांग्रेस एक दूसरे के विरुद्ध होने का दावा कर रहे हैं जबकि असलियत है कि दोनों जगहों पर कांग्रेस और राजद ने NDA के वोट बैंक माने जाने वाली जाति के उम्मीदवार उतार कर वोट अपने पाले में करने की कोशिश की है. इन दोनों ही पार्टियों का मुख्य एजेंडा NDA उम्मीदवार को हराने का प्रयास करना है, लेकिन वो अपने इरादे में सफल नही होंगे. इसकी वजह यह है कि जनता राजद और कांग्रेस की फितरत से अच्छी तरह से वाकिफ है. जदयू का मानना है कि राजद कांग्रेस की नूरा कुश्ती को जनता भी बखूबी समझ रही है.
दरअसल तारापुर में राजद ने वैश्य समाज के उम्मीदवार को मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने ब्राह्मण समाज के उम्मीदवार पर दांव खेला है. दोनों ही जातियां NDA समर्थक मानी जाती हैं. दूसरी ओर JDU के आरोप पर कांग्रेस नेता और MLC प्रेमचंद्र मिश्रा ने भी पलटवार करते हुए कहा कि जिन्हें जो आरोप लगाना है लगा ले. कांग्रेस ने तारापुर में सबसे बेहतरीन उम्मीदवार उतारे हैं और जीत कांग्रेस उम्मीदवार की ही होगी. हमारी लड़ाई NDA और राजद दोनों के उम्मीदवारों के खिलाफ है. जो लोग भी ऐसा आरोप लगा रहे हैं वो पहले ही अपनी हार का बहाना खोज रहे हैं.

बिहार के मंत्री रामसूरत राय ने कहा है कि महागठबंधन में शामिल विपक्षी पार्टियां आपस में हमेशा झगड़ा करती रहती हैं. महागठबंधन उसी का स्वरूप है. महागठबंधन टूट चुका है, ऐसा लोगों को दिखाने के लिए महागठबंधन जोड़-तोड़ की राजनीति करता है. जैसे हाथी के दांत दिखाने के ओर खाने के अलग होते हैं उसी तरह यादव समाज राजद का बंधुआ मजदूर नहीं है. तेजस्वी कहते हैं कांग्रेस से फ्रेंडली फाइट होगा. जब फाइट हो रहा है तो फ्रेंडली कैसे है?
दरअसल तारापुर में जो जातीय समीकरण है उसके मुताबिक कुशवाहा और यादव का वर्चस्व माना जाता है, लेकिन जीत हार में निर्णायक भूमिका सवर्ण और वैश्य समाज की मानी जाती है. राजद को उम्मीद है की राजद के MY समीकरण तो साथ रहेगा ही. ऐसे में वैश्य समाज के उम्मीदवार होने से बड़ा वोट बैंक राजद के साथ जुड़ेगा जिसका फायदा राजद उम्मीदवार को मिलेगा. वहीं कांग्रेस भी ब्राह्मण वोट बैंक में सेंघ लगाएगी और इसका घाटा NDA उम्मीदवार को ही होगा.
बता दें कि बिहार विधानसभा उपचुनाव में आरजेडी ने कुशेश्वरस्थान से गणेश भारती और तारापुर से अरुण कुमार साह को उम्मीदवार बनाया है जबकि कांग्रेस की ओर से कुशेश्वरस्थान में अशोक राम के बेटे अतिरेक कुमार को प्रत्याशी बनाया गया है वहीं तारापुर में राजेश कुमार मिश्रा कांग्रेस के कैंडिडेट जबकि जेडीयू की ओर से कुशेश्वरस्थान में अमन हजारी वह तारापुर में राजीव कुमार सिंह प्रत्याशी बनाए गए हैं.बहरहाल इस बार तारापुर और कुशेश्वरस्थान की लड़ाई बेहद रोमांचक होने वाली है. यही वजह है की तमाम पार्टियों ने साम दाम दंड भेद सभी कुछ झोंक दिया है.