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अफगानिस्तान पर होने सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे पाकिस्तान के एनएसए, भारत ने दिया करारा जवाब.

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राजधानी दिल्ली में 10 नवंबर को होने वाले अफगानिस्तान सम्मेलन में भाग लेने से इनकार करने वाले पाकिस्तान के एनएस मोईद युफूफ को भारत ने करारा जवाब दिया है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद युसूफ का मीडिया के सामने एनएसए अजीत डोभाल के निमंत्रण को अस्वीकार करना बहुत ही अशोभनीय था. सूत्रों का कहना है कि भारत को बिगाड़ने वाला कहने वाले शब्दों का चुनाव भी उनके कड़े रुख का संकेत है.
दरअसल, पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) मोईद युसूफ ने मंगलवार को कहा था कि वह भारत की मेजबानी में अफगानिस्तान पर होने वाले सम्मेलन के लिए वहां की यात्रा नहीं करेंगे. साथ ही, उन्होंने अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने वाले देश के रूप में नयी दिल्ली की भूमिका को खारिज कर दिया. भारत ने अगले हफ्ते अफगानिस्तान पर होने वाले क्षेत्रीय सम्मेलन में शरीक होने का पाकिस्तान को न्योता दिया था. इसकी मेजबानी भारत के एनएसए अजीत डोभाल द्वारा किये जाने की उम्मीद है.

उल्लेखनीय है कि दो दशक तक चले युद्ध के बाद अमेरिकी सैनिकों के लौटने की प्रक्रिया पूरी होने से पहले तालिबान ने 15 अगस्त को अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया था. यह पूछे जाने पर कि क्या वह भारत की मेजबानी में होने वाली बैठक में शरीक होंगे, युसूफ ने कहा, मैं नहीं जाउंगा. मैं नहीं जा रहा. एक विघ्नकर्ता (देश), शांति स्थापित करने वाला नहीं हो सकता. इससे पहले, पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने भारत से मिले न्योते की पुष्टि की थी, लेकिन कहा था कि फैसला उपयुक्त समय पर किया जाएगा. विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा था कि पाकिस्तान का फैसला परमाणु आयुध से लैस दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंधों की मौजूदा स्थिति पर आधारित होगा.

हालांकि, युसूफ के महज ना कह देने से पाकिस्तान और भारत के बीच संबंधों में जमी बर्फ के पिघलने की संभावना पर विराम लग गया है.

कई देशों के प्रतिनिधि लेंगे इसमें हिस्सा
द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, जनरल मखमुदोव के बैठक के दौरान मौजूद रहने की उम्मीद है, जबकि भारत को रूस, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान और ताजिकिस्तान से पुष्टि मिली है. हालांकि, चीन ने अभी तक अपनी उपस्थिति की पुष्टि नहीं की है.
सूत्रों का कहना है की चीन में कोरोना के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए वहां के प्रतिनिधि इसमें हिस्सा नहीं लेंगे. हालांकि भारत एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की व्यवस्था कर रहा है, ताकि चीन के प्रतिनिधि भी इसमें हिस्सा ले सकें.